नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को लाल किला से गुरुतेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व पर देश को संबोधित किया। आजाद भारत में यह पहली बार हुआ, जब सूर्यास्त के बाद किसी प्रधानमंत्री ने लाल किले जैसे मुगलकालीन स्मारक से देश को संबोधित किया। प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन रात करीब दस बजे शुरू हुआ।
गुरुतेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व पर लाल किले से ही प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन की खास वजह भी थी। दरअसल, वर्ष 1675 में मुगल शासक औरंगजेब ने इसी लाल किले से सिख धर्म के नौवें गुरु तेग बहादुर की जान लेने का फरमान सुनाया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा, लाल किले पर यह आयोजन बेहद खास है। इसी लाल किले ने गुरु तेग बहादुर की शहादत को देखा है। आज की भावना को शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है। भारत हमारे गुरुओं के आदर्शों पर आगे बढ़ रहा है। यह महान भूमि सिर्फ एक देश नहीं है। गुरु तेग बहादुर के बलिदान ने भारत की अनेकों पीढ़ियों को अपनी संस्कृति की मर्यादा की रक्षा के लिए उसके मान-सम्मान के लिए जीने और मर-मिट जाने की प्रेरणा दी है। बड़ी-बड़ी सत्ता मिट गई, बड़े-बड़े तूफान शांत हो गए, मगर भारत आज भी अमर खड़ा है और लगातार आगे बढ़ रहा है। गुरु नानकदेव जी ने देश को एक सूत्र में पिरोया। गुरु तेग बहादुर जी के अनुयायी हर जगह हुए। पटना में पटना साहिब और दिल्ली में रकाबगंज साहिब, हमें हर जगह गुरुओं के ज्ञान और आशीर्वाद के रूप में ‘एक भारत’ के दर्शन होते हैं।
उन्होंने गुरु तेग बहादुर का स्मरण करते हुए कहा कि मजहबी कट्टरता की आंधी के दौरान विरोध के स्वर उठे। इस आंधी में भी वे चट्टान की तरह डटे रहे। लाल किले ने गुरु तेग बहादुर की शहादत को भी देखा है और इस महान देश के लिए मरने और मिटने वाले लोगों के हौसले भी देखे हैं। आज पूरा देश एकजुट होकर इस पर्व पर एकसाथ आया है। हम सभी का संकल्प एक ही है और हम सब इस संकल्प के साथ लगातार आगे बढ़ रहे हैं। एक समय देश में मजहबी कट्टरता की आंधी आ गई थी। तब गुरु तेग बहादुर जी ने आगे आकर सभी को राह दिखाई थी। भारत ने कभी किसी देश या समाज के लिए खतरा पैदा नहीं किया। हम पूरे विश्व के कल्याण के लिए आज भी सोचते हैं। आत्मनिर्भर भारत की बात कर रहे हैं। इसमें पूरे विश्व की प्रगति का लक्ष्य रखा गया है। पिछले साल सरकार ने साहिबजादों के महान बलिदान की स्मृति में 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस मनाने का निर्णय लिया। सिख परंपरा के तीर्थों को जोड़ने के लिए भी सरकार लगातार प्रयास कर रही है। श्री गुरुग्रंथ साहिब जी हमारे लिए आत्मकल्याण के पथप्रदर्शक के साथ-साथ भारत की विविधता और एकता का जीवंत स्वरूप भी हैं, इसलिए अफगानिस्तान में जब संकट पैदा होता है, तब हमारे पवित्र श्री गुरुग्रंथ साहिब के स्वरूपों को लाने का सवाल खड़ा होता है। ऐसे में भारत सरकार पूरी ताकत लगा देती है। नई सोच और निरंतर परिश्रम तथा शत-प्रतिशत समर्पण यह आज भी सिख समाज की पहचान है। आजादी के अमृत महोत्सव में देश का भी यही संकल्प है। इस पहचान पर हमें गर्व है। लोकल पर हमें गर्व करना है। हमें आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करना है। वर्ष 2019 में हमें गुरुनानक देव जी का 550वां प्रकाश पर्व और 2017 में गुरु गोविंद सिंह जी का 350वां प्रकाश पर्व मनाने का अवसर मिला। इसे मैं हमारे गुरुओं की विशेष कृपा मानता हूं।