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विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास के लिए अभिव्यक्ति के अधिक अवसर दें : डॉ. एस. भारतीदासन

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रायपुर। स्कूल शिक्षा सचिव डॉ. एस. भारतीदासन ने विद्यार्थियों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं अधिकारियों के उत्तरदायित्व को लेकर राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद में स्कूल शिक्षा विभाग के कार्यां की प्रगति की समीक्षा की। स्कूल शिक्षा सचिव ने कहा कि विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास के लिए अभिव्यक्ति के अधिक से अधिक अवसर उपलब्ध कराने होगे। इसके लिए कक्षा प्रारंभ होने के पूर्व 15 मिनट की प्रार्थना सभा का आयोजन प्रतिदिन किया जाना चाहिए। इसमें राष्ट्रगीत राष्ट्रगान राज्यगीत के अतिरिक्त समाचार पत्र के मुख्य बिन्दुओं का वाचन विद्यार्थियों को दिए गए शीर्षक- लोकगीत, लोकगाथा, लोककथा, लोकशिल्प इत्यादि पर अभिव्यक्ति हेतु अवसर दिए जाने चाहिए। प्रत्येक माह के अंत में ईकाई परीक्षा में सर्वाेत्तम प्रदर्शन वाले विद्यार्थियों को प्रार्थना सभा आयोजन की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए।
डॉ. भारतीदासन ने राज्य की शिक्षा व्यवस्था को लेकर अपनी सजगता व्यक्त की है। उन्होंने स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों के लिए तैयार किए गए कैलेण्डर का अवलोकन कर हिंदी माध्यम विद्यालयों के लिए भी ऐसा ही कैलेण्डर तैयार किए जाने का निर्देश दिया गया। शिक्षा गुणवत्तापूर्ण मानीटरिंग के लिए जिला शिक्षा अधिकारी, विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी सहित डीएमसी,बीआरसीएस, सहायक विकाखण्ड शिक्षा अधिकारी और संकुल समन्वयकों के लिए सम्यक जानकारी विषयक माड्यूल निर्माण, दिशा निर्देश एवं प्रशिक्षण के निर्देश दिए गए।
डॉ. भारतीदासन ने कहा कि उपचारात्मक शिक्षण हेतु पृथक कार्यक्रम आयोजित न कर कालखण्ड में ही 15 मिनट विद्यार्थियों के बुनियादी कोशलो और कमजोर बिन्दुओं पर केन्द्रित किए जाने चाहिए। प्रत्येक ईकाई अध्यापन पश्चात् विद्यार्थियों का आकलन किया जाए। इसके लिए मुख्य परीक्षा के ब्लू प्रिंट पर आधारित अधिकतम 40 मिनट का प्रश्न पत्र तैयार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इकाईवार परीक्षा प्रत्येक माह के अंतिम सप्ताह अथवा अगले माह के प्रथम सप्ताह में ली जा सकती है। शिक्षकों के द्वारा उत्तर पुस्तिकों का मूल्यांकन किया जाए। विद्यार्थियों की त्रुटियों पर उपचारात्मक शिक्षण दिया जाना चाहिए।
स्कूल शिक्षा सचिव ने कहा कि विद्यार्थियों में अभिव्यक्ति कौशल विकास तथा परिषद द्वारा निर्मित सहायक अध्ययन सामग्री के उपयोग को सुनिश्चित किए जाने हेतु प्रत्येक शनिवार को बस्ता रहित कक्षाओं का संचालन किया जाना चाहिए। वर्तमान परिस्थितियों में विद्यार्थियों के आचरण एवं व्यवहार पर विचार किया जाना आवश्यक है। बदलाव केवल किताबों के अध्ययन-अध्यापन से संभव नहीं होगा बल्कि शिक्षको को भी उत्कृष्ट व्यवहार एवं आचरण प्रस्तुत करना होगा, अत: प्रत्येक शिक्षक प्रशिक्षण में इस बिन्दु को महत्व दिया जाना चाहिए।