Home देश बस कश्मीर का सवाल आता है, तब गुस्सा आ जाता है-गृहमंत्री शाह

बस कश्मीर का सवाल आता है, तब गुस्सा आ जाता है-गृहमंत्री शाह

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नई दिल्ली। संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण के आखिरी सप्ताह में, सोमवार को लोकसभा में गृहमंंत्री अमित शाह ने दण्ड प्रक्रिया (शिनाख्त) विधेयक 2022 (Criminal Procedure Identification Bill 2022) पेश किया. बिल पर अपनी बात रखते हुए अमित शाह ने यह भी कहा कि उनकी आवाज ज़रा ऊंची है, जो उनका मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट है।
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि वह सदन के समक्ष दण्ड प्रक्रिया (शिनाख्त) विधेयक 2022 लेकर आए हैं, जो 1920 के बंदी शिनाख्त कानून की जगह लेगा. इस बिल से दोष सिद्ध करने के सबूत जुटाए जा सकेंगे. प्रमाण में जुटाने में बड़ा इजाफा कर पाएंगे. दोष सिद्ध का प्रमाण जब तक नहीं बढ़ता, तब तक देश में कानून व्यवस्था की परिस्थिति और देश की आंतरिक सुरक्षा दोनों को प्रस्थापित करना, बहाल करना और मजबूत करना एक दृष्टि से संभव ही नहीं है. इसलिए यह विधेयक लाया गया है.
‘बिल काफी लेट हो गया है’
उन्होंने कहा कि यह बिल काफी लेट हो गया है. 1980 में विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में बंदी शिनाख्त कानून 1920 पर पुनर्विचार करने का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा था. उसपर बार-बार चर्चा भी हुई. सरकार बनने के बाद इस बिल पर राज्यों से चर्चा की गई है. पत्र व्यवहार भी किया गया है. दुनिया भर में क्रिमिनल लॉ में दोष सिद्धि के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अनेकों प्रावधानों का अध्ययन करने के बाद यह विधेयक लाया गया है. उन्होंने कहा कि कई लोगों ने इस पर अनेकों आपत्तियां उठाई गईं. व्यक्ति की स्वतंत्रता पर भी चिंता जताई गई है. उन सभी लोगों की चिंताएं बिल में शामिल की गई हैं।
‘प्रिज़न मैन्युअल भी बनाया जा रहा है’
उन्होंने यह भी कहा कि बिल के तहत, प्रिज़न मैन्युअल भी बनाया जा रहा है. कैदियों के पुनर्वास के लिए, जेल अधिकारियों के अधिकारों को सीमित करने, अनुशासन, जेल सुरक्षा, महिला कैदियों के लिए अलग जेल और खुली जेल की व्यवस्था, ऐसी कई सारी चीजों को प्रिज़न के कानून में हमने समाहित किया है. समय पर अगर हम इसमें बदलाव नहीं करते हैं, तो जो साक्ष्य, दोष सिद्ध के लिए अदालतों को उपलब्ध कराते हैं, उसमें हम पीछे रहते हैं और जांच में भी मदद नहीं मिलती है।
‘मेरी आवाज ज़रा ऊंची है, मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट है’
आखिर में, टीएमसी की तरफ से टिप्पणी की गई तब अमित शाह ‘दादा’ शब्द बोले. दरअसल टिप्पणी में की गई जब वो दादा बोलते हैं तो थोड़ा धीरे बोला करें, क्योंकि जब वे दादा बोलते हैं तो लगता है कि डांट कर बोल रहे हैं. इस पर अमित शाह ने कहा, ‘नहीं, नहीं मैं कभी किसी को नहीं डांटता, मेरी आवाज ज़रा ऊंची है. मेरी मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट है. मैं गुस्सा नहीं होता हूं कभी, बस कश्मीर का सवाल आता है, तब गुस्सा आ जाता है। उन्होंने कहा कि इस बिल के पीछे सरकार की मंशा, कानून को और ज्यादा मजबूती के साथ लागू कराने के अलावा कुछ नहीं है।