रायपुर। भगवान शिव-पार्वती की पूजा का महापर्व महाशिवरात्रि आज है। महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर दुनिया भर में सुबह से बम-बम भोले के स्वर गूंज रहे हैं। भगवान शिव के दर्शन के लिये सभी शिव मंदिरों में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा हुआ है। शिवरात्रि पर शिवलिंग दर्शन करने और शिवजी के मंत्रों जाप करने का विशेष महत्व है। शिवरात्रि घर की सुख-समृद्धि बनाए रखने के लिए शिव-पार्वती की पूजा एक साथ करनी चाहिए और इनके मंत्रों का जाप करना चाहिए।
भक्तगण उपवास रखकर और मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना कर भगवान शिव की आराधना कर रहे हैं। देशभर में लाखों श्रद्धालु महाशिवरात्रि मना रहे हैं। माना जाता है कि आज ही के दिन भगवान शिव व देवी पार्वती का विवाह हुआ था।
भगवान शिव को अर्पित की जाने वाली वस्तुओं में बेलपत्र को सबसे प्रमुख माना गया है। बेलपत्र के बिना शिव पूजा अधूरी मानी जाती है। शिव महापुराण का कथन है कि ‘दर्शनम बिल्व पत्रस्य, स्पर्शनमं पाप नाशनम्। अर्थात् बेलपत्र का दर्शन कर लेने मात्र से पापों का शमन हो जाता है। जिस प्रकार भगवान विष्णु को नैवेद्य अर्पित करते समय भोग में तुलसी पत्र डालना अनिवार्य है उसी प्रकार शिव को भोग लगाते समय बेलपत्र अवश्य डालना चाहिए। शिवजी को तुलसी नहीं चढ़ाई जाती है। धर्म शास्त्रों का कथन है कि शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करने से शिवजी प्रसन्न् होकर मनचाहा वरदान प्रदान करते हैं। बेल के पेड़ की पत्तियों को बेल पत्र कहा जाता है। बेल पत्र में तीन पत्तियां आपस में तीन नेत्रों के समान जुड़ी रहती हैं, जिन्हें संयुक्त रूप से एक ही पत्ती माना जाता है। बेलपत्र में यदि तीन पत्तियां हैं तो ही शिवजी को अर्पित किया जाता है। बेलपत्र का जितना आध्यात्मिक महत्व है, उतना ही इसका औषधीय महत्व भी है। शिवजी को बेलपत्र करके अपने जीवन की कई समस्याओं का निदान किया जा सकता है।
वेदों में पंचदेव पूजा का विधान बताया गया है, जिसमें प्रमुख देवता के रूप से भगवान शिव को मान्यता दी गई है। भगवान शिव की पूजा न केवल मृत्यु पर विजय दिलाती है, वरन जीवन की प्रत्येक समस्या का हल भी प्रदान करती है। धन, संपत्ति, सुख, वैभव, रोगों से मुक्ति से लेकर तमाम साधन-संसाधनों की पूर्ति भगवान शिव की आराधना-पूजा से होती है। वैसे तो भगवान शिव को किसी भी समय, कभी भी पूजिए वे तुरंत शुभ फल प्रदान करते हैं, लेकिन विशेष दिन महाशिवरात्रि पर यदि अपनी किसी विशेष कामना की पूर्ति के लिए उनका पूजन किया जाए तो यह कई गुना अधिक शुभ होता है।