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जिले में भ्रष्टाचार चरम पर…DMF फंड से अवैध कालोनी में निर्मित सड़क में हुए भ्रष्टाचार पर लीपापोती… PWD EE को जांच का जिम्मा…3 महीने बाद भी जांच नहीं…कलेक्टर का आदेश बेअसर…जनपद CEO, RES SDO और E को बचाने चल रहा बड़ा खेल…मुख्यमंत्री, CS और ACB से शिकायत…

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मुंगेली/ हाल ही में मुंगेली जिला भ्रष्टाचार, अनियमितताओं, गैरकानूनी कार्यो को लेकर काफी चर्चित हो गया हैं। जिला प्रशासन की नाकामियों की वजह से कम समय में ही मुंगेली भ्रष्टाचार, अनियमितताओं के लिए प्रदेश भर में प्रसिद्ध हो गया हैं, कई विभागों के भ्रष्टाचार को लेकर आये दिन शिकायत होते रहते हैं जो समाचारों में भी प्रकाशित होते रहता हैं। उसके बाद भी जिला प्रशासन की ओर से कोई कार्यवाही नहीं की जा रही हैं, न ही शिकायत पर कोई अपडेट लिया जा रहा हैं, जिससे कि संदेह की स्थिति उत्पन्न हो रही हैं।

हाल ही में मुंगेली जिले में डीएमएफ मद से हुए सड़क निर्माण में भारी भ्रष्टाचार, अनियमितता देखने को मिला। जिले के खनिज न्यास फंड (डीएमएफ) से खर्च को लेकर अफसरों की मनमानी का मामला सामने आया है। फंड के पैसों का दुरुपयोग कर मनचाहे जगह पर उपयोग किया गया, जो कि नियम विरुद्ध हैं। हम ऐसे भ्रष्टाचार की बात करेंगे जिसमें एक ग्राम पंचायत ने नगर पालिका क्षेत्र के अवैध कालोनी में डीएमएफ मद से करीब 14.98 लाख रुपये का सड़क निर्माण किया हैं। जो भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया और करीब 3 महीने के भीतर ही यह सड़क भयंकर जर्जर हो गई। जिससे इस सड़क निर्माण में हुआ भ्रष्टाचार स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा हैं। कालोनीवासियों ने बताया कि बिलासपुर रोड स्थित सोनकर सेल्स के पीछे की कालोनी को नगर पालिका द्वारा अवैध कालोनी हैं कहकर सड़क नाली नहीं बनाया जा रहा था, बड़ी मुश्किल से जब यह सड़क डीएमएफ मद से बना तो यह भी बनते ही उखड़कर जर्जर हो गया, जो दुर्भाग्यपूर्ण हैं। अब इसमें सबसे बड़ा प्रश्न यह उठता हैं कि अगर इस सड़क का निर्माण कार्य किया गया तो इसकी सतत निगरानी और गुणवत्ता की जांच क्यों नहीं की गई और निगरानी की गई तो किसके द्वारा की गई ? इसका भुगतान कितना, कब और किसके द्वारा किया गया ? यह जांच का विषय हैं। क्षेत्रवासियों का कहना हैं कि यदि जनता की सुविधा के लिए डीएमएफ मद से सड़क निर्माण किया गया तो सड़क निर्माण गुणवत्तापूर्ण किया जाना चाहिए था।
इस सड़क निर्माण भ्रष्टाचार की शिकायत अधिवक्ता स्वतंत्र तिवारी द्वारा कलेक्टर जनदर्शन में दिनांक 5/7/2024 को की गई थी शिकायत में बताया गया कि अभी हाल ही में नगर पालिका क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले अवैध कालोनी में डीएमएफ मद से ग्राम पंचायत करही द्वारा 14.98 लाख की लागत से सीसी रोड निर्माण कार्य कराया गया हैं। जानकारी के मुताबिक यह सड़क निर्माण करीब 6-7 माह पूर्व ही कराया गया हैं, परंतु वर्तमान में यह सड़क पूरी तरह से जर्जर हो चुका हैं, गिट्टियां निकलकर बिखरी हुई है. जगह-जगह गढ्ढे हो रहे हैं, जिससे धूल भी बहुत ज्यादा होती हैं। सड़क निर्माण होते ही यह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह हैं कि नगर पालिका द्वारा इस क्षेत्र को अवैध कालोनी मानते हुये कोई सडक नाली नहीं बनाया गया तो फिर ग्राम पंचायत करही किसके आदेश, किस नियम अधिनियम या आधार के तहत नगर पालिका क्षेत्र के अवैध कालोनी में सड़क निर्माण करायेगी। जबकि पूर्व में जिला प्रशासन को अवैध कालोनी में सड़क नाली संबंधी निर्माण कार्य न करने लिखित में भी दिया जा चुका है. क्योंकि सड़क, नाली, बिजली सहित कई मूलभूत सुविधा कालोनाईजर को नियमानुसार देना चाहिये। नगर पालिका के अवैध प्लाटिंग व अवैध कालोनी में ग्राम पंचायत करही द्वारा डीएमएफ मद से जो सड़क बनाया गया है उसमें भ्रष्टचार स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा हैं। इससे राज्य शासन को भी भारी आर्थिक क्षति हुई हैं, इस सड़क निर्माण कार्य का जो बोर्ड लगाया गया है वह मुख्य द्वार पर न लगा अंतिम छोर में लगाया गया है ताकि किसी की नजर न पड़े और इस बोर्ड पट्टिका में कार्य प्रारंभ व समयसीमा का कोई उल्लेख नहीं किया गया है जो अपने आप में संदेहास्पद हैं। साथ ही इस सड़क निर्माण में ग्राम पंचायत करही द्वारा क्या मुंगेली नगर पालिका से सहमति या अनापत्ति प्रमाण लिया जाना चाहिए था या नहीं ? और क्या ग्राम पंचायत करही को नगर पालिका क्षेत्र के अवैध कालोनी में सड़क निर्माण का अधिकार हैं ? यह सब जांच का विषय हैं। मामले में दोषियों पर वैधानिक व कड़ी कार्यवाही करने तथा भुगतान रोकने की मांग की गई थी।
उक्त शिकायत के बाद दिनांक 10/07/2024 को कलेक्टर कार्यालय के ज्ञापन निकाल कार्यपालन अभियंता लोक निर्माण विभाग मुंगेली को जांच का जिम्मा दिया गया पर 3 माह से अधिक समय हो गया, न ही जांच हुआ और न ही इस संबंध में कोई जानकारी देने तैयार हैं ऐसे में ऐसा प्रतीत हो रहा हैं कि मामले की लीपापोती की जा रही हैं। इसमें जनपद पंचायत सीईओ, आरईएस एसडीओ सहित इंजीनियर की संलिप्तता बताई जा रही हैं, बड़े अधिकारियों को बचाने जाँच में लापरवाही बरती जा रही हैं। जांच व कार्यवाही न होने पर अगले हफ्ते इस मामले की मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और एंटी करप्शन ब्यूरो को शिकायत की जायेगी।