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गरीबी सूचकांक में भारत 2030 की समय-सीमा से काफी पहले ही अनुपात के लक्ष्य 1.2 को प्राप्त करने की राह पर- सुमन बेरी

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संयुक्त राष्ट्
 नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने कहा कि भारत अपने प्रयासों के जरिये सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजीएस) की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदानकर्ता रहा है।बेरी आर्थिक तथा सामाजिक परिषद के तत्वावधान में आठ जुलाई से 17 जुलाई तक संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित सतत विकास पर उच्च स्तरीय राजनीतिक फोरम (एचएलपीएफ) में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इसका विषय ‘2030 एजेंडा को सुदृढ़ बनाना तथा विभिन्न संकटों के समय में गरीबी उन्मूलन: सतत, लचीले तथा नवीन समाधानों का प्रभावी क्रियान्वयन’ है।

बेरी ने यहां कहा, ‘‘भारत अपने प्रयासों के जरिये इन सतत विकास लक्ष्यों की प्रगति में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता रहा है। उसने व्यापक स्तर पर भौतिक तथा डिजिटल बुनियादी ढांचे की सफल पेशकश की, धोखाधड़ी को कम करने के लिए डिजिटल के साथ लक्षित सामाजिक राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र कार्यक्रमों, महिलाओं की एजेंसी में सुधार, सबसे कम विकसित प्रशासनिक क्षेत्राधिकारों पर ध्यान देने और प्राकृतिक तथा मानव निर्मित आपदाओं के लिए स्थानीय व राष्ट्रीय कार्रवाई को मजबूत करने के जरिये सफलता प्राप्त की है।’’

उन्होंने साथ ही कहा कि बहुआयामी गरीबी सूचकांक के संबंध में भारत 2030 की समय-सीमा से काफी पहले ही क्षेत्रीय परिभाषाओं के अनुसार सभी आयु वर्गों के पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के गरीबी में रहने के अनुपात को कम से कम आधा करने के लक्ष्य 1.2 को प्राप्त करने की राह पर है।

बेरी ने कहा, ‘‘2015-16 और 2019-21 के बीच पांच वर्षों में करीब 13.5 करोड़ भारतीय गरीबी से बाहर आए।’’ उन्होंने कहा कि वर्तमान में 52 करोड़ से अधिक भारतीयों को नकद रहित स्वास्थ्य बीमा का लाभ मिल रहा है। भारत ने वैश्विक महामारी के दौरान और उसके बाद के वर्षों में 80 करोड़ से अधिक नागरिकों को मुफ्त खाद्य आपूर्ति की गारंटी दी है, जिससे यह दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम बन गया है।

जलवायु संबंधी कार्रवाई पर उन्होंने कहा कि भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा और अर्थव्यवस्था को कार्बन मुक्त बनाने में भारी निवेश किया है, जबकि भारत में प्रति व्यक्ति उत्सर्जन सबसे कम है।

 

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