Home मध्यप्रदेश साक्षरता कार्यक्रम में डिजिटल तकनीक का किया जा रहा है उपयोग

साक्षरता कार्यक्रम में डिजिटल तकनीक का किया जा रहा है उपयोग

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भोपाल
प्रदेश में शिक्षा से वंचित 15 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोगों को पढ़ना-लिखना सिखाने के लिये नव भारत साक्षरता कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम में मूलभूत साक्षरता एवं संख्यात्मक मूल्यांकन परीक्षा 22 सितम्बर रविवार को 52 जिलों में एक साथ सम्पन्न हुई। साक्षरता परीक्षा में 15 लाख से अधिक परीक्षार्थी शामिल हुए। परीक्षा में महिलाओं की भागीदारी ज्यादा रही। प्रदेश में साक्षरता कार्यक्रम स्कूल शिक्षा विभाग संचालित कर रहा है। राज्य में अभी तक उत्तीर्ण नव साक्षर की संख्या 82 लाख 53 हजार से अधिक हो गई है।

साक्षरता कार्यक्रम में डिजिटल तकनीक का उपयोग
नव भारत साक्षरता कार्यक्रम 'उल्लास' में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से डिजिटल तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। इसके लिये प्रदेश में गठित राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण द्वारा एप विकसित किया गया है। डोर-टू-डोर सर्वे एवं साक्षरता कक्षाओं की मॉनीटरिंग जियो टैग के माध्यम से की जा रही है। प्रदेश में असाक्षर व्यक्ति जिन्हें बुनियादी साक्षरता का ज्ञान नहीं है या साक्षरता का प्रमाण-पत्र नहीं है, उन्हें बुनियादी साक्षरता संख्यात्मक के साथ महत्वपूर्ण जीवन-कौशल जैसे वित्तीय साक्षरता, कानूनी जागरूकता, डिजिटल साक्षरता और व्यावसायिक कौशल सिखाने के लिये यह कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। साक्षरता कार्यक्रम में स्वयंसेवी संगठनों, युवाओं, एनसीसी एवं स्काउट गाइड के केडिट्स की मदद ली जा रही है। प्रदेश में असाक्षर व्यक्ति को "उल्लास अक्षर पोथी" के माध्यम से पढ़ाई कराई जा रही है। रविवार को हुई परीक्षा में शामिल परीक्षार्थियों की एंट्री ऑनलाइन पोर्टल पर की गई है।

मॉनीटरिंग में केन्द्र सरकार के प्रतिनिधि हुए शामिल
मूलभूत साक्षरता एवं संख्यात्मक मूल्यांकन परीक्षा में केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय के साक्षरता विभाग के प्रतिनिधि शामिल हुए। प्रतिनिधियों ने भोपाल, रायसेन, सीहोर एवं देवास जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में पहुँचकर परीक्षा की मॉनीटरिंग की। प्रदेश में नव भारत साक्षरता कार्यक्रम उल्लास वर्ष 2022 से शुरू हुआ है और यह कार्यक्रम वर्ष 2027 तक निरंतर संचालित होगा। अभी तक 3 मूल्यांकन परीक्षाओं का आयोजन किया जा चुका है। उल्लास नव भारत साक्षरता कार्यक्रम में शामिल स्वयं-सेवकों को अक्षर साथी का नाम दिया गया है। साक्षरता से जुड़े पाठ्यक्रमों को वीडियो के जरिये व्हाट्स-अप ग्रुप, यू-ट्यूब और पोर्टल के माध्यम से पहुँचाया जा रहा है।

 

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