लखनऊ। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा बुलाई सहयोगी दलों की बैठक में शिवपाल यादव नहीं आए। जब लखनऊ में बैठक चल रही थी तब शिवपाल यादव इटावा में भागवत कथा सुन रहे थे। शिवपाल ने अभी तक विधानसभा की सदस्यता की शपथ भी नहीं ली है।
असल में शिवपाल कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं। वे भाजपा के भी संपर्क में बताए जाते हैं लेकिन अभी उन्होंने कई मुद्दों पर चुप्पी साध रखी है। उनका कहना है कि वह जल्द अपनी बात सबके सामने कहेंगे। अखिलेश यादव ने मंगलवार की सहयोगी दलों की बैठक में प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल यादव को भी बुलाया था लेकिन वह नहीं आए। असल में शिवपाल यादव दिल्ली चले गए और सपा संरक्षक व अपने बड़े भाई मुलायम सिंह यादव से मिले और उनसे आशीर्वाद लिया। वहां से शिवपाल यादव इटावा चले गए। शिवपाल यादव सपा विधायकों की बैठक में न बुलाए जाने से नाराज थे। सपा उन्हें सहयोगी दल बताती है जबकि वह कहते हैं कि वह सपा के टिकट पर जीते हैं। इसलिए उन्हें सपा विधायकों की बैठक में बुलाया जाना चाहिए था।
सपा मुख्यालय में सपा व सहयोगी दलों की बैठक में जातीय जनगणना कराने, सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट लागू कराने समेत कई मुद्दों पर मिल कर भाजपा व सरकार को घेरने की रणनीति बनी। इसके लिए सदन से लेकर सड़क तक मिल कर संघर्ष किया जाएगा। सभी सहयोगी दल लोकसभा चुनाव के लिए अभी से तैयारी करेंगे।
बैठक में सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर व रालोद के विधायक राजपाल बलियान शामिल हुए। अपना दल कमेरावादी की विधायक पल्लवी पटेल अखिलेश यादव से पहले ही मिल कर चली गईं।