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धर्मेंद्र प्रधान ने कहा- एनसीईआरटी की पाठ्य पुस्तकों से प्रस्तावना हटाने के आरोप का कोई ठोस आधार नहीं

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नई दिल्ली
मानसून सत्र के दौरान कांग्रेस ने एनसीईआरटी पर अपनी किताबों से संविधान की प्रस्तावना हटाने का आरोप लगाया है। इस पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि विपक्ष ने सदन में तथ्यों से परे बात की है। कांग्रेस द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि छठी कक्षा के लिए एनसीईआरटी की नई पाठ्य पुस्तकें जारी की गई हैं। इन सभी पुस्तकों में संविधान की प्रस्तावना, मौलिक अधिकार, मौलिक कर्तव्य, राष्ट्रगान आदि विषयों को पहले से अधिक शामिल किया गया है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी की हताशा के कारण जिन लोगों ने संविधान को तोड़ने-मरोड़ने का सबसे अधिक काम किया, वही लोग आज संविधान के बारे में झूठ और भ्रांतियां फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि विपक्ष के नेता पद पर बैठा व्यक्ति कम से कम सदन को गुमराह न करे। हम तथ्यों को समाज के सामने रखते हैं। पीएम मोदी की सरकार संविधान के प्रति प्रतिबद्ध है।

धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, "राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कहा गया है कि संविधान के विभिन्न मूल तत्वों को सभी पाठ्यपुस्तकों में लाया जाएगा। और मैं कांग्रेस पार्टी के इस निराधार झूठ की निंदा करता हूं और उम्मीद करता हूं कि राहुल गांधी इस झूठ के लिए देश से माफी मांगेंगे।" एनसीईआरटी ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा, "एनसीईआरटी की पाठ्य पुस्तकों से प्रस्तावना को हटाने के आरोपों का कोई ठोस आधार नहीं है। एनसीईआरटी पहली बार भारतीय संविधान के विभिन्न पहलुओं- प्रस्तावना, मौलिक कर्तव्य, मौलिक अधिकार और राष्ट्रगान को बहुत महत्व दे रहा है। इन सभी को विभिन्न चरणों की विभिन्न पाठ्य पुस्तकों में रखा जा रहा है।"

एनसीईआरटी में पाठ्यक्रम अध्ययन और विकास विभाग की प्रमुख प्रोफेसर रंजना अरोड़ा ने कहा कि यह समझ कि केवल प्रस्तावना ही संविधान और संवैधानिक मूल्यों को दर्शाती है, त्रुटिपूर्ण और संकीर्ण है। बच्चों को प्रस्तावना के साथ-साथ मौलिक कर्तव्यों, मौलिक अधिकारों और राष्ट्रगान से संवैधानिक मूल्य क्यों नहीं सीखने चाहिए? हम एनईपी-2020 के विजन का पालन करते हुए बच्चों के समग्र विकास के लिए इन सभी को समान महत्व देते हैं।

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