न्यायालय ने कहा – सभी बिन्दुओं पर विस्तृत अन्वेषण गंभीरतापूर्वक नहीं किया गया…
रायपुर-मुंगेली/ मुंगेली नगर पालिका के हाईप्रोफाइल मवेशी बाजार की वसूली राशि में लाखों-करोड़ों के गबन मामले में शिकायत उपरांत पुलिस ने अपराध दर्ज कर लिया गया हैं, जिसके जांच में सीएमओ मोरिस राज सिंह (मुंगेली नगर पालिका तत्कालीन सहायक राजस्व निरीक्षक), तत्कालीन कैशियर यतेंद्र पांडेय सहित एक अन्य कर्मचारी पंप ऑपरेटर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया हैं। अभी तीनों आरोपी जेल में हैं। मामले में आरोपियों के विरुद्ध 420,408,409,467,468,471,201,34 भादवि के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया था।
मामले में नया मोड़ तब आया जब पुलिस ने इस मवेशी बाजार वसूली राशि के गबन, भ्रष्टाचार मामले की विवेचना पूर्ण होने का तर्क देकर अभियोग पत्र पेश करने न्यायालय पहुंची, जहां मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने अभियोग पत्र में व्याप्त खामियों को लेकर तीखी टिप्पणी की हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने अभियोजन अधिकारी को निर्देशित किया कि पुलिस द्वारा पेश अभियोग पत्र की विधिवत मॉनिटरिंग एवं स्कूटनी कर कमियों को पूर्ण कर अभियोग पत्र पेश करवाये। दिनांक 22/08/2024 को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने अपने आदेश में कहा कि मामले में आरोपीगण के विरूद्ध आरक्षी केन्द्र सिटी कोतवाली प्रभारी द्वारा अभियोग पत्र पेश किया गया। अभियोग पत्र का अवलोकन किया गया। अभियोग पत्र के अवलोकन से प्रतीत होता है कि प्रार्थी अनिल कुमार तंबोली पिता किशोर कुमार तंबोली निवासी मुंगेली के लिखित शिकायत के आधार पर थाना सिटी कोतवाली द्वारा अप०क्र0 568/23 अंतर्गत धारा 420, 408, 34 के तहत अज्ञात के विरूद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज किया गया। विवेचना के दौरान रामकुमार महिलांग, मोरिसराज सिंह एवं यतेन्द्र पाण्डे के विरूद्ध अंतर्गत धारा 420, 408, 409, 467, 468, 471, 201, 34 के तहत अभियोग पत्र पेश किया गया है। विगत तिथि को आरक्षी केन्द्र सिटी कोतवाली द्वारा स्कुटनी पूर्ति करना शेष बताते हुए आज दिनांक तक के लिए आरोपीगण का न्यायिक रिमांड लिया गया था। न्यायालय में पदस्थ अभियोजन अधिकारी द्वारा मौखिक रूप से बताया गया कि उनके पास 01 दिन के लिए प्रकरण स्कूटनी के लिए पेश किया गया था, परंतु अपराध की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए 01 दिन में स्कूटनी संभव नहीं है। अभियोग पत्र के अवलोकन से यह भी प्रतीत होता है कि आरोपी रामकुमार महिलांग के मेमारेण्डम अनुसार रामभजन नामक व्यक्ति को भी अलग-अलग सप्ताह में ड्यूटी पर भेजा जाता था, स्थापना शाखा के गौरव गुप्ता द्वारा ड्यूटी चार्ट बनाया जाता था, जिस पर मुख्य नगरपालिका अधिकारी अनुभव सिंह के द्वारा हस्ताक्षर किया जाता था। ऐसी स्थिति में सभी बिन्दुओं पर विस्तृत अन्वेषण गंभीरतापूर्वक नहीं किया जाना प्रथमदृष्ट्या दर्शित होता है। प्रकरण में हस्तलिपि विशेषज्ञ के पास ड्राफ्ट भेजा जाना उल्लेखित किया गया है, परंतु हस्तलिपि विशेषज्ञ को साक्ष्य सूची में नामित भी नहीं किया जाना दर्शित होता है। चूंकि अभियोजन अधिकारी द्वारा यह भी व्यक्त किया गया कि एक दिन में स्कूटनी संभव नहीं है, जो प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए स्वाभाविक भी प्रतीत होता है। प्रकरण में प्रथम गिरफ्तारी दिनांक 26.06.2024 को किया जाना दर्शित है। अभियोग पत्र में यह भी उल्लेखित किया गया है कि प्रकरण में धारा 173 (8) द.प्र.सं. के तहत विवेचना जारी है। प्रकरण में अपराध के संबंध में अभियोग पत्र प्रस्तुत करने की नियत समयावधि 90 दिवस है। ऐसी स्थिति में अपराध की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए विवेचना एवं स्कूटनी हेतु पर्याप्त समय शेष रहना दर्शित होता है। यदि नियत समयावधि तक विवेचक अन्वेषण कार्य करे तो प्रकरण में धारा 173 (8) द.प्र.सं. की भी आवश्यकता नहीं रहेगी। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने अभियोजन अधिकारी को निर्देशित करते हुये कहा कि इस प्रकरण में गंभीरतापूर्वक स्कूटनी कर अभियोग पत्र प्रस्तुत करवाये। अभियोजन अधिकारी को यह भी निर्देशित दिया गया कि अन्वेषण के संबंध में थाना प्रभारी के माध्यम से प्रार्थी को भी न्यायहित में अवगत कराये।
थाना प्रभारी को निर्देशित किया गया कि तत्संबंध की पूर्ति हेतु रिमांड हेतु आवश्यक कार्यवाही करे।
न्यायालय की इस तीखी टिप्पणी के बाद इस मवेशी बाजार वसूली के राशि के गबन मामले में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष संलिप्त अधिकारियों, कर्मचारियों और नेताओं की नींद उड़ गई हैं।
विधि विशेषज्ञों की माने तो अगर न्यायालय ने अपने आर्डर में कमियां का जिक्र करते हुए नाम उल्लेखित किया हैं तो वे लोग भी आरोपी बनाये जाएंगे। फिलहाल अब इस हाईप्रोफाइल मवेशी बाजार की वसूली राशि में हुए भ्रष्टाचार, गबन में कईयों के नाम आने की संभावना हैं।