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न्याय प्रणाली के आधार बने तीन कानूनों की जगह नए कानून लागू

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प्रयागराज

अब व्हाट्सएप और ईमेल से समन और वारंट तामील कराए जा सकेंगे। गवाही भी ऑनलाइन हो सकेगी। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में नया प्रावधान है। मुकदमों के निस्तारण में तेजी आएगी।

1860 में बने भारतीय दंड संहिता समेत आपराधिक न्याय प्रणाली के आधार बने तीन कानूनों की जगह रविवार आधी रात से नए कानून लागू हो गए। इनमें बहुत से बदलाव किए गए हैं जिनमें वैज्ञानिक साक्ष्यों की महत्ता को बढ़ावा दिया गया है। इसके तहत ही भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) में एक महत्वपूर्ण प्रावधान किया गया है कि अब व्हाट्सएप-ईमेल से समन-वारंट तामील कराए जा सकेंगे। इतना ही नहीं गवाही भी ऑनलाइन कराई जा सकेगी।

सीआरपीसी में इलेक्ट्रॉनिक मोड में विचारण व कार्यवाही को लेकर कोई प्रावधान नहीं था। जबकि, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में इसका प्रावधान किया गया है। जानकारों का कहना है कि धारा 530 में इलेक्ट्रॉनिक पद्धति में विचारण व कार्यवाहियों के किए जाने का प्रावधान किया गया है। यह बेहद महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि समन-वारंट के तामीला और गवाही में देरी के चलते अक्सर मुकदमे की कार्यवाही में देरी की बात सामने आती है। इस धारा में बताया गया है कि संहिता के अधीन किए जाने वाले विचारण व कार्यवाहियां इलेक्ट्रॉनिक मोड में की जा सकेंगी।
 
इसके अलावा न्यायालय में गवाही भी ऑनलाइन कराई जा सकेगी। मसलन विचारण के दौरान किसी दूसरे शहर में होने की स्थिति में गवाह को उस न्यायालय के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सेंटर से गवाही देने की अनुमति प्राप्त होगी जहां वह मौजूद है।
 
यह है प्रावधान
-समन-वारंट जारी करना, तामीला करना और निष्पादन
– शिकायतकर्ता व साक्षियों की परीक्षा
– जांच और विचारण में साक्ष्य अभिलिखित करना यानी बयान
– सभी अपीलीय या अन्य कोई कार्यवाही
इलेक्ट्रॉनिक संसूचना के उपयोग या ऑडियो-विजुअल इलेक्ट्राॅनिक साधनों का उपयोग कर इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से की जा सकेगी।
न्याय व्यवस्था में आएगा व्यापक बदलाव
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 530 न्याय व्यवस्था में व्यापक बदलाव लाएगी। इससे मुकदमों के निस्तारण में अनावश्यक होने वाली देरी खत्म होगी और पीड़ित को न्याय शीघ्रता से मिल सकेगा।
गुलाब चंद अग्रहरि, जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी)
 
पक्षकार समेत पुलिस को भी मिलेगा लाभ
बीएनएसएस की धारा 530 से पक्षकार ही नहीं पुलिस को भी भी फायदा होगा। कार्यवाही में तेजी आएगी और इसे प्रमाणित करना भी आसान होगा। समन-वारंट ईमेल, व्हाट्सएप से भेजे जा सकेंगे।-
आशुतोष द्विवेदी, डीसीपी प्रोटोकॉल

 

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