मुंगेली/ भ्रष्टाचार की पर्याय बनी मुंगेली नगर पालिका में आये दिन कुछ न कुछ अजीबोगरीब मामला देखने सुनने को मिल जाता हैं। पहले बीआर साव स्कूल में अवैध कॉम्प्लेक्स निर्माण में एफआईआर दर्ज हुआ, उसके बाद 13 लाख के नाली भ्रष्टाचार मामले में बड़े अधिकारी और जनप्रतिधि जेल जा चुके हैं और वर्तमान में मवेशी बाजार की वसूली राशि के गबन मामले में भी नगर पालिका के अधिकारी, कर्मचारी जेल में हैं।
अभी यहां कुछ वर्ष पुराने नाली निर्माण घोटाले का ज़िक्र करना आवश्यक हो जाता हैं, आपको बता दें कि कागज में नाली निर्माण कर, किये गए भुगतान मामले में सिटी कोतवाली मुंगेली में 6 लोगों के विरुद्ध अपराध पंजीबद्ध हुआ था, जिसमें आईपीसी की धारा 420, 34 के तहत मामला दर्ज किया गया था, मामले में बयान के बाद एवं विवेचना के दौरान आरोपियों के विरुद्ध आईपीसी की धारा 120(B), 409, 467,468 और 471 जोड़ा गया था। कागज में नाली निर्माण कर भुगतान वाले मामले की शिकायत जनप्रतिनिधियों द्वारा तत्कालीन मुंगेली कलेक्टर से किया गया था. कलेक्टर द्वारा तत्कालीन SDM को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया, तत्कालीन SDM द्वारा मामले की सूक्ष्मता से जांच किया और अंतरिम और अंतिम रिपोर्ट कलेक्टर को प्रेषित किया गया था। जांच रिपोर्ट में नाली निर्माण हुए बिना राशि आहरित किये जाने की पुष्टि हुई थी, उच्च स्तरीय जांच में भ्रष्टाचार होना पाया गया, जिसके बाद तत्कालीन कलेक्टर ने तत्कालीन CMO को लिखित आदेश देते हुए भ्रष्टाचार में संलिप्त तत्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष संतुलाल सोनकर, तत्कालीन सीएमओ विकास पाटले, तत्कालीन इंजीनियर जोयस तिग्गा, सियाराम साहू, आंनद निषाद, सोफिया कंट्रक्शन के प्रोपाइटर ठेकेदार सहित 6 लोगों के खिलाफ थाने में आपराधिक प्रकरण दर्ज करने कहा गया था, जिसके चलते इन 6 लोगों के खिलाफ सिटी कोतवाली में अपराध पंजीबद्ध हुआ, जिसके बाद सभी क्रमशः जेल गए और जिला एवं सत्र न्यायालय से इन आरोपियों की जमानत याचिका खारिज भी हुई, बाद में हाईकोर्ट से इन्हें जमानत मिला। मिली जानकारी के अनुसार इस मामले में अभियोग पत्र पेश करने के बाद से यह मामला न्यायालय में लंबित हैं, जिसकी अगली पेशी तारीख इसी सितम्बर माह की 29 तारीख को हैं।
यह बात बताने का उद्देश्य यह हैं कि नाली भ्रष्टाचार के सभी 6 आरोपियों का मामला अभी भी न्यायालय में लंबित हैं ऐसे में नगर पालिका मुंगेली के मुख्य नगर पालिका अधिकारी द्वारा दिनांक 03/09/2024 को आदेश निकाल नाली घोटाले के आरोपी लोक निर्माण विभाग प्रभारी लिपिक सहायक राजस्व निरीक्षक सियाराम साहू को पुनः लोक निर्माण विभाग का प्रभार, दायित्व सौंप दिया गया हैं, जिसके चलते यहां बवाल मचा हुआ हैं। कई जनप्रतिनिधियों और नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जब सहायक राजस्व निरीक्षक सियाराम साहू के विरुद्ध भ्रष्टाचार, घोटाले का मामला न्यायालय में लंबित हैं जिस लोक निर्माण विभाग के प्रभारी लिपिक रहते हुए उनके खिलाफ अपराध पंजीबद्ध हुआ था, तो ऐसे में पुनः उसे इतने महत्वपूर्ण लोक निर्माण विभाग का दायित्व क्यों सौंप दिया गया हैं ? क्या सीएमओ के ऊपर किसी का दबाव था ? या राज्य शासन के किसी बड़े नेता या जनप्रतिधि ने इस मामले में विशेष रुचि लिया हैं ? ऐसे कई प्रश्न हैं जो जनप्रतिधि उठा रहे हैं, उनका यह भी कहना हैं कि जब पहले इतने बड़े घोटाले को अंजाम दिया गया तो इस बात की क्या गारंटी हैं कि आगे फिर भ्रष्टाचार करने, गबन करने की प्लानिंग नहीं होगी ? साथ ही इस मामले में मुंगेलीवासियों ने कहा कि यह मामला प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान पर धब्बा हैं, डिप्टी सीएम अरुण साव के गृहजिले के नगर पालिका में अगर ऐसे भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों को बढ़ावा मिलेगा तो आने वाले समय में फिर बड़े घोटाले को अंजाम दिया जा सकता हैं।
सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न यह हैं कि नाली घोटाले के आरोपी सियाराम साहू जब जेल गए उसके बाद उनका निलंबन आदेश कब जारी हुआ, कब उनकी बहाली हुई, और इन आदेशों-निर्देशों में क्या उल्लेख किया गया हैं ? इसकी जानकारी नहीं मिल पाई हैं हालांकि जानकारी मिली हैं कि पुनः लोक निर्माण विभाग का प्रभार सियाराम को देने के संबंध में विस्तृत जानकारी, नियमावली, आधारों, नियम-शर्तो की जानकारी सूचना के अधिकार के तहत मुंगेली नगर पालिका से लेकर नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग से मांगी जायेगी।
बहरहाल सियाराम साहू को किस नियम, शर्त व आधार पर पुनः उसी लोक निर्माण विभाग का प्रभार दिया गया हैं, उसकी जानकारी एकत्र की जा रही हैं, हालांकि जनता को इस विभागीय नियमों, तकनीकी की जानकारी नहीं होती तो वे अपने सामान्य लहजे में कह रही हैं कि जब तक मामला न्यायालय में लंबित हैं सियाराम साहू को लोक निर्माण विभाग का प्रभार नहीं दिया जाना था, भले ही उसे कोई दूसरा प्रभार दिया जा सकता था।
नाम गुप्त रखने की शर्त पे एक जनप्रतिधि ने बताया कि सहायक राजस्व निरीक्षक सियाराम साहू के पदस्थापना के समय की कई महत्वपूर्ण फाइलें गायब हैं, अब ऐसे में हाल ही में पदस्थ हुए नए मुख्य नगर पालिका अधिकारी आशीष तिवारी के सामने कई चुनौतियां हैं, कि उनसे कोई अधीनस्थ अधिकारी या कर्मचारी कोई गलत दस्तावेज पर हस्ताक्षर या नियम विरुद्ध भुगतान न करा दे। फिलहाल इस मामले में संबंधित अधिकारी से कोई संतुष्टिपूर्ण जवाब नहीं मिल पाया। फिलहाल मामले में अच्छे से जांच भी होनी चाहिए कि क्या किसी भ्रष्टाचार के आरोपी को पुनः वही प्रभार क्यों दिया गया ? या नियम या शासन के कोई आदेश के तहत प्रभार दिया जा सकता हैं ? जिस विभाग के प्रभार में रहते हुए उस पर आपराधिक प्रकरण दर्ज हो गए और उन्हें जेल जाना पड़ा ? नगर पालिका को ऐसे नियम, दिशा-निर्देश और आदेशों को सार्वजनिक किया जाना चाहिए जिनके आधार या आदेश पर पुनः जो लोक निर्माण विभाग का प्रभार दिया गया हैं।
अब देखना यह हैं कि क्या सियाराम साहू नगर पालिका में लोक निर्माण विभाग का प्रभार ग्रहण करते हैं या नहीं ? क्या उन्हें जनप्रतिनिधियों और नेताओं का विरोध के बाद इस प्रभार से मुक्त होना पड़ सकता हैं जिसके चलते नया संसोधित आदेश निकाला जा सकता हैं ?
करोड़ों के निर्माण कार्यों की फाइल गायब करने अहम भूमिका…
आपको बता दे कि मुंगेली निवासी अधिवक्ता स्वतंत्र तिवारी द्वारा सूचना के अधिकार के तहत नगर पालिका परिषद मुंगेली से खड़खड़िया नाला में नगर पालिका द्वारा बनाये गये स्टार्म वाटर ड्रेन की लागत, प्राक्कलन, कार्यपूर्ण प्रमाण पत्र, सत्यापन, मूल्यांकन, कार्यादेश, नोटशीट तथा भुगतान सहित समस्त दस्तावेजों की सत्यापित सत्यप्रतिलिपि की मांग किया गया था। निर्धारित समय में नगर पालिका के जनसूचना अधिकारी द्वारा जानकारी नहीं दी गई, जिसकी प्रथम अपील की गई।
उसके बाद नगर पालिका द्वारा अपने पत्र क्रमांक/2058/सू. अ./2005/न.पा./2023-24 मुंगेली दिनांक 11/09/2023 के माध्यम से बताया गया कि कार्यालयीन सूचना पत्र क्र. 969 दिनांक 21.06.2023, स्मरण पत्र क्र. 1421 दिनांक 24. 07.2023 एवं स्मरण पत्र क्र. 1786 दिनांक 18.08.2023 को लोक निर्माण प्रभारी लिपिक को जानकारी उपलब्ध कराने हेतु सूचना पत्र / स्मरण पत्र दिया गया ततसंबंध में प्रभारी लिपिक द्वारा कार्यालयीन पत्र क्र. 1832 दिनांक 22.08.2023 को लिखित में सूचना पत्र/प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया कि उक्त के संबंध में पूर्व पदस्थ तत्कालिन लोक निर्माण प्रभारी लिपिक सियाराम साहू द्वारा निकाय से भारमुक्त होने के पहले उक्त संबंधित नस्ती का कार्यभार नही सौंपा गया जिसके कारण उक्त निर्माण कार्य से संबंधित नस्ती उपलब्ध कराया जाना संभव नही है। अतः लेख है कि उक्त चाही गई जानकारी निकाय में उपलब्ध नही होने के कारण दिया जाना संभव नहीं है।
अब सोचिए जो लिपिक करोड़ों रुपये की फाइल गायब कर सकता हैं उससे ईमानदारी की उम्मीद कैसे किया जा सकता हैं ? सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जैसे ही करोड़ों के निर्माण कार्य के फ़ाइल गायब की जानकारी सूचना के अधिकार के तहत हुई और इस मामले को लेकर समाचार भी प्रकाशित हुआ, तब इस फाईल गायब मामले में सियाराम साहू द्वारा अधिकारियों और पुलिस विभाग में एक लिखित आवेदन देते हुए खुद को पाक साफ बताने कोशिश की गई और अपनी पूरी गलती दूसरों पर डालने की पूरी कोशिश की गई। हालांकि इसमें जांच पेंडिंग हैं।
बहरहाल अब इस मामले में नए सिरे से जांच की मांग करते हुए लिखित शिकायत कर एफआईआर दर्ज की मांग की जाने की तैयारी चल रही हैं।