नई दिल्ली। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा की सरकार ने बहुत पहले से चले आ रहे शोषण को रोकने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण कदम उठाया है। पुलिस और सुरक्षा बलों में बड़े अफसरों का निचले पद के कर्मचारियों को घरेलू सहायक के तौर पर दुरुपयोग करना आम है। असम की सरकार ने इस ओर ध्यान देते हुए निर्देश जारी किया है ताकि अब किसी भी पुलिस अफसर को किसी भी बटालियन के पुलिसकर्मी का इस्तेमाल निजी घरेलू कार्यों में करने की इजाजत नहीं होगी।
मुख्यमंत्री ने बटालियन के कमांडेंट (सीओ) और तमाम पुलिस अधीक्षकों से इस बारे में 10 दिनों के अंदर एक लिखित हलफनामा देने का निर्देश दिया है। उनका कहना है कि अगर किसी भी घरेलू कार्य में इस्तेमाल की स्थिति में संबंधित अधिकारी को अपनी जेब से उसका वेतन देना होगा। साथ ही सरमा ने उन आरोपों पर रिपोर्ट देने का सख्त निर्देश दिया है जिसमें कहा गया है कि विभिन्न पदों पर तैनात पुलिस अधिकारियों ने निजी सुरक्षा अधिकारी, हाउस गार्ड और घरेलू सहायक आदि को बिना इजाजत के निजी तौर पर रखा है।
आपको बता दें, मुख्यमंत्री सरमा के पास गृह विभाग भी है, ऐसे में उनका कहना था कि पुलिस वालों की भर्ती कानून और व्यवस्था को बनाए रखने और सरकारी जिम्मेदारियों को निभाने के लिए की जाती है। मगर उनका इस्तेमाल पुलिस अधिकारियों ने विभिन्न सशस्त्र बटालियनों के कर्मियों को निजी और घरेलू कामों में लगाया है।
उन्होंने कहा, “हम यह परंपरा खत्म करना चाहते हैं। अगर उच्चाधिकारियों की रिपोर्ट, हलफनामे या जांच के दौरान कोई अधिकारी किसी निजी सुरक्षा गार्ड या दूसरे जवान से निजी काम लेता है तो उसे उसका वेतन भी देना होगा। सरकार ऐसे जवानों का वेतन बंद कर देगी।”
देश में सुरक्षा बलों के उच्चाधिकारियों पर निचले पद वाले जवानों से निजी काम लेने या आवास पर घरेलू सहायक के तौर पर इस्तेमाल करने की परंपरा बहुत पुरानी है। और इस बात को लेकर समय-समय पर यह आरोप उठता रहता है। लेकिन ताकतवर लॉबी की सक्रियता के कारण यह मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है।