नई दिल्ली
देश में बेरोजगारी बढ़ने के विपक्ष के दावों के बीच सरकार की ओर से पेश नए आंकड़े विपरीत स्थिति दिखा रहे हैं। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अनुसार, 2016-17 और 2022-23 के बीच देश में रोजगार के अवसर 36 प्रतिशत बढ़े और 1.7 करोड़ लोगों को नए रोजगार मिले। इसी अवधि के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की औसत विकास दर 6.5 प्रतिशत रही। मंत्रालय के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक के केएलईएमएस डेटाबेस से प्राप्त रोजगार के आंकड़े 1980 के दशक से रोजगार में लगातार वृद्धि को दर्शाते हैं।
मंत्रालय ने कहा, "भारत ने पिछले कुछ वर्षों में रोजगार में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है। देश की आर्थिक प्रगति प्रमुख क्षेत्रों में निरंतर रोजगार सृजन को दर्शाती है। एक मजबूत लोकतंत्र, गतिशील अर्थव्यवस्था और विविधता में एकता का जश्न मनाने वाली संस्कृति के साथ, वैश्विक महाशक्ति बनने की दिशा में भारत की यात्रा दुनिया को प्रेरित करती रहती है।"
साल 2017 से 2023 तक के पीएलएफएस डेटा से यह भी पता चलता है कि इस अवधि के दौरान श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर) 34.7 प्रतिशत से बढ़कर 43.7 पर पहुंच गया है जो लगभग 26 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। मंत्रालय ने बताया है कि देश का आर्थिक विकास उपभोग से प्रेरित है, जो सीधे रोजगार से जुड़ा हुआ है। उपभोग में वृद्धि का मतलब है कि रोजगार सृजन हो रहा है। साथ ही यदि रोजगार सृजन मुख्य रूप से कम वेतन वाली नौकरियों में होता तो खपत में गिरावट आती। अनुमानों से पता चलता है कि 2017-23 की अवधि के दौरान सकल मूल्य संवर्धन (जीवीए) में हर एक प्रतिशत की वृद्धि के साथ नौकरियों में 1.11 प्रतिशत की वृद्धि हुई।मंत्रालय ने जोर देते हुए कहा, "आपूर्ति पक्ष का तर्क कि सेवाएं कम रोजगार पैदा करती हैं, इन टिप्पणियों के विपरीत है। इसलिए, आपूर्ति और मांग दोनों पक्षों से, देश की आर्थिक दिशा किसी भी प्रकार की बेरोजगारी की तरफ नहीं बढ़ रही है।"
वित्त वर्ष 2023-24 में देश का आर्थिक प्रदर्शन मजबूत वृद्धि को दर्शाता है। वित्त वर्ष 2022-23 में सात प्रतिशत की आर्थिक विकास दर की तुलना में वित्त वर्ष 2023-24 में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (रियल जीडीपी) में 8.2 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। इसके अलावा, नॉमिनल जीडीपी में वित्त वर्ष 2022-23 में 14.2 प्रतिशत की वृद्धि दर की तुलना में वित्त वर्ष 2023-24 में 9.6 प्रतिशत की वृद्धि दर देखी गई।