मुंगेली/ मुंगेली जिला घोषणा होने के बाद मुंगेलीवासियों में जो उत्साह और खुशियाँ थी, वो जिला बनने के 8 वर्षो बाद गम में तब्दील होती दिखाई दे रही हैं, कारण मुंगेली जिले में हो रहे भ्रष्टाचार को माना जा रहा, किसी भी विभाग में निर्माण या मरम्मत कार्य को लेकर जब को कार्ययोजना बनाई जाती हैं तो सबसे पहले अधिकारियों, ठेकेदारों और कमीशनखोरों द्वारा अपनी जेब कैसे पहले भरे, इस बात को लेकर नए नए हथकंडे अपनाए जाते हैं।
अभी हाल ही मुंगेली जिले में भ्रष्टाचार मामले में जल संसाधन विभाग और लोक निर्माण विभाग सुर्खियों में हैं, एक तरफ जल संसाधन विभाग लाखों-करोड़ों की हेराफेरी कर जानकारी छुपा रहा हैं, और विभाग द्वारा आरटीआई के तहत जानकारी नही दिया जा रहा,जबकि सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध कराने इस विभाग के उच्चाधिकारियों/प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा आदेश दिया गया था, जलसंसाधन विभाग मुंगेली के खिलाफ राज्य सूचना आयोग में द्वितीय अपील की गई हैं, निर्माण, मरम्मत एवं खरीदी के नाम पर जलसंसाधन विभाग शासन को चुना लगा रहा, वही दूसरी ओर लोक निर्माण विभाग में भी भ्रष्टाचार अंगद के पॉव की तरह जम गया हैं अभी हाल ही में नए बने कार्यपालन अभियंता कार्यालय में सभी कमरों में आई दीवारों में जो दरारें हैं वो सभी भ्रष्टाचार के उदाहरण ही हैं। जिले के जनप्रतिनिधियों और नेताओं में इन विभागों के भ्रष्टाचार पर काफी रोष देखा गया साथ ही यह बताया गया कि
जल संसाधन और लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों में प्रशासनिक क्षमता की कमी है और ये अपने केबिन में बैठने के बजाय बाबुओं के कमरे में ज्यादा बैठते हैं, इससे ये अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि मुंगेली जिले के दफ्तरों में बाबुओं का राज चल रहा, जनप्रतिनिधियों ने इसका एक कारण यह भी बताया कि लंबे समय से जमे बाबुओं को ठेकेदारों, वरिष्ठ अधिकारियों और नेताओं के नब्ज़ की बहुत अच्छी जानकारी होती हैं जिसके चलते अधिकारी भी इन बाबुओं के आगे नतमस्तक रहते हैं। हालांकि कांग्रेस के कुछ नेताओं ने राज्य शासन से इन दोनों विभागों के अधिकारियों और बाबुओं की शिकायत करने बात कही हैं।