Home विदेश उत्तर कोरिया ने यूक्रेन के दरवाजे पर अपनी सेनाएं तैनात कर दी...

उत्तर कोरिया ने यूक्रेन के दरवाजे पर अपनी सेनाएं तैनात कर दी हैं, जिससे क्षेत्रीय तनाव में इजाफा हुआ, अब मचेगा बबाल

23
0

यूक्रेन
यूक्रेन-रूस युद्ध को लेकर लगातार कई अहम मोड़ सामने आ हो रहे हैं। अब इस युद्ध में उत्तर कोरिया ने भी अपनी सैनिकों को झोंक दिया है। उत्तर कोरिया ने यूक्रेन के दरवाजे पर अपनी सेनाएं तैनात कर दी हैं, जिससे क्षेत्रीय तनाव में इजाफा हुआ है। रिपोर्ट्स के अनुसार, किम जोंग उन की सेना अब केवल कुछ मील की दूरी पर है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या वे यूक्रेन की सीमा में प्रवेश करेंगे। इसी बीच अमेरिका ने एक बार फिर यूक्रेन के समर्थन में खड़े होने का आश्वासन दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने चेतावनी दी है कि यदि उत्तर कोरिया की सेना यूक्रेन की भूमि पर कदम रखती है, तो जेलेंस्की सरकार को सख्त जवाब देना होगा।

पेंटागन के अनुसार, रूस के कुरस्क क्षेत्र में 10,000 उत्तर कोरियाई सैनिकों की तैनाती की खबरें आई हैं। इस स्थिति ने नई चिंताओं को जन्म दिया है कि क्या उत्तर कोरिया सीधे तौर पर यूक्रेन के संघर्ष में शामिल होने की योजना बना रहा है। पेंटागन ने यह भी बताया कि कम से कम 3,000 सैनिक पहले ही यूक्रेन की सीमा के निकट भेजे जा चुके हैं। यह माना जा रहा है कि उत्तर कोरिया, रूस की सेना के साथ मिलकर यूक्रेन के खिलाफ लड़ाई में भाग ले सकता है।

बाइडन ने इस बारे में चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि वे मौजूदा स्थिति और यूक्रेन की तैयारियों पर लगातार नजर रख रहे हैं। उन्होंने जेलेंस्की को सलाह दी है कि यदि उत्तर कोरियाई सैनिक सीमा पार करते हैं, तो उन्हें तत्काल जवाबी कार्रवाई करनी चाहिए।

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध ने 2022 के फरवरी महीने से एक गंभीर मोड़ लिया है। पिछले ढाई वर्षों में युद्ध ने केवल मानवीय संकट को बढ़ाया है, बल्कि कई देशों के साथ रूस के व्यापार संबंध भी प्रभावित हुए हैं। जबकि रूस की आक्रमणकारी नीति जारी है। भारत सहित अन्य देशों ने शांति स्थापित करने का प्रयास किया है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विशेष रूप से जेलेंस्की और पुतिन के साथ संवाद किया है और युद्ध समाप्त करने की अपील की है।

अमेरिका और उत्तर कोरिया के मोर्चे को देखें तो ऐसा लग रहा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध की स्थिति और प्रभावित हो सकती है। अब देखना होगा कि क्या उत्तर कोरिया अपनी आक्रामकता बढ़ाएगा या फिर अंतरराष्ट्रीय दबाव उसे रोकने में सक्षम होगा।