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फ्रांस में बुर्किनी पर फिर प्रतिबंध लगाने की तैयारी

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पेरिस। फ्रांस में मुस्लिम महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले स्विमसूट बुर्किनी को लेकर एक बार फिर से बहस छिड़ गई है. दरअसल, फ्रांस के ग्रेनोबल शहर के मेयर ने स्विमिंग पूल नियमों को बदल दिया जिसके बाद सरकारी स्विमिंग में बुर्किनी समेत सभी तरह के स्विमसूट पहनने की छूट मिल गई. इसे लेकर फ्रांस के गृह मंत्री गेराल्ड डारमैनिन ने कहा है कि ये अस्वीकार्य है और वो सरकारी स्विमिंग पुल में बुर्किनी पहनने के फैसले को उलट देंगे.
बुर्किनी मुस्लिम महिलाओं द्वारा पहना जाने वाला स्विमसूट है जिसका इस्तेमाल महिलाएं नहाते समय अपने बालों और शरीर को ढकने के लिए करती हैं. फ्रांस में आलोचक इसे देश के इस्लामीकरण के प्रतीक के रूप में देखते हैं और ये हमेशा से एक विवादास्पद मुद्दा रहा है.
रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रेनोबल के अल्पाइन शहर के मेयर ने घोषणा की कि सरकारी स्विमिंग पूल में महिला-पुरुष अपनी पसंद से कपड़े, जिसमें बुर्किनी भी शामिल है, पहनकर नहा सकेंगे. महिलाओं के लिए पहले स्विमिंग पूल में एक तरह का पारंपरिक स्विमसूट और पुरुषों के लिए ट्रंक पहनना अनिवार्य था लेकिन अब ये नियम बदल दिया गया है.
शहर के मेयर की इस घोषणा को गृह मंत्री गेराल्ड डारमैनिन ने अस्वीकार्य और भड़काऊ बताया. उन्होंने कहा कि ये फ्रांस के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के विपरीत है और वो इस फैसले को कानूनी रूप से चुनौती देंगे.
पिछले साल फ्रांस की संसद में ‘इस्लामी अलगाववाद’ का मुकाबला करने के लिए एक नया कानून बनाया गया था. इस कानून के तहत सरकार उन फैसलों को चुनौती दे सकती है जो फ्रांस की सख्त धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को कमजोर करने की ताकत रखती हैं. ये कानून राज्य को धर्म से अलग करने पर जोर देता है.
साल 2016 की गर्मियों में फ्रांस के समुद्र तटों पर बुर्किनी पर प्रतिबंध लगाने के लिए कई स्थानीय महापौरों ने कोशिश की थी और वे सफल भी हुए थे. इसके बाद सार्वजनिक स्थानों पर नहाते वक्त बुर्किनी पर प्रतिबंध लगा दिया गया. हालांकि, बाद में भेदभावपूर्ण होने के कारण इस प्रतिबंध को हटा लिया गया.
ग्रेनोबल के मेयर एरिक पिओल एक वामपंथी गठबंधन का नेतृत्व करते हैं और वो इस फैसले को शहर की बड़ी जीत के रूप में देख रहे हैं.
पियोल ने फ्रांस के ब्रॉडकास्टर रेडियो आरएमसी को बताया, ‘हम सिर्फ इतना चाहते हैं कि महिलाएं और पुरुष अपनी मर्जी से कपड़े पहन सकें.’
ईईएलवी पार्टी के प्रमुख, जूलियन बेउ ने फैसले का समर्थन करते हुए तर्क दिया कि इस फैसले का धर्मनिरपेक्षता कानूनों से कोई लेना-देना नहीं है. यही कानून नागरिकों के अधिकारों की गारंटी देते हैं कि वे अपने धर्म का स्वतंत्र रूप से अभ्यास करें.
उन्होंने कहा, ‘मैं चाहता हूं कि मुस्लिम महिलाएं अपने धर्म का पालन करने में सक्षम हों, उन्हें इस बात की आजादी हो कि वो चाहे तो अपने धर्म का पालन करें और न चाहें तो न करें. मैं चाहता हूं कि उन्हें तैरने से न रोका जाए. उनसे ये अपेक्षा न की जाए कि वो दूसरों की मर्जी से कपड़े पहनें.’