नई दिल्ली। दक्षिण एशियाई देशों के सांसदों का मानना है कि वायु प्रदूषण समूचे क्षेत्र के लिए एक गंभीर समस्या बन चुकी है। करीब-करीब सभी देश इससे प्रभावित हो रहे हैं। इसलिए एक ऐसा साझा मंच तैयार करने की जरूरत है, जहां इस खतरे से निपटने के लिए जरूरी विशेषज्ञताओं और अनुभवों का आदान-प्रदान किया जा सके।पर्यावरण थिंक टैंक ‘क्लाइमेट ट्रेंड्स’ ने शनिवार को एक वेबिनार का आयोजन किया। जिसका मकसद वायु प्रदूषण, जनस्वास्थ्य एवं जीवाश्म ईंधन के बीच अंतरसंबंधों को तलाशने व सभी के लिए स्वस्थ धरती से संबंधित एक विजन का खाका खींचना था।
भारत : हमें अपने मानक और समाधान तय करने होंगे
असम की कलियाबोर सीट से सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि वायु प्रदूषण के मामले में पूरी दुनिया की नजर दक्षिण एशिया पर होती है, क्योंकि ये विशाल भूभाग प्रदूषण की समस्या का सबसे बड़ा शिकार है। इसलिए हमें अपने मानक और अपने समाधान तय करने होंगे। ऐसा मंच और ऐसे मानक तैयार करने होंगे जिनसे इस सवाल के जवाब मिलें कि हमने स्टॉकहोम और ग्लास्गो में जो संकल्प लिए थे, उन्हें दिल्ली, लाहौर और ढाका में कैसे लागू किया जाएगा। यह मंच विभिन्न विचारों के आदान-प्रदान का एक बेहतरीन प्लेटफॉर्म साबित होगा।
पाकिस्तान : सांसदों का एक फोरम बनाया जाना चाहिए
पाकिस्तान के सांसद रियाज फतयाना ने वायु प्रदूषण को दक्षिण एशिया के लिए खतरे की घंटी बताया। उन्होंने महाद्वीप के स्तर पर मिल-जुलकर काम करने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि दक्षिण एशियाई सांसदों का एक फोरम बनाया जाना चाहिए, जहां इन विषयों पर बातचीत हो सके। पाकिस्तान में वायु प्रदूषण की समस्या बहुत ही खतरनाक रूप लेती जा रही है। जहां एक तरफ दुनिया कह रही है कि नए कोयला बिजलीघर न लगाए जाएं लेकिन दक्षिण एशिया के विभिन्न देशों में अब भी इन्हें लगाए जाने का सिलसिला जारी है।
वायु प्रदूषण प्राथमिक सार्वजनिक स्वास्थ्य इमरजेंसी
क्लाइमेट ट्रेंड्स की निदेशक आरती खोसला ने कहा कि वायु गुणवत्ता का मसला अब सिर्फ भारत की समस्या नहीं है बल्कि यह पूरे दक्षिण एशिया का गंभीर मुद्दा बन चुका है। दुनिया वर्ष 1972 में स्टॉकहोम में ह्यूमन एनवॉयरमेंट पर हुई संयुक्त राष्ट्र की पहली कॉन्फ्रेंस की 50वीं वर्षगांठ अगले महीने मनाने जा रही है। यह इस बात के आकलन के लिए एक महत्वपूर्ण वर्ष है कि किस तरह से जैव विविधता तथा पर्यावरण से जुड़े अन्य तमाम पहलू मौजूदा स्थिति से प्रभावित हो रहे हैं। वायु प्रदूषण एक प्राथमिक सार्वजनिक स्वास्थ्य इमरजेंसी है। दक्षिण एशिया यह मानता है कि जलवायु परिवर्तन सिर्फ राजनीतिक मसला नहीं है बल्कि सामाजिक और आर्थिक समस्या भी बन चुका है।
बांग्लादेश : राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत बेहद अहम
बांग्लादेश के सांसद साबेर चौधरी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत बेहद महत्वपूर्ण है। हमें पूरी दुनिया में सांसदों की ताकत का सदुपयोग करना चाहिए। वायु प्रदूषण एक पर्यावरणीय आपात स्थिति नहीं बल्कि वैश्विक इमरजेंसी है। इसकी वजह से वाटर स्ट्रेस और खाद्य असुरक्षा समेत अनेक आपदाएं जन्म ले रही हैं। वायु प्रदूषण दक्षिण एशिया के लिए एक साझा चुनौती है।
नेपाल : सभी जानदार चीजों की सेहत पर प्रभाव डाल रहा प्रदूषण
नेपाल की सांसद पुष्पा कुमारी कर्ण ने काठमांडू की दिन-ब-दिन खराब होती पर्यावरणीय स्थिति का विस्तार से जिक्र किया। उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण दुनिया की सभी जानदार चीजों की सेहत पर प्रभाव डाल रहा है। काठमांडू नेपाल की राजधानी है। यह दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है। हर साल सर्दियों के मौसम में काठमांडू में वायु की गुणवत्ता बहुत खराब हो जाती है।