मास्को। रूसी नौसेना के सबसे महत्वपूर्ण युद्धपोतों में से एक काला सागर में डूब गया है। व्लादिमीर पुतिन द्वारा पड़ोसी यूक्रेन पर हमले के 50 दिनों बाद रूसी सेना के लिए यह एक बड़ा झटका बताया जा रहा है। यही नहीं, इसे रूस की सांकेतिक हार भी कहा जा रहा है। काला सागर में तैनात रूसी युद्ध बेड़े को बृहस्पतिवार को उस वक्त बड़ा नुकसान हुआ था जब एक युद्धपोत बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया और उसके चालक दल के सभी सदस्यों को सुरक्षित नीचे उतरना पड़ा।
रूस ने भी माना- डूब गया युद्धपोत
रूसी रक्षा मंत्रालय के एक बयान का हवाला देते हुए रूसी सरकारी समाचार एजेंसी TASS ने गुरुवार शाम को बताया कि गाइडेड मिसाइल क्रूजर मोस्कवा (Moskva) डूब गया है। रूसी बयान में कहा गया है कि क्रूजर मोस्कवा को उसके गंतव्य के बंदरगाह तक ले जाने के दौरान, गोला-बारूद में विस्फोट हो गया था जिसके कारण जहाज ने अपना कंट्रोल खो दिया था। बाद में समुद्र में तूफानी स्थितियों के कारण जहाज डूब गया। इससे पहले यूक्रेन के अधिकारियों ने बताया था कि उनकी सेना ने युद्धपोत पर मिसाइल से हमला किया था, लेकिन रूस का कहना है कि युद्धपोत मोस्कवा आग लगने से क्षतिग्रस्त हुआ है, उसपर कोई हमला नहीं हुआ।
रूस की सांकेतिक हार
पेंटागन के अधिकारियों के अनुसार, यह युद्धपोत ओडेसा से करीब 60-65 समुद्री मील की दूरी पर था, जब उसमें आग लगी और घंटों बाद भी आग पर काबू नहीं पाया जा सका है। युद्धपोत का क्षतिग्रस्त होना रूस की सेना के लिए बड़ा झटका है। गौरतलब है कि राजधानी कीव सहित देश के उत्तरी हिस्से से पीछे हटने के बाद रूस पूर्वी यूक्रेन पर हमले की तैयारियों में है, ऐसे में युद्धपोत का डूबना रूस के लिए बड़ी सैन्य और सांकेतिक हार होगी।
काला सागर में अब उतना ‘ताकतवर नहीं’ रहा रूस
इससे पहले रूस ने कहा था कि युद्धपोत मोस्कवा पर आग लगने के कारण उसके चालक दल के सभी सदस्यों को हटना पड़ा। इस पोत पर सामान्य तौर पर 500 नाविक होते हैं। बाद में रूस ने कहा कि आग पर काबू पा लिया गया और उसके मिसाइल लांचर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा और उसे बंदरगाह तक लाया जाएगा। एक सैन्य विश्लेषक के अनुसार, पोत पर 16 मिसाइलें थीं और युद्ध से इस पोत के हटने से काला सागर में रूस की सैन्य क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
रूस को कितना नुकसान हुआ है इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता, उसपर होने वाला कोई भी हमला उसकी प्रतिष्ठा को धूमिल करेगा क्योंकि सात सप्ताह से जारी इस युद्ध को दुनिया पहले से ही बड़ी गलती मान रही है। विभिन्न सूत्रों से प्राप्त अलग-अलग सूचनाओं का तत्काल सत्यापन नहीं हो सका है और बादलों के कारण पोत की स्थिति का पता लगाना भी मुश्किल हो रहा है।