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पीड़ितों के परिजनों ने कहा कि पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों ने आयोजन को गंभीरतापूर्वक नहीं लिया, जिसके चलते भगदड़ मची

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हाथरस
हाथरस के सिकंदराराऊ में सत्संग के बाद हुई भगदड़ में सौ से ज्यादा लोगों की मौत के बाद सरकार ने छह अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। एसआईटी की जांच रिपोर्ट के बाद सरकार ने ये फैसला किया। इस बीच पीड़ितों के परिजनों से बात की।

पीड़ितों के परिजनों ने कहा कि पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों ने आयोजन को गंभीरतापूर्वक नहीं लिया, जिसके चलते भगदड़ मची। पीड़ितों के परिजनों में से एक ने कहा कि मेरा तो पूरा परिवार ही उजड़ गया साहब, अब मैं कहां जाऊं? बाबा के चमत्कार पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि बाबा का चमत्कार कहां गया? वो तो हर बात पर अपना चमत्कार दिखाते थे। बाबा को इस भगदड़ की जिम्मेदारी लेनी चाहिए थी।

लोगों ने कहा कि सरकार से मात्र दो लाख रुपये की मदद मिली है। इस विषय पर सरकार चुप्पी साधे हुए है। मुआवजा के नाम पर सिर्फ लॉलीपॉप थमाया गया है। कहते कुछ हैं और करते कुछ और। सरकार ने एक की मौत पर चार लाख रुपये देने की बात कही थी। प्रशासन के पास जाओ तो वो भी सुनने को तैयार नहीं। प्रशासन हर बात पर सबूत मांगता है। मैं गरीब आदमी हूं, कितना चक्कर लगाउं। हादसे को लेकर एसआईटी टीम ने अपनी जांच के रिपोर्ट में कहीं भी बाबा का नाम अंकित नहीं किया, जिसके वजह से पीड़ित परिवारों में काफी रोष है। वहीं, कुछ परिवार खुश भी नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि सारी जिम्मेदारी प्रशासन की थी, इसमें बाबा का कोई हाथ नहीं था।

दूसरी तरफ आक्रोशित परिवारों का कहना है कि बाबा को इतना बड़ा हादसा होने के बाद वहां रुकना चाहिए था, उन्हें यह जानना चाहिए था कि कितने भक्तों की मौत हुई, और कितने घायल हुए। वहां मरने वाले सभी बाबा के भक्त थे। आपको बताते चलें, एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर एसडीएम, सीओ व तहसीलदार समेत 6 अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया। अब हाथरस हादसे को लेकर गहन जांच के लिए न्यायिक आयोग ने कार्यवाही शुरू कर दी है।

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