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बांग्लादेश की राजनीतिक अशांति से एमपी के कपड़ा उद्योग को मिला बड़ा फायदा

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इंदौर
 बांग्लादेश में जारी राजनीतिक अशांति ने मध्य प्रदेश के कपड़ा उद्योग को एक नया अवसर प्रदान किया है। राज्य, जो बड़े और मध्यम आकार के कपड़ों की इकाइयों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र है, अब तेजी से ऑर्डर प्राप्त कर रहा है।
परिधान उद्योग में वृद्धि का संकेत

प्रतिभा सिंटेक्स के एमडी श्रेयस्कर चौधरी ने कहा, 'व्यावसायिक दृष्टिकोण से, आशा की एक किरण है। हमने कपड़ों के ऑर्डर में वृद्धि देखी है। कई घरेलू खुदरा विक्रेता जो बांग्लादेश से रेडीमेड परिधान खरीद रहे थे, वे भारत से अधिक खरीदारी करने लगे हैं। कपड़ों के ब्रांड, खुदरा विक्रेताओं और संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप में निर्यात में वृद्धि देखी गई है।'

बांग्लादेश संकट: मप्र के लिए अवसर

बांग्लादेश में उत्पन्न संकट ने भारतीय निर्माताओं के लिए एक नया अवसर प्रस्तुत किया है। कई कपड़ा ब्रांड और घरेलू खुदरा विक्रेता अब भारतीय निर्माताओं से परिधान खरीदने लगे हैं, जिससे स्थानीय उद्योगों को उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

20 प्रतिशत जाॅब वर्क बढ़ेगा

इंदौर रेडिमेड वस्त्र व्यापारी संघ के अध्यक्ष आशीष निगम बताते है कि पहले जारा, एच एंड एम के ब्रांड इंदौर में भी जाॅब वर्क देते थे, लेकिन बाद में बांग्लादेश की यूनिटों से काम कराने लगे। बांग्लादेश की परिस्थियों को देखते हुए अब फिर से रेडिमेड इंडस्ट्री मेें 20 प्रतिशत ग्रोथ दिख सकती हैै।

इंदौर और आसपास के क्षेत्रों की यूनिटों को भी इसका फायदा होगा। पीथमपुर,इंदौर में भी कुछ बड़े ब्रांड के जाॅब वर्क होते हैै। रेडिमेड इंडस्ट्री अकुशल काॅरीगरों को सबसे ज्यादा रोजगार देती है। महिलाएं घर से जाॅब वर्क करती है। इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। रेडिमेड इंडस्ट्री से जुड़ी नीतियों में बदलाव कर सरकार रेडिमेड इंडस्ट्री को बढ़ावा दे सकती हैै।

भारत की बढ़ती भूमिका

फेडरेशन ऑफ एमपी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के संयुक्त अध्यक्ष, अखिलेश राठी ने कहा, "भारत और पश्चिमी दुनिया की आपूर्ति श्रृंखला पर बांग्लादेश संकट का असर पड़ेगा, लेकिन इससे भारत में कई विनिर्माण इकाइयों के स्थानांतरित होने की संभावना है।'

परिधान निर्माताओं का मानना है कि भारत परिधान क्षेत्र में एक विकल्प के रूप में उभरने के लिए अच्छी स्थिति में है। लेकिन भुगतान में देरी और बांग्लादेश में फंसे खेप को लेकर चिंता है। एमपी के निर्यातकों का कहना है कि बांग्लादेश के मुख्य बंदरगाह चटगांव बंदरगाह और देश के सबसे बड़े भूमि बंदरगाह बेनापोल पर भीड़भाड़ के कारण सूती धागे और कपड़े के कंटेनर लंबे समय से फंसे हुए हैं।

एमपी से बांग्लादेश को प्रमुख निर्यात

एमपी से बांग्लादेश को मुख्य रूप से सूती धागा, कपड़ा, और ऑयल मील का निर्यात किया जाता है। बांग्लादेश एमपी से सामान आयात करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश है, जिसमें इलेक्ट्रिक मशीनरी और प्लास्टिक फिल्म शीट भी शामिल हैं। 2023 और 2024 की पहली तिमाही में एमपी से बांग्लादेश को 1,237 करोड़ रुपये का माल निर्यात किया गया था। 2022-23 वित्तीय वर्ष में, एमपी से बांग्लादेश को 5,325 करोड़ रुपये का निर्यात किया गया था।

चुनौतियों का सामना

सूती धागे के निर्यातक प्रणब भट्टाचार्य ने कहा, "चटगांव बंदरगाह पर मेरे आठ कंटेनर फंसे हुए हैं, और भुगतान को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। कोई नया ऑर्डर नहीं मिल रहा है, और बैंकों से कोई सूचना नहीं मिल रही है। मैं ढाका में अपने कार्यालय से भागने में कामयाब रहा और एक सप्ताह बाद भारत लौट आया स्थिति गंभीर है और उद्योगों को अपने पैरों पर वापस आने के लिए समय की आवश्यकता होगी।'

अंतरराष्ट्रीय खरीदारों का भारत की ओर रुझान

क्लोथिंग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएमएआई) के मुख्य संरक्षक राहुल मेहता ने कहा, 'इस व्यवधान का भारत से सूती धागे के निर्यात पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, लेकिन परिधान क्षेत्र को इसका लाभ मिलेगा, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय खरीदार भारत की ओर रुख कर रहे हैं। भारतीय निर्माताओं को बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने पर विचार करना चाहिए।'

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