चंडीगढ़। पंजाब में कांग्रेस की कमान संभाल चुके सुनील जाखड़ आज पार्टी और सियासत से दूर नजर आ रहे हैं। कहा जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी पर की गई टिप्पणी के बाद जाखड़ खुद को अलग-थलग पा रहे हैं। खास बात है कि वे राज्य में तीन बार के विधायक और एक बार सांसद भी रह चुके हैं, लेकिन हाल ही के सालों में दो बड़ी चुनावी हारों ने उनके सियासी कद को प्रभावित किया है। हालांकि, खुद जाखड़ अपनी टिप्पणी को लेकर सफाई दे रहे हैं।
इधर, कांग्रेस की अनुशासन समिति ने शोकॉज नोटिस थमा दिया था। वहीं, अब अनुसूचित जाति आयोग ने भी मंगलवार को जालंधर पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर जाखड़ के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की है। इंटरव्यू के दौरान कथित रूप से दलितों को लेकर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के खिलाफ यह कार्रवाई की मांग की गई है। हालांकि, जाखड़ ने उस दौरान किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन उनके बयान को चन्नी से जोड़कर देखा गया। इससे पहले भी जाखड़ तब विवादों में आ गए थे, जब उन्होंने चन्नी को दायित्व बताया था और दावा किया था कि पार्टी ने उन्हें हिंदू होने के चलते मुख्यमंत्री चेहरा घोषित नहीं किया। इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में जाखड़ ने कहा कि इंटरव्यू के दौरान उन्होंने चन्नी नहीं गांधी परिवार के नेतृत्व पर सवाल उठा रहे 23 नेताओं के समूह के खिलाफ टिप्पणी की थी।
जाखड़ ने उन आरोपों का भी खंडन किया जिनमें कहा जा रहा था कि उनके बयानों के चलते हाल के चुनावों में हिंदुओं ने पार्टी के खिलाफ वोट किया है। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस सबसे ज्यादा सेक्युलर पार्टी है। यह समुद्र है। राहुल गांधी सबसे ज्यादा सेक्युलर नेता हैं। लेकिन छोटी सोच रखने वाले नेता ऊपर पहुंचे। उन्होंने पार्टी हाईकमान को गुमराह किया है।’ जालंधर पुलिस आयुक्त गुरप्रीत सिंह तूर ने अखबार को बताया कि एससी आयोग की तरफ से इस संबंध में पत्र मिला है। हालांकि, पुलिस अधिकारी के नाम लिखे गए पत्र में जाखड़ का नाम नहीं है।
पार्टी के अंदर ही आलोचना का सामना कर रहे जाखड़ ने सभी को याद दिलाया कि उनके पिता बलराम जाखड़ हर समय कांग्रेस और गांधी परिवार के साथ रहे। उन्होंने कहा, ‘वह हमेशा गांधी परिवार के साथ रहे। वह चार बार के सांसद हैं और दो बार के विधायक हैं। वे कृषि मंत्री भी रहे।’ बलराम जाखड़ लोकसभा में सबसे लंबे समय तक स्पीकर रहे और वे मध्य प्रदेश के राज्यपाल की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं।
साल 2002 से 2012 तक जीत दर्ज करने वाले जाखड़ के लिए बीते चार साल अच्छे नहीं रहे। साल 2017 में उन्हें भाजपा के स्थानीय पार्षद के हाथों हार का सामना करना पड़ा, लेकिन गुरदासपुर उपचुनाव में लोकसभा से जीतने के बाद वह फिर सियासी तस्वीर में लौट आए। उन्हें राज्य में पार्टी की कमान दी गई, लेकिन वह भाजपा के सनी देओल के सामने चुनाव हार गए।