राँची
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन ने मौजूदा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को आगामी विधानसभा चुनावों से पहले एक बड़ी चुनौती दे दी है। सूत्रों के मुताबिक, चंपई सोरेन जल्द ही भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो सकते हैं। उनके साथ JMM और कांग्रेस के कुछ असंतुष्ट विधायक भी हो सकते हैं।
चंपई सोरेन ने खुद अपने सोशल मीडिया पर संकेत दिया है कि वह राजनीति में एक नया रास्ता तलाश रहे हैं। उन्होंने अपने अपमान का जिक्र करते हुए कहा कि वह JMM में अपने अस्तित्व को लेकर सवालों से घिरे हुए हैं।
चंपई सोरेन के साथ ये विधायक भी बीजेपी में जा सकते
सूत्रों के अनुसार, चंपई सोरेन दिल्ली में हैं और बीजेपी नेताओं के साथ उनकी बातचीत चल रही है। माना जा रहा है कि JMM विधायक दशरथ गागराई, चमरा लिंडा और लोबिन हेंब्रम भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से नाराज हैं। माना जा रहा है कि ये विधायक भी चंपई सोरेन के साथ बीजेपी में शामिल हो सकते हैं।
सोशल मीडिया पर छलका चंपई सोरेन की दर्द
चंपई सोरेन ने अपने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, 'पिछले तीन दिनों से हो रहे अपमानजनक व्यवहार से भावुक होकर मैं आंसुओं को संभालने में लगा था, लेकिन उन्हें सिर्फ कुर्सी से मतलब था। मुझे ऐसा लगा, मानो उस पार्टी में मेरा कोई वजूद ही नहीं है, कोई अस्तित्व ही नहीं है, जिस पार्टी के लिए हम ने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।'
उन्होंने आगे लिखा, 'इस बीच कई ऐसी अपमानजनक घटनाएं हुईं, जिसका जिक्र फिलहाल नहीं करना चाहता। इतने अपमान एवं तिरस्कार के बाद मैं वैकल्पिक राह तलाशने के लिए मजबूर हो गया। मैंने भारी मन से विधायक दल की उसी बैठक में कहा कि – 'आज से मेरे जीवन का नया अध्याय शुरू होने जा रहा है। इसमें मेरे पास तीन विकल्प थे। पहला, राजनीति से सन्यास लेना, दूसरा, अपना अलग संगठन खड़ा करना और तीसरा इस राह में अगर कोई साथी मिले, तो उसके साथ आगे का सफर तय करना। उस दिन से लेकर आज तक, तथा आगामी झारखंड विधानसभा चुनावों तक, इस सफर में मेरे लिए सभी विकल्प खुले हुए हैं।'
जेएमएम को लगेगा बड़ा झटका?
चंपई सोरेन ने हालांकि यह साफ नहीं किया है कि वह कौन सा रास्ता चुनेंगे, लेकिन सूत्रों का कहना है कि वह इसी हफ्ते कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। अगर चंपई सोरेन बीजेपी में शामिल होते हैं तो यह JMM के लिए एक बड़ा झटका होगा और आगामी विधानसभा चुनावों में पार्टी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
बीजेपी में सीधे जा सकते हैं पर यहां 2 दिक्कत
झारखंड में भारतीय जनता पार्टी नंबर दो की पार्टी है. जेएमएम से बाहर निकलने के बाद चंपई सीधे बीजेपी में जा सकते हैं. इसकी चर्चा पिछले कई दिनों से चल भी रही है. चंपई के दिल्ली दौरे को भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है. हालांकि, चंपई की बीजेपी में एंट्री आसान नहीं होने वाली है. इसकी दो वजहें हैं-
1. बीजेपी में पहले से ही 3 ऐसे नेता (बाबू लाल मरांडी, रघुबर दास और अर्जुन मुंडा) हैं, जो पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं. ऐसे में चंपई की भूमिका क्या होगी? क्या बीजेपी उन्हें सीएम के रूप में प्रोजेक्ट करेगी? अगर बीजेपी ऐसा नहीं करती है तो झारखंड मुक्ति मोर्चा चुनाव में इसे मुद्दा बना सकती है.
2. लंबे वक्त से हेमंत सोरेन बीजेपी पर पार्टी तोड़ने का आरोप लगा रहे हैं. चंपई के बीजेपी में जाने से उनके इस आरोप को बल मिलेगा. चुनावी साल में हेमंत सोरेन को इसका सियासी फायदा मिल सकता है.
हालांकि, कहा जा रहा है कि अगर बीजेपी उन्हें शामिल कराती है तो झारखंड चुनाव के बाद उन्हें केंद्र में कोई बड़ा पद दे सकती है. यह पद राज्यपाल या किसी आयोग के चेयरमैन का हो सकता है.
खुद की पार्टी बनाएं, सरकार गठन के लिए शिंदे फॉर्मूला
चंपई के बयान के बाद सबसे ज्यादा चर्चा इसी बात की हो रही है. कहा जा रहा है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के नाराज नेताओं के साथ मिलकर चंपई खुद की पार्टी भी बना सकते हैं. पार्टी के लिए कुछ नाम भी सियासी गलियारों में चल रहे हैं. मसलन- बिरसा कांग्रेस, झामुमो (सोरेन) आदि आदि
सूत्रों के मुताबिक चंपई अगर खुद की पार्टी बनाकर लड़ते हैं और चुनाव बाद किंगमेकर की भूमिका में आते हैं तो बीजेपी महाराष्ट्र के शिंदे वाले फॉर्मूले पर उन्हें मुख्यमंत्री भी बना सकती है.
चंपई जिस कोल्हान क्षेत्र के मजबूत नेता माने जाते हैं, वहां पर 2019 में झारखंड मुक्ति मोर्चा को 14 में 11 सीटों पर जीत मिली थी.
चंपई को लेकर एक तीसरे विकल्प की भी चर्चा
चंपई सोरेन को लेकर एक तीसरे विकल्प की भी चर्चा है. कहा जा रहा है कि तमाम गुणा-गणित के बाद अगर चंपई बीजेपी के खांचे में फिट नहीं बैठते हैं तो उन्हें एनडीए के किसी दल की पतवार भी दी जा सकती है. एनडीए के तीन और दल (जेडीयू, हम और लोजपा-आर) झारखंड की सियासत में एक्टिव हैं. जेडीयू पहले भी कोल्हान में एक-दो सीटों पर चुनाव जीतती रही है. हाल ही में झारखंड के बड़े नेता सरयू राय जेडीयू में शामिल हुए हैं.
शिबू सोरेन के खास चंपई हेमंत से क्यों हो गए बागी?
चंपई सोरेन ने राजनीतिक करियर की शुरुआत शिबू सोरेन के सानिध्य में की थी. झारखंड आंदोलन के दौरान चंपई को कोल्हान की जिम्मेदारी मिली हुई थी. 1991 के उपचुनाव में चंपई पहली बार सरायकेला सीट से विधायक चुने गए थे. इसके बाद साल 2000 का चुनाव छोड़ दे तो चंपई लगातार वहां से जीत दर्ज कर रहे हैं.
चंपई 2009 में शिबू सोरेन की सरकार में पहली बार मंत्री बने थे. 2010 में बीजेपी-जेएमएम के बीच समझौता हुआ तो चंपई को अर्जुन मुंडा सरकार में मंत्री बनने का अवसर मिला. चंपई इस सरकार में काफी पावरफुल थे. वजह- चंपई इस सरकार में जेएमएम की तरफ से गठबंधन के संदेशवाहक थे.
2013 में हेमंत सोरेन सरकार में भी चंपई मंत्री रहे. चंपई झारखंड मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं. पार्टी में शिबू सोरेन और हेमंत के बाद तीसरे नंबर के नेता माने जाते रहे हैं.
2019 में हेमंत फिर से मुख्यमंत्री बने तो चंपई को परिवहन विभाग की कमान सौंपी गई. साल 2024 के जनवरी में ईडी ने जब हेमंत को गिरफ्तार कर लिया, तब पिता शिबू सोरेन के कहने पर हेमंत ने मुख्यमंत्री की कुर्सी चंपई को दे दी.
कहा जा रहा है कि हेमंत जब तक जेल में थे, तब तक दोनों के रिश्ते बेहतरीन थे लेकिन हेमंत के जेल से बाहर आते ही रिश्तों में दरार आ गई. पहले चंपई को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा और फिर उन्हें हेमंत कैबिनेट में शामिल होना पड़ा.
चंपई ने इसी प्रकरण को अपमानजनक बताया है. चंपई के करीबियों का कहना है कि उन्हें विश्वास में लिए बिना मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया. इस अपमान को वे बर्दाश्त नहीं कर पाए.