इस्लामाबाद। पाकिस्तान में विदेशी मुद्रा भंडार काफी तेजी से कम हो चुका है और विदेशी मुद्रा को देश से बाहर जाने से रोकने के लिए पाकिस्तान ने देश में लग्जरी सामानों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है। पाकिस्तान सरकार की कोशिश अर्थव्यवस्था को स्थिर करने की है और इसके लिए गैर-जरूरी और विलासिता के सामानों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। वहीं, पाकिस्तान के सूचना मंत्री ने वर्तमान समय में देश के हालात को आर्थिक आपातकाल के तौर पर वर्णित किया है। लग्जरी सामानों के आयात पर बैन पाकिस्तान का चालू खाता घाटा नियंत्रण से बाहर हो गया है और उसके विदेशी मुद्रा भंडार में काफी तेज गिरावट आई है जबकि पाकिस्तानी रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले ऐतिहासिक निचले स्तर पर आ गया है। पाकिस्तान की केन्द्रीय मंत्री मरियम औरंगजेब ने संवाददाताओं से कहा कि, ‘वे सभी गैर-जरूरी विलासिता की वस्तुएं जिनका व्यापक जनता द्वारा उपयोग नहीं किया जा है, उनके आयात पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है’। उन्होंने कहा कि, ये उपाय राजकोषीय अस्थिरता को दूर करने के लिए हैं, जिसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री इमरान खान की पिछली सरकार को दोषी ठहराया है। आपको बता दें कि, इमरान खान को पिछले महीने अविश्वास मत में देश की अर्थव्यवस्था को गलत तरीके से चलाने के आरोप में बाहर कर दिया गया था।
किन-किन सामानों के आयात पर लगा प्रतिबंध
पाकिस्तान की सूचना मंत्री मरियम औरंगजेब ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि, “देश में एक आपातकालीन स्थिति है।” जिन आयातों पर प्रतिबंध लगाया गया है, उनमें कार, सेल्युलर फोन, घरेलू उपकरण और सौंदर्य प्रसाधन शामिल हैं। हालांकि, अभी तक पाकिस्तान सरकार की तरफ से ये साफ नहीं किया गया है कि, ये प्रतिबंध कब तक रहेगा, लेकिन मरियन औरंगजेब ने कहा कि, अन्य वित्तीय उपायों के साथ-साथ यह कदम अगले दो महीनों के लिए महत्वपूर्ण विदेशी मुद्रा भंडार को बचाने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि, पाकिस्तान सरकार का मकसद इस साल विदेशी मुद्रा भंडार में 6 अरब डॉलर बचाने की है। हालांकि, पाकिस्तान पेट्रोलियम तेल और खाद्य तेल का आयात जारी रखेगा। नाजुक स्थिति में फंसा पाकिस्तान आपको बता दें कि, पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था इस वक्त काफी तेजी से बिगड़ रही है और पाकिस्तान को अगर फौरन मदद नहीं मिली, को देश के हालात अगले कुछ महीनों में श्रीलंका जैसे ही हो जाएंगे। कुछ अनुमानों में इस वित्तीय वर्ष में पाकिस्तान का चालू खाता घाटा लगभग 17 अरब डॉलर या उसकी जीडीपी से 4.5% से ज्यादा हो गया है।
पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी से गिरावट आई है और पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक ने इस महीने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा है कि, फरवरी के अंत में पाकिस्तान के पास 16.3 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार था, जिसमें 6 अरब डॉलर और खत्म हो चुके हैं और पाकिस्तान के पास अब सिर्फ 10 अरब डॉलर का ही विदेशी मुद्रा भंडार बचा है। वहीं, पाकिस्तान की फाइनेंस टीम कतर की राजधानी दोहा में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से दोबारा बातचीत शुरू करने की कोशिश कर रही है। क्या कहते हैं पाकिस्तान के आर्थिक विश्लेषक? इस्लामाबाद स्थित पाकिस्तानी राजनीतिक वैज्ञानिक, अर्थशास्त्री और वित्तीय फारुख सलीम ने एशिया टाइम्स से बात करते हुए कहा कि, ‘डॉलर के प्रवाह में कमी और चीन, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) सहित मित्र देशों से समर्थन की कमी के कारण रुपये पर काफी दबाव बढ़ रहा है’।
उन्होंने कहा कि, “अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के 6 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज मिलने में देरी ने भी देश में विदेशी मुद्रा भंडार को कम कर दिया है।” रिकॉर्ड स्तर पर गिरा पाकिस्तानी रुपया उन्होंने कहा कि, पाकिस्तानी रुपया, डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ चुका है, जिसकी वजह से पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज अतिरिक्त 900 अंक गिरा है। फारुख सलीम के मुताबिक, पाकिस्तान के वित्त बाजार में लगातार हादसे हो रहे हैं और स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) के पास केवल 10.44 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार बचा है, जिसमें सऊदी अरब, चीन और संयुक्त अरब अमीरात से मिले 6 अरब डॉलर का कर्ज शामिल है। और अगर इन्हें बाहर निकाल दें, तो पाकिस्तान के पास सिर्फ 4.44 अरब डॉलर का ही कर्ज बचा है और आप समझ सकते हैं, कि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति क्या है। फारुख ने इस स्थिति से निपटने के लिए वित्तीय आपातकाल का आह्वान करना चाहिए।
सरकार के पास क्या हैं विकल्प?
पिछले महीने सत्ता में आई संयुक्त गठबंधन की शहबाज शरीफ सरकार के लिए सबसे बड़ी चिंता यह है, कि देश में लगातार खत्म होते विदेशी मुद्रा भंडार के क्षरण को कैसे रोका जाए और अविश्वास मत से कुछ दिन पहले पिछली सरकार द्वारा दी गई गैर-वित्त पोषित ईंधन सब्सिडी को कैसे वित्तपोषित किया जाए। इमरान खान ने सत्ता से जाने से पहले बिजली बिलों पर बड़ी सब्सिडी दे दी थी और अब शहबाज शरीफ के सामने मुश्किल ये है, कि वो बिजली बिलों से सब्सिडी कैसे हटा लें, क्योंकि कुछ महीनों बाद चुनाव हैं और अगर सब्सिडी नहीं हटाते हैं, तो विदेशी मुद्रा भंडार और ज्यादा रफ्तार से गिरेगा। आयात बिल भरने की स्थिति नहीं स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के पास अब सिर्फ करीब 10 अरब डॉलर बचे हैं और इतने पैसे से पाकिस्तान सिर्फ एक महीने का ही आयात बिल भर सकता है। लिहाजा, पाकिस्तान सरकार के पास गैर-जरूरी सामानों के आयात पर प्रतिबंध लगाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा था।