महर्षि यूनिवर्सिटी के कुलपति के अवैध नियुक्ति पर राजभवन द्वारा गठित टीम ने शुरू की जांच को प्रभावित करने रची जा रही साजिश…? महर्षि यूनिवर्सिटी में भयंकर फर्जीवाड़ा…
महर्षि यूनिवर्सिटी की जांच को लेकर राजभवन और आयोग में लगाया गया हैं सूचना का अधिकार…
महर्षि यूनिवर्सिटी की ऐसी लोकप्रियता की उसके फेसबुक पेज में इस पोस्ट को 4 दिनों में 3 ने किया लाईक, 2 ने शेयर…
बिलासपुर संभाग/ अनियमितता और फर्जीवाड़े के महासागर में बिलासपुर के मंगला में स्थित महर्षि यूनिवर्सिटी गोते लगा रहा हैं, शिक्षातंत्र पर कालिख पोतने महर्षि यूनिवर्सिटी ने कोई कसर नहीं छोड़ी हैं, फर्जीवाड़े, फर्जी नियुक्ति और अनियमितताओं से भरे इस महर्षि यूनिवर्सिटी में प्रवेश लेने वाले छात्र-छात्राओं का भविष्य अधर में हैं, क्योंकि इस महर्षि यूनिवर्सिटी के फर्जीवाड़े और अनियमितताओं की बड़ी लंबी गाथा हैं, जो कि छात्र संगठन व अन्य के शिकायतों में देखने को मिला। अभिभावकों का भी कहना हैं कि बाकी छात्र-छात्राओं को भी इस यूनिवर्सिटी में प्रवेश लेने बचना चाहिए ताकि उनका शैक्षणिक वर्ष खराब न हो। दैनिक भारत-भास्कर छात्र-छात्राओं के हितों को ध्यान रखते हुए उनके पक्ष में हमेशा आवाज उठाता रहा हैं जिसके चलते पूर्व में भी महर्षि यूनिवर्सिटी की हुई शिकायतों, फर्जीवाड़े और अनियमितताओं को प्रमुखता से प्रकाशित किया हैं। छात्रों और अभिभावकों का कहना हैं कि महर्षि यूनिवर्सिटी के कुलपति नियुक्ति में हुए फर्जीवाड़े की जांच हेतु राजभवन से दिनांक 16/02/2024 में टीम गठित की गई हैं तो जांच में इतना विलंब क्यों हो रहा ? उन्होंने आगे कहा कि इसी बीच महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट एण्ड टेक्नोलॉजी, मंगला, बिलासपुर के कुलपति, डॉ. टी.पी.एस, कांद्रा और कुलसचिव ने हाल ही में कुछ दिन पहले ही छत्तीसगढ़ के राज्यपाल से भेंट मुलाकात किया हैं, इससे ऐसा प्रतीत हो रहा की महर्षि यूनिवर्सिटी के कुलपति और कुलसचिव द्वारा राजभवन द्वारा गठित जांच टीम के जांच को प्रभावित करने का प्रयास किया जा रहा हैं ? क्योंकि जिसके खिलाफ कुछ आरोप लगता हैं और उसके खिलाफ जो जांच कर रहा हैं आरोप में घिरे व्यक्ति से जांच दल या जांच टीम बनाने वालों से जुड़े लोगों को स्वागत, फूल-माला, गुलदस्ता भेंट से दूरी बनाना चाहिए। इस बारे में राज्यपाल से मुलाकात कर पूरे मामले की शिकायत करने की तैयारी की जा रही हैं।
राजभवन से बनी 3 सदस्यीय जांच टीम की रिपोर्ट RTI से मांगी गई…
छग निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग की जांच रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर सवाल इसीलिये भी उठता हैं क्योंकि दिनांक 16/02/2024 को राज्यपाल के सचिव द्वारा महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट एण्ड टेक्नोलॉजी, मंगला, बिलासपुर के कुलपति, डॉ. टी.पी.एस, कांद्रा की नियुक्ति संबंधी शिकायत की जाँच करने हेतु पुनः 3 सदस्यीय जांच टीम बनाई गई। राज्यपाल के सचिव द्वारा दिनांक 16/02/2024 को आदेश निकाला गया जिसमें कहा गया कि छग निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) अधिनियम 2005 की धारा-15 (1) एवं (3) में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुये राज्यपाल एवं कुलाधिपति, महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी मंगला बिलासपुर द्वारा महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी मंगला बिलासपुर में हुई कुलपति की नियुक्ति संबंधी शिकायत एवं दस्तावेजों की जांच हेतु जांच कमेटी का गठन किया गया हैं, 3 सदस्यीय वाले इस जांच कमेटी में प्रो0 आलोक कुमार चक्रवाल कुलपति गुरुघासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर, प्रो0 सच्चिदानंद शुक्ल कुलपति पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर और प्रो0 ललित प्रकाश पटेरिया कुलपति नंद कुमार पटेल विश्वविद्यालय रायगढ़ का नाम शामिल हैं। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार गठित जांच टीम को जांच हेतु महर्षि विश्वविद्यालय द्वारा दस्तावेज उपलब्ध कराने आनाकानी की जा रही थी। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले माह ही जांच टीम महर्षि विश्वविद्यालय पहुंची थी जहां से उनके द्वारा दस्तावेजी साक्ष्य एकत्र किए जा रहे हैं। अब देखना यह हैं कि राजभवन से गठित इस जांच टीम द्वारा महर्षि यूनिवर्सिटी में कुलपति नियुक्ति में हुए अनियमितता को लेकर क्या और कब रिपोर्ट दिया जाता हैं ? क्योंकि अभी हाल ही में महर्षि यूनिवर्सिटी के कुलपति और कुलसचिव ने राज्यपाल से मुलाकात की हैं। यह भी अंदेशा लगाया जा रहा हैं कि राज्यपाल से भेंट मुलाकात के बहाने महर्षि यूनिवर्सिटी प्रबंधन जांच टीम पर प्रभाव जमाने की कोशिश में हैं।
महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी द्वारा अपने फेसबुक पेज में राज्यपाल और सचिव से मुलाकात करते हुए ये लिखा –
“महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ़ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी के माननीय कुलपति कर्नल (सेवानिवृत्त) प्रोफेसर टी पी कांद्रा जी, कुलसचिव डॉक्टर विजय गारुडिक एवं डीन डॉ विकास माथुर ने राजभवन, रायपुर में छत्तीसगढ़ के महामहिम राज्यपाल महोदय एवं विश्वविद्यालय के विजिटर माननीय श्री विश्वभूषण हरिचंदन जी एवं राज्यपाल के सचिव श्री यशवंत कुमार जी से शिष्टाचार भेंट की एवं कुलपति महोदय द्वारा उन्हें विश्वविद्यालय की प्रगति एवं भावातीत ध्यान के विषय में बताया गया तथा माननीय कुलाधिपति महोदय ब्रह्मचारी गिरीश जी द्वारा लिखित पुस्तक “परम पूज्य महर्षि महेश योगी जी की देवीय छत्रछाया में ब्रह्मचारी गिरीश” एवं महर्षि संस्थान की वार्षिक पत्रिका “ज्ञान– 24″ भेंट की।”
महर्षि यूनिवर्सिटी के कुलपति और कुलसचिव द्वारा राज्यपाल से मुलाकात का कारण जो भी हो पर कहीं न कहीं महर्षि यूनिवर्सिटी अपनी करतूतों को छिपाने के प्रयास में हैं।
छग निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग की जांच रिपोर्ट शक के दायरे में…आयोग की रिपोर्ट के बाद राजभवन को क्यों बनानी पड़ी फिर से जांच टीम…?
विवादों और फर्जीवाड़े के रूप में ख्याति प्राप्त कर चुके महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी मंगला बिलासपुर के कुलपति डॉ. टी.पी.एस. कांद्रा के नियुक्ति संबंधी शिकायत होने पर छत्तीसगढ़ राज्य निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग द्वारा इस शिकायत की जांच के लिए दिनांक 13/07/2023 को संशोधित अधिसूचना क्रमांक 10515/शिकायत/185/2023 रायपुर के माध्यम से उल्लेख किया गया कि राजभवन सचिवालय रायपुर से प्राप्त क्रमशः पत्र क्रमांक 3703/5393/ 2023/रास/निजी/यू-11 दिनांक 10/07/2023 एवं क्रमांक 3575/5393/2023 /रास/निजी/यू-11 दिनांक 03/07/2023 के माध्यम से महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट एण्ड टेक्नोलॉजी, मंगला, बिलासपुर के कुलपति, डॉ. टी.पी.एस, कांद्रा की नियुक्ति संबंधी शिकायत की जाँच करने हेतु माननीय अध्यक्ष महोदय द्वारा निम्नानुसार सदस्यों की जांच समिति गठित की गई हैं जिसमें प्रो0 बी.एन. तिवारी सेवानिवृत्त प्राध्यापक गुरुघासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर, डॉ0 पी.के. पांडेय, अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा संचालनालय बिलासपुर और डॉ0 वी.एल.गोयल सेवानिवृत्त अतिरिक्त संचालक बिलासपुर का नाम शामिल था। इसमें यह भी उल्लेखित था कि उक्त प्रकरण की जांच करने के साथ ही जांच उपरांत जांच प्रतिवेदन एक सप्ताह के अंदर आयोग को उपलब्ध कराने का कष्ट करें। इसके बाद पुनः छग निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग द्वारा दिनांक 26/07/2023 को अधिसूचना क्रमांक 10515/शिकायत/185/2023 रायपुर जारी कर पुनः 3 सदस्यीय जांच टीम गठित किया गया जिसमें पुनः उल्लेख किया गया कि राजभवन सचिवालय रायपुर से प्राप्त क्रमशः पत्र क्रमांक 3703/5393/ 2023/रास/निजी/यू-11 दिनांक 10/07/2023 एवं क्रमांक 3575/5393/2023 /रास/निजी/यू-11 दिनांक 03/07/2023 के माध्यम से महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट एण्ड टेक्नोलॉजी, मंगला, बिलासपुर के कुलपति, डॉ. टी.पी.एस, कांद्रा की नियुक्ति संबंधी शिकायत की जाँच करने हेतु लिखा गया हैं प्रकरण की विस्तृत जांच हेतु पुनः माननीय अध्यक्ष महोदय द्वारा निम्नानुसार सदस्यों की जांच समिति गठित की गई हैं जिसमें डॉ0 बी.जी.सिंह कुलपति पं. सुंदरलाल शर्मा (मुक्त) विश्वविद्यालय बिलासपुर, जिलाध्यक्ष प्रतिनिधि जिला-बिलासपुर छग और के.के. चंद्राकर सचिव छग निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के नाम शामिल थे और नीचे में लिखा था कि प्रकरण की जांच करने साथ ही जांच उपरांत जांच प्रतिवेदन आयोग को उपलब्ध कराने का कष्ट करें।
छग निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग द्वारा जारी इस अधिसूचना और संशोधित अधिसूचना में कुछ बातें विचारणीय हैं जैसे अधिसूचना 26/07/2023 को जारी किया गया और संशोधित अधिसूचना 13/07/2023 को जबकि जानकारों की माने तो कोई संशोधित पत्र, सूचना, आदेश या अधिसूचना, बाद में जारी होता हैं। साथ ही इस अधिसूचना और संशोधित अधिसूचना में क्रमांक समान हैं जो विचारणीय हैं, इसके साथ ही पहले जारी 13/07/2023 के अधिसूचना में जांच उपरांत जांच प्रतिवेदन एक सप्ताह के अंदर आयोग को उपलब्ध कराने कहा गया जबकि बाद वाले दिनांक में जारी अधिसूचना में जांच उपरांत जांच प्रतिवेदन आयोग को उपलब्ध कराने समय-सीमा का उल्लेख नहीं किया गया। भले ही छग निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग इसे लिपिकीय त्रुटि बतादे पर जानकारों की माने तो यह जानबूझकर प्लानिंग से की गई योजना हैं, और कई छात्रों एवं नेताओं ने छग निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग द्वारा बनाई गई जांच टीम पर कई सवाल खड़े करते हुए जांच रिपोर्ट को संदेहास्पद बताया जा रहा हैं, उनका कहना हैं कि जांच टीम अचानक क्यों बदल दिया गया ? ऐसे कई सवाल को लेकर छात्रों और छात्र संगठनों में आक्रोश हैं।
छग निजी विश्वविद्यालय द्वारा गठित जांच टीम ने जांच उपरांत निष्कर्ष में बताया गया कि सभी प्रस्तुत दस्तावेज के प्रकाश में ज्ञात होता है डॉ. कान्द्रा कुलपति पद पर आवेदन प्राप्ति की अंतिम तिथि दिनांक 05/02/2021 को UGC Regulation 2018 की कंडिका 7.3 में दिए गये अहर्ता आचार्य या सम्तुल्य पद पर 10 वर्ष का अनुभव पूरा नहीं करते थे। तथापि डॉ. कान्द्रा अपने कार्यभार ग्रहण की तिथि दिनांक 01/07/2021 को आवश्यक 10 वर्ष का अनुभव पूर्ण कर लिये थे। अहर्ता संबंधी विवाद का एक मुख्य कारण विज्ञापन में UGC द्वारा निर्धारित अहर्ता का विवरण नही देने के कारण विवाद उत्पन्न हुआ प्रतित होता है।
छग निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग द्वारा की गई जांच रिपोर्ट के बाद प्रश्न यह उठता हैं कि महर्षि विश्वविद्यालय में कुलपति पद हेतु खोज समिति/महर्षि यूनिवर्सिटी द्वारा जारी विज्ञापन में दिनांक 05/02/2021 तक विज्ञापन मंगाये गए थे, कुलपति पद हेतु छानबीन समिति ने दिनांक 01/03/2021 को अपनी सूची राजभवन में प्रस्तुत की, इस सूची में योग्यता के आधार पर 3 अर्हताधारक शिक्षाविदों के नाम की सूची पेनल बनाकर भेजी गई, जिसमें डॉ0 कांद्रा का नाम प्रथम में था साथ में 2 अन्य नाम थे, इस सूची में अनुभव से संबंधित दस्तावेज भी नहीं दिया गया और न ही उस सूची में तीनों अर्हताधारक शिक्षाविदों के नाम के आगे अनुभव वर्ष का उल्लेख किया गया, जबकि पूरी जानकारी दी जानी चाहिए थी। राजभवन को प्रेषित इस सूची के आधार पर दिनांक 12/05/2021 को राजभवन से आदेश निकला जिसमें डॉ0 टी.पी.एस. कांद्रा को महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी मंगला बिलासपुर का कुलपति नियुक्त किया गया। राजभवन में भेजे गए सूची में अनुभव योग्यता को छिपाना गंभीर विषय हैं। और जब राजभवन से महर्षि यूनिवर्सिटी में कुलपति नियुक्त करने के लिए दिनांक 12/05/2021 को आदेश निकाला गया तो फिर कुलपति डॉ0 कांद्रा द्वारा दिनांक 01/07/2021 को कार्यभार क्यों ग्रहण किया गया ? ऐसे कई सवाल हैं जिसमें महर्षि यूनिवर्सिटी खुद फँसते जा रहा हैं। ये सारी बात पहले भी प्रकाशित की जा चुकी हैं।
इसके साथ ही छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग द्वारा वर्ष 2023 में महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट एण्ड टेक्नोलॉजी, ग्राम-मंगला, जिला-बिलासपुर का निरीक्षण किया गया जिसमें भारी कमियां मिली थी, इस वर्ष के निरीक्षण रिपोर्ट की जानकारी सूचना के अधिकार के तहत छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग से मांगी गई हैं।
महर्षि यूनिवर्सिटी के कुलपति नियुक्ति फर्जीवाड़े, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास बिलासपुर द्वारा किये गए जांच के बीच महर्षि यूनिवर्सिटी द्वारा उच्च न्यायालय में लंबित प्रकरण का हवाला देने की पूरी सच्चाई दैनिक भारत भास्कर के आगामी अंक में….