बेंगलुरु। कर्नाटक हाई कोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर पाबंदी को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम में एक आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है। अदालत ने कहा कि स्कूल यूनिफॉर्म का लागू होना उचित प्रतिबंध है, जिस पर छात्र आपत्ति नहीं कर सकता है। मामले की सुनवाई कर रही बेंच ने यह भी कहा कि सरकार के पास सरकारी आदेश जारी करने का अधिकार है और इसके अमान्य होने का कोई मामला नहीं बनता है।
दरअसल ये मामला स्कूलों और कॉलेजों में मुस्लिम लड़कियों के हिजाब (Hijab Ban Case) पहनने से जुड़ा है। हाई कोर्ट में उड्डुपी की लड़कियों ने एक याचिका दायर की थी, जिसके बाद बीते महीने की 9 तारीख को चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी की अध्यक्षता में तीन जजों की बेंच का गठन हुआ। इसमें जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित और जस्टिस जेएम खाजी शामिल हैं।
ये थी लड़कियों की मांग
लड़कियों ने अपनी याचिका में मांग की थी कि उन्हें कक्षा के भीतर हिजाब पहनने की अनुमित दी जाए। उन्होंने इसे अपनी आस्थान का मामला बताया था।
मामले से जुड़ी खास बातें
– कर्नाटक के कोप्पल और गडग जिले में धारा 144 लागू कर दी गई है।
– बेंगलुरु में कर्नाटक हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी के आवास के बाहर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है।
– कलबुर्गी में धारा 144 लागू की गई है, जो 19 मार्च तक लागू रहेगी। इसके साथ ही दावणगेरे और हासन जिले में भी धारा 144 लागू की गई है।
– शिवामोगा में स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं। जबकि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए 21 मार्च तक धारा 144 लागू रहेगी।
– हिजाब विवाद फैसले पर किसी भी तरह के जश्न को लेकर पाबंदी पहले ही लगा दी गई है।
– बेलगांव,चिक्कबल्लापुर और धारवाड़ में धारा 144 लगा दी गई है।
– बेंगलूरु में 1 हफ्ते के लिए धारा 144 लागू, किसी भी तरह के विरोध और भीड़ के इकट्ठा होने पर पाबंदी लगाई गई है।
सीएम बोम्मई ने किया स्वागत
कर्नाटक में हिजाब विवाद को लेकर आए हाई कोर्ट के फैसले का मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि कोर्ट के फैसले का सम्मानत करते हैंं। कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले का भाजपा ने स्वागत किया है। पार्टी के प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि उच्च न्यायालय ने न्यायसंगत फैसला दिया है। इससे मुस्लिम महिलाओं को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा।
बता दें कि हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि, स्कूलों एवं कॉलेजों की ओर से यूनिफॉर्म तय करना गलत नहीं है। इस पर छात्र आपत्ति नहीं जता सकते हैं।