नई दिल्ली
भारत के ऑटो मार्केट में मारुति सुजुकी की कई साल से चली आ रही बादशाहत खत्म हो गई है। टाटा मोटर्स की माइक्रो एसयूवी पंच देश में सबसे ज्यादा बिकने वाली कार बन गई है। उसने देश की सबसे बड़ी ऑटो कंपनी मारुति सुजुकी की वैगनआर को पीछे छोड़कर यह मुकाम हासिल किया है। इस तरह पंच ने मारुति सुजुकी की कई साल से चली आ रही बादशाहत को खत्म कर दिया है। जनवरी से जुलाई 2024 के बीच टाटा पंच की बिक्री 1,26,000 यूनिट रही। इस दौरान वैगनआर की सेल 1.16 यूनिट रही। हालांकि जुलाई में पंच चौथे स्थान पर खिसक गई। ऑटो मार्केट रिसर्च फर्म जाटो डायनेमिक्स के आंकड़ों के मुताबिक जुलाई में हुंडई की क्रेटा टॉप पर पहुंच गई।
पंच की सफलता इस बात का भी संकेत है कि लोग वैकल्पिक ईंधन विकल्पों का रुख कर रहे हैं। टॉप 5 सेल्स में इसकी करीब आधी हिस्सेदारी है। पंच की सेल में इलेक्ट्रिक और सीएनजी की हिस्सेदारी करीब 47% है। इसी तरह वैगनआर की बिक्री में सीएनजी वर्जन का हिस्सा 45%, ब्रेजा में 27%) और एर्टिगा में 58% है। ऑटो उद्योग के जानकारों का कहना है कि पंच ने अपने लिए एक नई श्रेणी तैयार की है, जिसकी बदौलत वह शीर्ष पर पहुंच गई है। इसके साथ ही इलेक्ट्रिक और सीएनजी के फ्यूल मिक्स ने इसे बाजार में बढ़त दिलाई है।
क्यों हिट हुई पंच
जाटो डायनेमिक्स के प्रेसिडेंट रवि भाटिया ने कहा कि एक माइक्रो एसयूवी के रूप में पंच सस्ती कीमत पर एसयूवी जैसी सुविधाएं देती है। साथ ही इसकी मल्टी-फ्यूल अप्रोच भी लोगों को काफी पंसद आ रही है। कार डीलर भी इस बात से सहमत हैं कि पंच की लोकप्रियता के पीछे असली वजह इसका फ्यूल मिक्स है। चेन्नई के एक डीलर ने कहा कि पिछले जनवरी-जुलाई में पंच की सेल 79,000 यूनिट थी जो इस साल बढ़कर 1.26 लाख यूनिट हो गई है। इसका श्रेय इसके इलेक्ट्रिक और सीएनजी वेरिएंट को जाता है। बिक्री के मामले में टॉप 5 में शामिल गाड़ियों में चार के पास पेट्रोल के विकल्प के रूप में सीएनजी या डीजल है।
टाटा पैसेंजर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के चीफ कमर्शियल ऑफिसर विवेक श्रीवत्स ने कहा कि पंच एसयूवी सेगमेंट में सबसे तेजी से 4 लाख सेल की उपलब्धि हासिल करने वाली गाड़ी बन गई है। जानकारों का कहना है कि दूसरी कंपनियां भी पंच की तरह फ्यूल मिक्स पर फोकस कर रही हैं। जुलाई 2023 में लॉन्च की गई हुंडई एक्सटर की बिक्री इस साल 52,684 यूनिट हो गई है। भाटिया ने कहा कि ग्राहकों की अलग-अलग जरूरतों को पूरा करने के लिए कंपनियां फ्यूल ऑप्शन को डाइवर्सिफाई कर रही हैं। यही वजह है कि उनका जोर अब माइक्रो एसयूवी सेगमेंट पर है।