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सेना प्रमुख के पद पर नरवणे का आज आखिरी दिन, बोले- पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने को भारत तैयार, लेकिन छोड़े कश्मीर राग

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नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम पर सहमत होने के एक साल से अधिक समय बाद भारतीय सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने कहा है कि “सीमा पर संघर्ष विराम उल्लंघन किसी के हित में नहीं है। भारत पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंध बनाने के लिए उत्सुक है, लेकिन उन्हें (पाकिस्तान को) पहले आतंकवाद के समर्थन और जम्मू-कश्मीर पर अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करने के प्रयासों पर लगाम लगानी होगी।” आपको बता दें कि नरवणे का आज सेना प्रमुख के पद पर आखिरी दिन है। हाल ही में पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने कहा था कि नियंत्रण रेखा पर स्थिति पिछले एक साल में काफी शांतिपूर्ण रही है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि कूटनीति और बातचीत के जरिए भारत के साथ कश्मीर मुद्दे का समाधान करने के लिए पाकिस्तान तैयार है।
इंटरव्यू में जनरल नरवणे ने कहा, “जब आपका पड़ोसी देश अस्थिर होता है तो यह हमें मदद नहीं करता है। हमारे पड़ोस में अस्थिरता मदद नहीं करती है। हम उनके साथ अच्छे संबंध बनाने के लिए इच्छुक हैं, लेकिन उन्हें पहले आतंकवाद के समर्थन और जम्मू-कश्मीर पर अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करने के प्रयासों पर लगाम लगानी होगी।” भारत-पाकिस्तान युद्धविराम पर उन्होंने कहा: “सीमा पर संघर्ष विराम उल्लंघन किसी के हित में नहीं है। हमारे चारों ओर शांति हमारा लक्ष्य है। यदि पड़ोस स्थिर है तो एक राष्ट्र के रूप में हम स्वतः ही सुरक्षित हो जाते हैं। नियंत्रण रेखा के पास के नागरिकों को युद्धविराम से बहुत लाभ हुआ है और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।”
जनरल नरवणे ने कहा कि चीनी सेना की ताकत पूर्वी लद्दाख के सामने 8,000 से बढ़कर 60,000 हो गई और हमारी अपनी तैनाती भी उसी हिसाब से है। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना भविष्य में पीएलए की किसी भी जुझारू कार्रवाई का मुकाबला करने के लिए अच्छी तरह से तैयार है। यह पूछे जाने पर कि गलवान घटना क्यों हुई- उन्होंने कहा, “हम पिछले दो वर्षों से चीन के कदम के बारे में खुद से यह सवाल पूछ रहे हैं, लेकिन थाह नहीं ले पाए यह (गलवान घटना) क्यों हुआ। क्या यह आंतरिक या बाहरी गतिशीलता या कोविड महामारी के दबाव के कारण था जिसके कारण चीन ने यह कदम उठाया? हमें पता नहीं।” रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रभाव और रक्षा आपूर्ति पर इसके प्रभाव पर उन्होंने कहा कि भारत यूक्रेन और रूस दोनों पर निर्भर है, लेकिन हमेशा स्टॉक में एक बफर बनाए रखा है। इसलिए निकट अवधि में प्रभावित नहीं होगा।
कुछ क्षेत्रों से AFSPA को हटाने पर उन्होंने कहा, “कुछ क्षेत्रों से AFSPA को हटाए जाने से पहले निश्चित रूप से हमसे परामर्श किया गया था। इन क्षेत्रों में सुरक्षा की स्थिति में सुधार हुआ है, इसलिए हमें यहां से अफस्पा हटाए जाने पर कोई आपत्ति नहीं है। ऐसे क्षेत्रों से सेना को हटाना जो अब अशांत नहीं हैं, हमें अपने प्राथमिक कार्य (बाहरी दुश्मनों से निपटने पर) ध्यान केंद्रित करने में मदद करते हैं।”