भोपाल। दिल्ली में प्रचंड जनादेश पाकर दोबारा सत्ता में आई आम आदमी पार्टी अब फिर अपनी सरकार का कामकाज शुरू कर चुकी है। सत्ता के रेड कार्पेट कल्चर की तमाम कहानियों के बीच एक कहानी दिल्ली के एक ऐसे विधायक की भी है, जिसके पिता आज भी मध्य प्रदेश के शहर भोपाल में एक आम जिंदगी गुजार रहे हैं।
दिल्ली के जंगपुरा से आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते प्रवीन कुमार भले ही सियासत के माननीय बने हों, लेकिन उनके पिता पीएन देशमुख आज भी भोपाल में अपनी टायर रिपेयरिंग शॉप चलाकर परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं। बेटे की जीत पर गौरवान्वित देशमुख अपने बेटे की मेहनत को सलाम करते नहीं थकते। वहीं वह हमेशा यह भी कहते हैं कि भले ही उनका बेटा कितना भी सफल हुआ हो, लेकिन वह अब भी एक सामान्य जिंदगी जी कर ही खुश हैं।
भोपाल के बोगड़ा पुल इलाके में पंक्चर बनाने की दुकान चलाने वाले पीएन देशमुख कहते हैं कि उनका बेटे प्रवीण अक्सर उनसे दिल्ली आकर उनके साथ रहने के लिए कहते हैं। हालांकि परिवार के साथ रहने की ख्वाहिश पीएन देशमुख को भोपाल से जाने नहीं देती। पीएन देशमुख कहते हैं, भोपाल की इसी टायर रिपेयरिंग शॉप की कमाई से ही मेरे बच्चे पढ़ लिखकर शिक्षित बने और इस मुकाम तक पहुंचे। ऐसे में उनके सफल होने के बाद इस दुकान को छोड़ना मेरे लिए संभव नहीं होगा।
प्रवीण के भाई हैदराबाद में करते हैं नौकरी
पीएन देशमुख बताते हैं कि उनके दो बेटों में प्रवीन छोटे हैं और दिल्ली में विधायक हैं। प्रवीण के बड़े भाई हैदराबाद की एक कंपनी में काम करते हैं। प्रवीण कुमार देशमुख मूल रूप से भोपाल के ही रहने वाले हैं और उन्होंने यहीं एमबीए तक की शिक्षा हासिल की है। प्रवीण दो बार दिल्ली की जंगपुरा सीट से चुनाव जीत चुके हैं। पीएन देशमुख बताते हैं कि भोपाल से दिल्ली जाने से पहले प्रवीण सोशल सर्विस के लिए काफी उत्साहित कहते थे। अपने जमाने के एक स्टार एनसीसी कैडेट रहे प्रवीण ने एक समय अपनी नौकरी का आवेदन इसलिए वापस ले लिया था, क्योंकि वह चाहते थे कि उनकी जगह उनके एक दोस्त को कंपनी में जॉब मिल जाए क्योंकि उसे उसकी ज्यादा जरूरत थी।
2011 में केजरीवाल के साथ आए थे प्रवीण
पीएन देशमुख ने बताया कि प्रवीण 2011 में अरविंद केजरीवाल के संपर्क में आए थे और 2012 के अन्ना आंदोलन के दौरान उन्होंने दिल्ली में सक्रिय रूप से कैंपेन किया। 2013 में आम आदमी पार्टी ने प्रवीण को दिल्ली से प्रत्याशी बनाया। शुरुआती तौर पर प्रवीण इससे परेशान थे कि चुनाव लड़ने में जो पैसे खर्च होंगे उनका इंतजाम कहां से होगा। लेकिन परिवार ने जब उन्हें भरोसा दिया तो प्रवीण चुनावी मैदान में उतर गए। पीएन देशमुख ने कहा कि उन्होंने हमेशा अपने बेटों को मेहनत से काम करने और सच्चाई के रास्ते पर चलने की सलाह दी थी और इसी के बल पर दिल्ली में प्रवीण को एक सामान्य परिवार से होने के बावजूद दो बार चुनाव भी जीतने का मौका मिला।