मुंगेली/ आज सुबह जब मासूम स्कूली बच्चों के लिए शिक्षक व स्टॉफ टाटपट्टी बिछा रहे थे उसी दौरान उस कक्षा का बड़ा हिस्सा जमीन में धंस गया, वहां मौजूद बच्चे और टीचर बाल बाल बच गए। पूरा मामला मुंगेली के रामानुज स्कूल का हैं। इस घटना के बाद अभिभावकों में बहुत गुस्सा हैं और वे तुरंत अपने बच्चों को घर ले गए। इस घटना से बच्चे, शिक्षक और अभिभावक डरे हुये हैं।
दैनिक भारत भास्कर ने पूर्व में भी इस समाचार को प्रकाशित कर किसी अनहोनी घटना की संभावना जाहिर की थी।
खतरों में स्कूली बच्चों की जान…जिला प्रशासन और नगर पालिका कुम्भकर्णी निंद्रा में…दुर्घटना हुई तो ये ही होंगे जिम्मेदार…शिक्षा के लिए दी गई दान की जमीन पर चल रही दुकानदारी…प्रशासन ने रामानुज स्कूल को खुद के जमीन से किया बेदखल…अब बेहद जर्जर भवन में संचालित हो रहा है रामानुज स्कूल…जनप्रतिनिधियों ने भी हाथों में पहनी चूड़ियाँ…जिला प्रशासन के अधिकारियों ने भी दिया झूठा आश्वासन…
रामानुज स्कूल के पूर्व छात्रों, अभिभावकों और मुंगेलीवासियों में आक्रोश…सी-मार्ट, मिलेट कैफे और धन्वंतरि जेनेरिक मेडिकल को हटाकर पुनः रामानुज स्कूल बनाने की होगी मांग…
मुंगेली/ किसी दानवीर का अपमान कैसे करना हैं यह कोई मुंगेली जिला प्रशासन, नगर पालिका और यहां के जनप्रतिनिधियों से सीखें, क्योंकि मुंगेली में शिक्षा के लिए करोड़ों की जमीन दान करने वाले दानवीर रामानुज देवांगन का जिला प्रशासन और नगर पालिका न केवल अपमान कर रही बल्कि जिस स्कूल के लिए जमीन दान में दी गई थी उस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के जान से भी खेल रही हैं। मुंगेली की पहचान शुरू से ही दानदाताओं के रूप में रही है, यहां के अधिकांश स्कूल व कालेज एवं कई भवनों को यहाँ के दानदाताओं ने अपनी पूँजी लगाकर शहर एवं जनता के विकास व उनके उत्थान के लिये सदैव ही दान के रूप में कुछ न कुछ दिया हैं, यह बात मुंगेली से जुड़े लोग बहुत अच्छे से जानते है। दानदाताओं की नगरी मुंगेली में कई स्कूल, कालेज तथा कई भवन व धरोहर यहां के दानदाताओं की देन है परंतु इन दानदाताओं का अपमान करने में नगर पालिका और जिला प्रशासन और यहाँ के जनप्रतिनिधियों ने कोई कसर नही छोड़ी है। दानदाताओं के द्वारा दान किये गये भवनों अथवा भूमि का मुंगेली नगर पालिका व प्रशासन न ही संरक्षण कर पा रही है और न ही मरम्मत।
दानदाताओं के सबसे पहले क्रम में मुंगेली के ऐतिहासिक रहे रामानुज प्राथमिक शाला को ही ले लिया जाये जो कि पड़ाव चौक और नया बस स्टैंड के बीचों-बीच था, कई दशकों पहले गरीब बच्चों के उचित पढ़ाई व शिक्षा के लिये मुंगेली के दानवीर रामानुज देवांगन के द्वारा एक प्राथमिक शाला भवन का निर्माण कराया गया, और इस स्कूल का नाम रामानुज प्राथमिक शाला रखा गया। यह स्कूल लगभग चार दशक सफलतापूर्वक संचालित होता रहा और यहाँ की काफी अच्छी शिक्षा व्यवस्था के कारण आज यहाँ से बढ़े छात्र डॉक्टर, वकील, इंजीनियर, प्रोफेसर व कई प्रशासनिक पदों के साथ-साथ राजनीतिक पदों पर भी आसीन है।
मुंगेली नगर पालिका के तत्कालीन सीएमओं द्वारा दिनांक 09/10/2000 को अपने ज्ञापन क्रमांक/1303/न0पा0/लो0नि0वि0/2000-2001 मुंगेली के माध्यम से दानदाता रामानुज प्रसाद देवांगन को ज्ञापन भेज कहा गया कि रामानुज प्राथमिक शाला भवन जों जीर्ण-क्षीर्ण हो चुका हैं को तोड़कर उक्त स्थल पर भूमि तल पर शॉपिंग काम्पलेक्स व प्रथम तल पर प्राथमिक शाला भवन का निर्माण किया जाना है, प्राथमिक शाला का नाम पूर्ववत रामानुज देवांगन प्राथमिक शाला ही रहेगा एवं प्रस्तावित शापिंग काम्पलेक्स का भी नामकरण रामानुज देवांगन बाजार रहेगा। अतः कृपया अपनी स्वीकृति प्रदान करने की कृपा करेंगें। उक्त ज्ञापन में नगर पालिका परिषद् के प्रस्ताव दिनांक और क्रमांक का स्थान खाली था। मुख्य नगर पालिक पालिका के इस ज्ञापन/पत्र के बाद दानदाता रामानुज प्रसाद देवांगन द्वारा सीएमओ को पत्र भेज कहा गया कि मेरे द्वारा दान दिये गये भूमि पर स्कूल भवन को तोड़कर प्रस्तावित बाजार निर्माण व स्कूल भवन निर्माण में मेरी पूर्ण स्वीकृति हैं, मैं पुनः निर्माण हेतु एवं नामकरण हेतु परिषद् का आभारी हॅू। जिसके बाद नगर पालिका ने पुराने रामानुज प्राथमिक शाला को तोड़कर लाखों खर्च कर 18 दुकानों की एक विशाल व्यवसायिक काम्पलेक्स तो बना दी गई, परंतु पत्राचार के अनुसार प्रथम तल पर रामानुज देवांगन प्राथमिक शाला का निर्माण नहीं कराया गया जो कि अपने आप में बेहद शर्मनाक हैं। रामानुज प्राथमिक शाला को ढहाने और उसके स्थान पर 18 दुकानों के नये काम्पलेक्स निमाण पर नगर पालिका ने लाखों रूपये खर्च किये। दिनांक 04/09/2004 को मुंगेली नगर पालिका के तत्कालीन सीएमओ द्वारा स्कूल की जमीन पर बने काम्पलेक्स की 18 दुकानों की नीलामी प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। उस समय नगर पालिका द्वारा ऐतिहासिक रामानुज प्राथमिक शाला को तुड़वाकर एक काम्पलेक्स का निर्माण तो कर दिया गया परंतु उस काम्पलेक्स के ऊपर प्रथम तल में शर्तानुसार स्कूल का निर्माण नही कराया जा सका। मुंगेली जिला बनने के बाद और यहां कलेक्टर के पदस्थापना के बाद से ही कई कलेक्टरों को रामानुज प्राथमिक शाला व दान की भूमि के संबंध में अवगत भी कराया गया है परंतु किसी कलेक्टर ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। दैनिक भारत-भास्कर ने इस दानदाता रामानुज देवांगन द्वारा स्कूल के लिये दी गई दान की जमीन व उसके वर्तमान में हो रहे व्यावसायिक उपयोग मामले सहित वर्तमान में संचालित रामानुज प्राथमिक शाला की जर्जर स्थिति को लगातार प्रमुखता से उठाता रहा हैं।
मुंगेली जिला बनने के बाद जब राज्य में कांग्रेस सरकार की सरकार आई तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सी-मार्ट योजना शुरू की तब मुंगेली नगर पालिका व शासन प्रशासन की आंखों में दानदाता द्वारा शिक्षा के लिये दी गई जमीन गड़ने लगी और आनन-फानन में इस रामानुज स्कूल के जमीन पर बने काम्पलेक्स का स्वरूप बदलकर इसे सी-मार्ट बना दिया गया। आज दिनांक को इस स्कूल की मंहगी जमीन पर सी-मार्ट और धन्वंतरि जेनेरिक मेडिकल संचालित है और प्रथम तल पर रामानुज स्कूल बनना था वहां मिलेट कैफे संचालित हैं।
और जिस स्कूल की जगह हैं वह रामानुज स्कूल अपनी दुर्गति और बदकिस्मी पर आंसू बहा रहा हैं। जनप्रतिनिधियों को अपनी ही चिन्ता है न ही किसी दानदाता की और न ही उस ऐतिहासिक धरोहर की, और न बच्चों के सुरक्षा की। सबसे शर्मनाक बात तो यह हैं कि शहर के दानदाता रामानुज देवांगन द्वारा निर्मित स्कूल रामानुज प्राथमिक शाला भवन को जब तोड़वाया गया तब इस स्कूल का संचालन खर्रीपारा बीआरसी कार्यालय के पास किया गया कुछ वर्ष वहाँ अस्थायी भवन में रामानुज स्कूल का संचालन किया गया, कुछ समय पुराने एसबीआई बैंक के पीछे, उसके बाद अभी वर्तमान में उस स्कूल का संचालन परमहंस वार्ड में किया जा रहा हैं, प्राप्त जानकारी के अनुसार यहां और अन्य स्कूल भी संचालित किया जा रहा हैं। इस स्कूल की भवन काफी जर्जर हो चुकी है स्कूल भवन के छत में बने कमरों को यदि देखा जाये तो रोंगटें खड़े हो जायेगें कि एैसे स्कूल भवन के नीचे मासूम बच्चों को बैठाया जा रहा है। पूरे कमरों की छतें व फ्लोंरिन्ग उखड़ चुकी है, दीवारों में बहुत दरारें है एैसा लगता है मानों कभी भी ये छतें व दीवारें गिर न जायें। एक क्लास की जमीन आधी ओर धंस चुकी हैं, अब एैसे में ये कैसे कहा जा सकता है कि बच्चों को गुणवक्तायुक्त शिक्षा मिले, जब भवन ही अच्छी न हो और एक ही कमरें में 2 कक्षाएं संचालित हो रही हो तो ऐसे में बच्चों को किस प्रकार अच्छी शिक्षा दी जा सकती है ? इन सब विषयों में यह बात समझ में नही आता है कि जिला प्रशासन और नगर पालिका के अधिकारी व जनप्रतिनिधिगण कहाँ है क्या उन्हें यह बताने की आवश्यकता है कि दानदाता रामानुज देवांगन और रामानुज स्कूल की मुंगेली के विकास व शिक्षा में क्या योगदान रहा हैं। पूर्व में भी यह समाचार प्रकाशित कर किसी दुर्घटना की संभावना जताई गई थी, जो आज हमें देखने को मिला, जिसमें एक कक्षा के बड़े हिस्से की जमीन धंस गई।
जिला प्रशासन के अधिकारियों ने दिया था झूठा आश्वासन…
पिछले साल 2023 में जब दैनिक भारत भास्कर ने यह न्यूज़ प्रमुखता से प्रकाशित किया था तब मुंगेली कलेक्टर ने मामले को संज्ञान में लेकर जिला प्रशासन के दो अधिकारियों को स्कूल निरिक्षण में भेजा गया था, उनके द्वारा उस समय तत्काल भवन मरम्मत का आश्वासन दिया गया, परंतु मरम्मत नहीं कराया जा सका जो बेहद निंदनीय हैं। स्कूल द्वारा यह जानकारी भी दिया गया था कि पिछली बार ग्रामीण यांत्रिकी सेवा मुंगेली द्वारा प्रांक्कलन रिपोर्ट बनाया गया था जिसमें योजना का नाम में डीएमएफ उल्लेखित था। परंतु यह केवल कागजों में ही सिमट कर रह गई।
स्कूल की जमीन में चल रही दुकानदारी…
मुंगेलीवासियों ने बताया कि मुंगेेेली के दानवीर रामानुज देवांगन ने शिक्षा के उद्देश्य के लिये जिस विशाल भूमि और स्कूल का दान किया था उसमें आज तत्कालीन भूपेश सरकार द्वारा सी-मार्ट, मिलेट कैफे और धन्वंतरि जेनेरिक मेडिकल खोला गया था जो आज भी संचालित हैं, जो कि उचित नहीं हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस सी-मार्ट, मिलेट कैफे और धन्वंतरि जेनेरिक मेडिकल को यहां से हटाकर अन्यत्र कहीं खोलने और इस जमीन में पुनः रामानुज स्कूल खोलने की मांग की जायेगी।