महारास्ट्र
क्या भाजपा और उद्धव ठाकरे सेना के रिश्तों में सुधार आने लगा है? महाराष्ट्र में विधानसभा का सत्र चालू है और इस दौरान जो वाकये देखने को मिल रहे हैं, उससे ऐसे कयास लग रहे हैं। बीते सप्ताह देवेंद्र फडणवीस और उद्धव ठाकरे की लिफ्ट के बाहर मुलाकात हुई थी। दोनों अच्छे से मिले थे और फिर लिफ्ट में भी बतियाते रहे। दोनों नेता सदन में मुस्कुराते हुए पहुंचे थे और फिर जब उद्धव ठाकरे से इस बाबत पूछा गया तो उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा कि यह सीक्रेट मीटिंग थी। उन्होंने अपनी बात में भाजपा की कोई आलोचना नहीं की और कहा कि भविष्य में हम लिफ्ट में ही सीक्रेट मीटिंग्स किया करेंगे।
ऐसा ही एक वाकया मंगलवार को फिर से हुआ। उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य से देवेंद्र फडणवीस की लिफ्ट में मुलाकात हुई। फिर दोनों हंसते हुए बाहर निकले। इसके बाद उन्हें विधानभवन की लॉबी में भी बात करते हुए देखा गया। डिप्टी सीएम और विपक्ष के लीडर की इस मुलाकात पर दोनों दलों ने कुछ नहीं कहा है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि यह औपचारिक ही था कि मिलने के बाद अभिवादन हुआ। इसका कोई अर्थ नहीं निकाला जा सकता। फिर भी राजनीति में कयास तो लगते ही हैं। दरअसल पिछले कुछ दिनों से उद्धव ठाकरे भाजपा को लेकर उतने हमलावर नहीं हैं। इससे भी इस तरह के कयास लगने लगे हैं।
वहीं कुछ राजनीतिक जानकारों का कहना है कि विधानसभा चुनाव से पहले यह दबाव की राजनीति भी हो सकती है। एक तरफ उद्धव खेमा भाजपा नेताओं के साथ मुलाकातों के जरिए शरद पवार की एनसीपी और कांग्रेस पर दबाव बनाना चाहता है ताकि सीट बंटवारे में अच्छे से डील की जा सके। वहीं भाजपा को लगता है कि एकनाथ शिंदे और अजित पवार की सीटों की बढ़ती मांगों को कंट्रोल करने के लिए ऐसे ही दबाव बनाया जा सकता है। वह यह संदेश देना चाहती है कि हमारे पास विकल्प खुले हैं और कभी भी उद्धव ठाकरे के साथ फिर से समझौता किया जा सकता है।