लखनऊ। सीबीआई ने वाराणसी के मुख्य डाकघर में वर्ष 2019 में हुए लगभग छह करोड़ के घोटाले की जांच शुरू कर दी है। प्रदेश सरकार की सिफारिश पर यह जांच सीबीआई ने अपने हाथ में ली है। डाकघर के ही पांच कर्मचारी इस मामले में अभियुक्त हैं। सीबीआई लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने शाम मुकदमा दर्ज कर लिया। वाराणसी के कैंट थाने में पांच सितंबर 2019 को दर्ज कराए गए मुकदमे के आधार पर सीबीआई ने भी आईपीसी की धारा 409, 406 व 420 के तहत यह मुकदमा दर्ज किया है। अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने 23 सितंबर 2021 को केंद्र सरकार को पत्र लिखकर मुकदमे की विवेचना सीबीआई से कराए जाने की सिफारिश की थी। इस मामले में वाराणसी सब डिवीजन के प्रधान डाकघर (पश्चिमी) में कार्यरत रहे डाक सहायक सुनील कुमार यादव व विनय कुमार यादव, बचत अभिकर्ता प्रदीप कुमार सिंह तथा सहायक डाक पाल राजेश कुमार व रमाशंकर लाल अभियुक्त हैं। प्रधान डाकघर के सहायक अधीक्षक अजय कुमार ने यह मुकदमा दर्ज कराया था।
पुलिस को मिलीं कुल 295 शिकायतें
अभियुक्तों पर प्रधान डाकघर के विभिन्न जमाकर्ताओं के भिन्न-भिन्न खातों से कूटरचित तरीके से धोखाधड़ी करके धन निकालने के आरोप हैं। पुलिस को जांच के दौरान कुल 295 शिकायती पत्र मिले, जिसमें 5.99 करोड़ रुपये से ज्यादा धन निकाले जाने की बात सामने आई। प्रारंभिक जांच में 26 जमाकर्ताओं का बयान दर्ज किया गया तो उन्होंने अपने खाते से स्वयं धन निकालने से इनकार किया, जबकि इनके खातों से 84.02 लाख रुपये निकाले जाने की जानकारी मिली। सभी शिकायती पत्रों की जांच के बाद घोटाले की रकम 5.99 करोड़ से ज्यादा होने की संभावना है।