नई दिल्ली
हिंडनबर्ग रिसर्च के जिन्न का पीछा छूटने के साथ ही अडानी ग्रुप ने एक बार फिर तेजी से अपना कारोबार बढ़ाना शुरू कर दिया है। देश के तीसरे बड़े औद्योगिक घराने ने अपने फूड और एमएमसीजी बिजनस को बढ़ाने के लिए एक अरब डॉलर यानी करीब 8,388 करोड़ रुपये का वॉर चेस्ट बनाया है। बिजनस अखबार मिंट की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से यह दावा किया जा रहा है। देश में पैकेज्ड कंज्यूमर गुड्स का बाजार तेजी से बढ़ रहा है और गौतम अडानी इसका फायदा उठाना चाहते हैं। ग्रुप के एफएमसीजी कंपनी अडानी विल्मर देश के दक्षिणी और पूर्वी क्षेत्र में कम से कम तीन कंपनियों को खरीदने की तैयारी में है। इनमें रेडी-टु-कुक फूड्स और पैकेज्ड एडिबल ब्रांड्स शामिल हैं।
अडानी विल्मर में अडानी ग्रुप और सिंगापुर के विल्मर ग्रुप की हिस्सेदारी है। इसके पास फॉर्च्यून ऑयल और कोहिनूर राइस ब्रांड है। कंपनी हाल में स्टेक बेचने की तैयारी में थी लेकिन अब वह तेजी से कैपेक्स एक्सपेंडीचर कर रही है। अडानी की योजना कंज्यूमर फेसिंग बिजनस से रेवेन्यू को बढ़ाकर 25 से 30 फीसदी करने की है। इसमें फूड, एमएमसीजी, कमोडिटी और एयरपोर्ट बिजनस शामिल है। सूत्रों का कहना है कि अडानी विल्मर की अगले दो से तीन साल में कई कंपनियों को खरीदने की योजना है। ग्रुप की नजर खासकर साउथ और ईस्ट के मार्केट पर है। वहां इस साल और अगले साल कम से कम तीन कंपनियों के अधिग्रहण की योजना है।
एक अरब डॉलर का कैपेक्स
एक सूत्र ने कहा कि अडानी ग्रुप की योजना एफएमसीजी बिजनस पर 80 करोड़ से एक अरब डॉलर खर्च करने की योजना है। इनमें से प्रत्येक की वैल्यू कम 20 से 25 करोड़ डॉलर हो सकती है। अडानी विल्मर का पिछले साल रेवेन्यू 51,261.63 करोड़ रुपये रहा। फिलहाल कंपनी की मौजूदगी देश की पश्चिमी, सेंट्रल और उत्तरी राज्यों में है। लेकिन अब कंपनी दक्षिणी और पूर्वी राज्यों पर फोकस कर रही है। कंपनी इन इलाकों की टॉप कंपनियों की खरीदकर वहां अपनी मौजूदगी बढ़ाना चाहती है। टाटा और रिलायंस के बाद अडानी ग्रुप भारत का तीसरा बड़ा औद्योगिक ग्रुप है।