सोल
दक्षिण कोरिया में इस साल अब तक एमपॉक्स के ग्यारह मामले सामने आए हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, सभी मामले कम घातक क्लेड वैरिएंट के थे। योनहाप समाचार एजेंसी के अनुसार, कोरिया रोग नियंत्रण एवं रोकथाम एजेंसी (केडीसीए) ने कहा कि पिछले महीने एमपॉक्स के कुछ नए केस सामने आए।
एमपॉक्स के घातक वेरिएंट के रोकथाम के लिए बॉर्डर्स पर स्क्रीनिंग को मजबूत किया गया। दक्षिण कोरिया में पिछले साल 151 एमपॉक्स मामले सामने आए थे। ग्रेटर सोल क्षेत्र में एमपॉक्स की चपेट में आए अधिकांश मरीज 20 से 40 वर्ष की आयु के पुरुष थे। बताया गया कि संक्रमित त्वचा के संपर्क में आने से संक्रमण का शिकार हुए। एजेंसी ने कहा कि सांस संबंधी बीमारियों के विपरीत, एमपॉक्स का रोजमर्रा की गतिविधियों के माध्यम से फैलना संभव नहीं है।
एजेंसी ने जनता से अपील की है कि वह स्वच्छता बनाए रखें। केडीसीए ने कहा, एमपॉक्स एक ऐसी बीमारी है, जिसे रोका जा सकता है और इसका उपचार भी संभव है। हमारा मानना है कि बीमारी की कुछ जरूरी नियमों को अपनी दिनचर्या में शामिल कर हम इस बीमारी से बच सकते हैं। एजेंसी ने कहा कि सरकार एमपॉक्स के नए वेरिएंट को लेकर मॉनिटरिंग जारी रखेगी। इस महीने की शुरुआत में, केडीसीए ने एमपॉक्स को दोबारा संक्रामक रोग श्रेणी में डालने का फैसला किया।
बता दें कि आठ अफ्रीकी देशों – रवांडा, बुरुंडी, युगांडा, इथियोपिया, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, केन्या, कांगो और कांगो गणराज्य – का दौरा करने वाले लोगों को रिपोर्ट करना आवश्यक है यदि उनमें एमपॉक्स से संबंधित लक्षण जैसे कि बुखार, मांसपेशियों में दर्द और सूजे हुए लिम्फ नोड्स दिखाई देते हैं। यह तब हुआ जब विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने हाल ही में एमपॉक्स को वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया। अफ्रीका के 14 देशों में इसका प्रकोप देखा गया। अफ्रीका में एमपॉक्स का कहर मुख्य रूप से क्लेड 1बी के कारण है, जो अधिक जानलेवा है। यह बच्चों में बहुत तेजी से फैल रहा है। अब तक, यह नया वेरिएंट अफ्रीका, यूरोप, स्वीडन, थाईलैंड में फैला है।