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अमरवाड़ा उपचुनाव सिर्फ एक उपचुनाव नहीं, बल्कि बीजेपी और कांग्रेस की नाक का सवाल बन गया है

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अमरवाड़ा

लोकसभा चुनाव के बाद मध्य प्रदेश में अब एक और चुनाव होना है. 10 जुलाई को एमपी के अमरवाड़ा में उपचुनाव होना है. यह सिर्फ एक उपचुनाव नहीं, बल्कि बीजेपी और कांग्रेस की नाक का सवाल बन गया है. छिंदवाड़ा लोकसभा जीतने के बाद बीजेपी इस विधानसभा को भी जीत लेना चाहती है तो वहीं कांग्रेस और कमलनाथ लोकसभा की हार का बदला लेने के मूड में है.

दरअसल, पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी भले ही 164 सीटें जीत गई थी, लेकिन छिंदवाड़ा जिले की सभी 7 सीटों पर उसे हार का मुंह देखना पड़ा था. इनमें से एक सीट अमरवाड़ा विधानसभा सीट थी, जहां कांग्रेस के कमलेश शाह ने जीत दर्ज की थी.

कमलेश ने जॉइन की बीजेपी

कांग्रेस को यहां झटका तब लगा, जब लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस विधायक कमलेश शाह ने बीजेपी का दामन थाम लिया और विधायकी से इस्तीफा दे दिया. विधानसभा अध्यक्ष के इस्तीफा स्वीकार करते ही अमरवाड़ा सीट को खाली घोषित कर दिया गया और इसी वजह से अब यहां उपचुनाव हो रहा है.

आसान नहीं BJP की राह

बीजेपी ने भले ही विधानसभा चुनाव में बंपर जीत दर्ज की, लेकिन छिंदवाड़ा में वो सेंध नहीं लगा पाई थी. यहां सभी सीट कांग्रेस ने जीती थी. हालांकि, छिंदवाड़ा लोकसभा जीत कर बीजेपी ने भले ही इतिहास रचा हो, लेकिन अमरवाड़ा में आखिरी बार बीजेपी 2008 में विधानसभा चुनाव जीती थी. उसके बाद से ही बीजेपी को यहां जीत का इंतजार है. बीजेपी की तरफ से मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मोर्चा संभाल रखा है. वहीं, कांग्रेस की तरफ से कमलनाथ भी अपने गढ़ की विधानसभा सीट को बचाने में ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं.

आदिवासी वर्ग तय करता है हार-जीत

अमरवाड़ा विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति (ST) आरक्षित सीट है. 2 लाख 55 हजार से ज्यादा वोटरों वाली आदिवासी बाहुल्य इस सीट पर हार और जीत का फैसला जनजाति वर्ग ही तय करता है. कुल वोटरों में से करीब 58% वोटर तो यहां अनुसचित जनजाति के हैं. आंकड़ों के मुताबिक 2 लाख 55 हजार वोटरों में से करीब 1 लाख 40 हजार वोटर तो अनुसूचित जनजाति के हैं. इसके बाद अनुसूचित जाति (SC) वोटर हैं, जिनकी संख्या करीब 21 हजार 167 है. यहां 6,308 मुस्लिम मतदाता भी हैं. ग्रामीण और शहरी वोटरों का अनुपात देखें तो कुल वोटरों का करीब 93% वोटर ग्रामीण क्षेत्रों के हैं. यानी इस विधानसभा सीट पर जीत का फैसला ग्रामीण आबादी ही करती है.

बीजेपी-कांग्रेस में मुकाबला, गोंगपा बिगाड़ेगी खेल?

अमरवाड़ा में मुख्य मुकाबला तो बीजेपी प्रत्याशी कमलेश शाह और कांग्रेस प्रत्याशी धीरन शाह इनवाती के बीच है, लेकिन आदिवासी बहुल सीट पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी दोनों दलों के वोटरों में सेंध लगाने का दम रखती है. गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के उम्मीदवार देवरावेन भलावी पर भी सबकी नजरें लगी हुई हैं, क्योंकि साल 2003 में अमरवाड़ा से गोंडवाना गणतंत्र पार्टी चुनाव जीत चुकी है.

कमलेश शाह का राजघराने से ताल्लुक

बीजेपी प्रत्याशी कमलेश शाह तीन बार से अमरवाड़ा के विधायक हैं. यहां के प्रतिष्ठित हर्रई राजघराने से आते हैं. वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी धीरन शाह इनवाती की वैसे तो कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं, लेकिन आंचल कुंड दादा दरबार से होने के कारण उन्हें हल्के में नहीं लिया जा सकता. क्योंकि आदिवासी बहुल इस सीट पर आदिवासी वोटरों का आंचल कुंड धाम से जुड़ाव है.

 

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