बेतिया.
बेतिया के सतवरिया गांव में एक दर्दनाक घटना ने एक परिवार को अनाथ बना दिया। कमाने वाले बेटे की मौत के बाद परिवार भिक्षाटन पर निर्भर हो गया है। छठ पर्व के दिन, जब लोग उल्लास के साथ त्यौहार मना रहे थे, श्यामू पांडे के बच्चे अपने पिता को पुकारते हुए रो रहे थे। पूरा परिवार शोक में डूबा हुआ था और घर में छठ पर्व की रस्में भी नहीं निभाई जा सकीं।
मृतक श्यामू पांडे (35) चार महीने पहले अपने परिवार का भविष्य संवारने के लिए चेन्नई गए थे। 19 अक्तूबर की रात करीब 2:20 बजे मोतिहारी रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म-1 पर ट्रेन की चपेट में आकर उनकी दर्दनाक मौत हो गई थी। श्यामू का शरीर दो हिस्सों में बंट गया था, जिसने पूरे गांव और परिवार को गहरे शोक में डाल दिया।
आखिरी कॉल और मौत के रहस्यमय हालात
मृतक के मौसेरे भाई आशुतोष उर्फ सुमन मिश्रा ने बताया कि उस रात उन्हें श्यामू का फोन आया था। फोन पर श्यामू ने बताया कि वह मुजफ्फरपुर रेलवे स्टेशन पर है और कुछ लोग उसका पीछा कर रहे हैं। उसने बताया कि उसपर जान का खतरा मंडरा रहा है। लेकिन जब थोड़ी देर बाद उसी नंबर पर दोबारा फोन किया गया, तो वहां कोई और यात्री था, जो वहां से दूर जा चुका था। इस संदिग्ध कॉल ने श्यामू की मौत को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिरकार, किसके द्वारा उसे धमकी दी जा रही थी और किस वजह से उसकी जान को खतरा था, यह सवाल अनसुलझे हैं।
बच्चों की चीखों ने छठ पर्व का उत्साह किया फीका
श्यामू के परिवार में मातम छाया हुआ है। उसके पिता प्रमोद पांडे भिक्षाटन कर परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। माता लीलावती देवी, पत्नी सोना देवी और बच्चे गहरे दुख में डूबे हुए हैं। पत्नी बार-बार छाती पीटकर कहती हैं कि अब बेटियों की शादी कैसे होगी? परिवार का गुजारा कैसे होगा? मृतक की छह बेटियां और एक पांच साल का बेटा है। उसके बेटे आमोद की चीखें ‘पापा, पापा’ पूरे गांव में गूंज रही हैं। ये दृश्य इतना मार्मिक था कि देखने वाले की आंखें भी नम हो गईं।
साजिश की आशंका और सामान लापता
मौत के बाद मृतक का पर्स और टिकट के गायब होने ने भी मामले को और संदिग्ध बना दिया है। परिवार के मुताबिक, श्यामू की जेब से उसका पर्स और टिकट गायब था, जिससे संदेह बढ़ गया है कि शायद किसी साजिश के तहत उसकी हत्या की गई हो। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी नरकटियागंज के अनुमंडल प्रभारी सुनील कुमार वर्मा उर्फ गंगा वर्मा ने रेलवे विभाग और पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि यह कोई सामान्य घटना नहीं है, बल्कि किसी साजिश के तहत अंजाम दिया गया हो सकता है। उन्होंने उच्च अधिकारियों से मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
परिवार को सरकारी मदद की आशा की दरकार
मृतक के पिता प्रमोद पांडे का कहना है कि अब तक कोई जनप्रतिनिधि हाल-चाल लेने नहीं आया है। श्यामू पांडे चेन्नई में पिछले पांच सालों से काम कर रहे थे और परिवार के लिए कमाई का मुख्य जरिया थे। अब उनके परिवार पर गरीबी का साया गहरा गया है। परिवार के पास न तो कोई सरकारी सहायता पहुंची है और न ही किसी तरह का सहयोग मिला है।