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छोटी मछलियों पर कार्यवाही की जगह मुख्य स्थानों पर निष्पक्ष दबीश देकर राजस्व चोरी के खेलपर कार्यवाही क्यों नहीं………

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पीडीएस चावल की अवैध खरीद-फरोख्त  पर कार्यवाही में छोटे व्यपारियो पर कार्यवाही,धंधे के जड़ पर कार्यवाही क्यों नहीं……..

बिश्रामपुर पुलिस थाना एवं खाद्य निरीक्षक के द्वारा छोटा हाथी वाहन से 11 बोरी चावल जब्त

सूरजपुर 22 मई (भारत भास्कर) । अक्सर आपने कई मसलों पर यह कहावत तो जरूर कहा वह सुना होगा कि अक्सर तालाब में छोटी मछलियों का शिकार ही ज्यादा होता है, दरअसल यह वाक्य इन दिनों नव पदस्थ कलेक्टर के सख्त निर्देश के बाद जिले का खाद्य अमला लंबे अरसे से सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत चावल की अफरा-तफरी से जुड़ा एक सुनियोजित रूप से संचालित गतिविधियां लंबे अरसे से व्याप्त है।जिसमें पीडीएस का चावल व कस्टम मिलिंग के तहत जमा होने वाले चावल में दो दफा कम से कम चलता है।इसमें डीओ सेटिंग के तहत उठाव किया गया धान के बदले चावल जमा करने में दोहरालाभ संयुक्त गठजोड़ के तहत चलता है।इस पूरे खेल से जुड़ी गतिवीधीयां वैसे तो खाद्य, मंडी, सहकरीता, नान सहित अन्य मकहमों की जानकारी में होने के वावजूद मुख्यमंत्री श्री बघेल के भेट मुलाकात के तहत पीडीएस सिस्टम से जुड़ी शिकायत पर कुसमी में कार्यवाही करने के बाद से एलर्ट मोड में खुद की बचाव व मौजूदगी का एहसास कराने में सक्रिय हुएं कुछ अफसरों द्वारा नवपदस्थ कलेक्टर के समक्ष सक्रियता पेश करने की होड़ में बीते दिनों तेलाईकक्षार मे हुई कार्यवाही के बाद आज यानी 22 मई को जारी जिला प्रशासन की विज्ञप्ति अनुसार ग्राम पंपापुर के हरकेश प्रसाद साहू द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत वितरित चावल एवं चना की अवैध खरीदी, बिक्री कर छोटा हाथी वाहन क्रमांक सीजी 29 एडी 5738 से परिवहन करनें के दरम्यान पकड़ में आने पर उक्त  चावल ग्रामीण राशन कार्ड धारको से खरीदा जाना जब  बताया गया और उसके पास से चावल करीब 6 क्विंटल 72 किलो, चना 19 किलो अनुमानित बाजार मूल्य 14682 रुपये का छत्तीसगढ़ सार्वजनिक वितरण प्रणाली (नियंत्रण) आदेश 2016 के उल्लंघन करते पाएं जाने पर वाहन सहित खाद्य सामग्री खाद्य निरीक्षक द्वारा जब्त कर वाहन पुलिस थाना बिश्रामपुर की अभिरक्षा में दिया गया।बहरहाल इस कार्यवाही पर भी गौर करें तो एक गांव में छोटे स्तर के एक व्यपारी के पास से चावल व चना बारमद होने पर जिले के ग्रामीण परिवेश में कोई भूखा नहीं रहे इस मंशा सें करोड़ों रुपए शासन द्वारा व्यय करनें पर अवसरों का लाभ उठाने में जो वर्ग शामिल हैं।उनका तो भौतिक सत्यापन करना भी इन.अफसरों को मुफीद नहीं लगता क्योंकि भ्रष्टाचार की गंगोत्री में डूबकी तो सभी लगाने में मशगूल है।अगर मामला सामने आए तो छोटे स्तर पर दो चार कार्यवाही बताकर अपनी मौजूदगी दर्ज कराकर शासकीय व्यय पर निगरानी रखने में शामिल चंद पहरेदार की जगह साझेदार बने लोक सेवकों के विरूद्ध कार्यवाही के लिए लंबा अरसा तो जांच में गुजरने की वजह से बेहिचक अपनी डफली अपनी राग अलापते है।अगर इनपर नव पदस्थ कलेक्टर सख्ती से मामले की निष्पक्ष जांच व कार्यवाही कराने में इन संदेह के घेरे में आने वाले चंद कर्मीयों को दूर रहकर अभियान चलाकर कार्यवाही करें तो राजस्व चोरी के साथ साथ जरूरमंद परिवार के भेट भरने में उपयोग होने वाले राशन समाग्री की गुणवत्ता से लेकर कागजी धान सें चावल का खेल की परत दर परत खुलते जाएगी।…….