बीजापुर। गंगालूर मार्ग पर लगभग एक किमी.की दूरी पर चिकटराज देव का मंदिर है, जहां प्रतिवर्ष चैत्र नवरात्रि के रामनवमी के बाद आने वाले प्रथम मंगलवार को यहां मंडई का आयोजन होता है। प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी बाबा चिकटराज मेला (मड़ई) समिति ने आयोजन की पूरी तैयारी कर ली है।
बाबा चिकटराज मेला (मड़ई) का आयोजन समिति के अनुसार बीजापुर नगर के रहवासियों के आराध्य देव है चिकटराज, जिनका पूरे बीजापुर जिले के क्षेत्रवासियों के लिए ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व है। चिकटराज देव 6-7 फुट लंबे बांसनुमा आकार के एक काष्ठ में विराजमान हैं। मंदिर के आगे यत्र-तत्र गणेश, विष्णु, शिव, लक्ष्मी आदि देवी-देवताओं की प्राचीन शिल्प मूर्तियां स्थापित है।
इस वर्ष तय कार्यक्रम के अनुसार 10 अप्रैल को दोपहर में चिकटराज बाबा का पूजा-पाट, मान-दान के बाद देव-सियान, मांझी, पुजारी, पेरमा, गायता, पटेल, सिराहा, ग्राम प्रमुख निवता खाने के बाद शाम 04 बजे चिकटराज बाबा को अपने गद्दी से निकाल कर स्थानीय देवी-देवताओं से मिलकर अपने निर्धारित मंडई स्थल पर विराजमान होना और परंपरानुसार गुज्जा देव के साथ मिलन-भेंट का कार्यक्रम होगा। 11 अप्रैल को पाली क्षेत्र से आये हुए देवी-देवताओं का मिलन-भेंट समारोह एवं पूजा-पाट, नाच-गान व ग्रामीणों के द्वारा देवी दर्शन किया जायेगा। 12 अप्रैल को सुबह से पूजा-पाट, नाच-गान, आये हुए ग्रामीणों के द्वारा देवी-देवताओं का दर्शन और शाम 4 बजे आये हुए देवी-देवताओं और स्थानीय देवी देवताओं से मिलकर 5 बजे कोमटी तालाब में देवी स्नान के बाद आकर पुन: अपने गद्दी में विराजमान होना शाम 06 बजे से गद्दी में पूजा-पाट, मान-दान और स्थानीय देवी देवताओं का पूजा-पाट, मान-दान होगा। 13 अप्रैल को आये हुए सभी देवी-देवताओं का पूजा-पाट, मान-दान के बाद विदाई समारोह के साथ बाबा चिकटराज मेला (मड़ई) संपन्न होगा।