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बीजापुर-सुकमा जिले के तेंदूपत्ता संग्राहकों को नगद भुगतान के लिए जारी हुआ आदेश

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बीजापुर। जिले के तेंदूपता संग्राहकों को नगद भुगतान मिलेगा, इस आशय का एक आदेश वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा प्रबंध संचालक छत्तीसगढ़ राज्य लघुवनोपज संघ को दिया है। जारी आदेश में कहा गया है कि कलेक्टर जिला सुकमा एवं कलेक्टर जिला बीजापुर से प्राप्त संशोधित प्रस्ताव तथा इस संबंध में प्रबंध संचालक राज्य लघु वनोपज संघ से प्राप्त अनुशंसा के आधार पर पूर्व आदेश को निरस्त करते हुए सुकमा एवं बीजापुर जिले के समस्त तेंदूपत्ता संग्राहकों का पारिश्रमिक राशि का नगद भुगतान प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों के माध्यम से किए जाने के लिए सहमति प्रदान की गई है जिसमें नगद भुगतान के लिए तेंदूपत्ता संग्राहक की पात्रता के संबंध में भली-भांति संतुष्ट होकर जिला कलेक्टर अनुमति देंगे साथ ही प्रत्येक प्रकरण का नगद भुगतान कलेक्टर की अनुमति से होगा और यह नगद भुगतान की कार्यवाही जिला कलेक्टर के पर्यवेक्षण व नियंत्रण में संपन्न होगा।
विदित हों कि तेंदूपत्ता संग्राहकों व स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा बैंक के माध्यम से तेंदूपत्ता संग्राहकों को भुगतान करने का विरोध कर रहे थे, क्योकि बीजापुर और सुकमा जिले के गांव दूरस्त पहाडि?ों और वनों से घिरे होने के कारण ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को बैंकिंग लाभ लेने के लिए पैदल चलकर आना होता था, और बैंक में कतार लगाकर रुपए आहरण करने तक दो से तीन दिन लग जाते थे, जिससे तेंदूपत्ता संग्राहकों को अतिरिक्त समय व रुपये भी खर्च करने पढ़ते थे। तेंदूपत्ता संग्राहकों का शासन द्वारा नगद भुगतान किए जाने से तेंदूपत्ता हितग्राहियों को बैंक तक आकार रुपए आहरण करने की समस्या से निजात मिलेगा।
विदित हो कि इसके दूसरे पहलू पर प्रकाश डाले बिना नगद भुगतान के लाभ एवं हानि केसंबंध में आकलन नहीं किया जा सकेगा, यह सर्वविदित है कि नगद भुगतान करने के आदेश के बाद यह सुनिश्चित किया जाना आवश्यक होगा कि तेंदूपत्ता हितग्राहियों को उसके पूरे पैसे प्राप्त हो सके। पूर्व के अनुभवों के अनुसार यह देखा गया है कि नगद भुगतान में बड़ी गड़बड़ी होती है, जिसके परिणाम स्वरूप तेंदूपत्ता हितग्राहियों को मिलने वाले समुचित लाभ नहीं मिल पाता यही नहीं उन्हें जितने पैसे मिलने चाहिए उसका पूरा भुगतान भी नहीं होता है। यदि बैंक के माध्यम से उनके खाते में भुगतान की व्यवस्था को सुदृढ़ किया जावे तो तेंदूपत्ता हितग्राही ग्रामीणों को इसका बेहतर लाभ निश्चित रूप से मिलेगा और वे भविष्य में बैंकिंग व्यवस्था से जुड़ेंगे जिसका लाभ होगा भी तेंदूपत्ता हितग्राहियों को होगा। नगद भुगतान के एक हिस्से का नक्सलियों तक जाने की कवायद पर भी रोक लगता है।