नईदिल्ली
इजरायल और फिलिस्तीन के आतंकी गुट हमास के बीच लगभग 9 महीनों से जंग चल रही है. इसकी शुरुआत हालांकि हमास के इजरायली हमले से हुई, लेकिन अब ये यहूदी देश भी खुलकर आक्रामक हो चुका. वो हमास के ठिकाने वाले फिलिस्तीन पर लगातार अटैक कर रहा है. इस दौरान यूनाइटेड नेशन्स ने हमास के साथ-साथ इजरायल को भी लिस्ट ऑफ शेम में डाल दिया, जिसमें सारे आतंकी संगठन या फिर आतंक प्रभावित देश हैं. लेकिन इससे क्या फर्क पड़ेगा? क्या ये लिस्ट किसी देश पर बैन लगा सकती है?
क्या कहती है लिस्ट के साथ जारी रिपोर्ट
संयुक्त राष्ट्र महासचिव जनरल एंटोनियो गुटेरेस ने 13 जून को जारी एनुअल रिपोर्ट के साथ-साथ ही लिस्ट ऑफ शेम में शामिल आतंकी गुटों के नाम सार्वजनिक किए. युद्ध और बच्चों पर हिंसा से जुड़ी इस लिस्ट में माना गया कि पिछले साल लड़ाइयों में बच्चों के खिलाफ हिंसा अपने एक्सट्रीम तक चली गई. हत्याओं और हथियारों की वजह से अपंगता में लगभग 35 फीसदी की बढ़त हुई. रिपोर्ट में फिलिस्तीन को बच्चों के खिलाफ सबसे ज्यादा हिंसा वाला इलाका बताया गया, जिसके लिए कथित तौर पर इजरायल भी जिम्मेदार है. यूएन के मुताबिक, इस जंग में 36 हजार मौतें हुईं, जिसमें 8 हजार बच्चे थे.
किनका नाम होता है सूची में
यूएन हर साल एक सूची बनाता है, जिसमें वे आतंकी संगठन या देश शामिल होते हैं, जहां लगातार युद्ध हो रहा हो, और बच्चों पर हिंसा हो रही हो. साल 1996 में बच्चों और हथियारबंद संघर्ष के लिए स्पेशल रिप्रेजेंटेशन का बंदोबस्त किया गया. इसमें लड़ाई के दौरान बच्चों पर असर जांचने के लिए 6 अपराधों को गंभीरतम की श्रेणी में रखा गया. कोई भी गुट या देश, इनमें से 5 अपराध करे या इसका आरोप लगे, तो वो अपने-आप ही लिस्ट ऑफ शेम का हिस्सा बन जाता है.
कौन से छह अपराध हैं
– आतंकी मंसूबों के लिए बच्चों को शील्ड बनाना या उनकी भर्तियां करना ताकि जासूसी करवाई जा सके, या लड़ाई में किसी भी तरह इस्तेमाल किया जा सके.
– बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा युद्ध में काफी देखी जाती रही. ये भी गंभीरतम अपराध है.
– स्कूलों और अस्पतालों पर हमला भी इस श्रेणी में आता है. बता दें कि हमास और इजरायल की लड़ाई में गाजा पट्टी के कई अस्पताल-स्कूल तबाह हो गए.
– बच्चों का अपहरण करना ताकि दूसरी पार्टी को ब्लैकमेल किया जा सके, या कोई दूसरा मकसद पूरा हो सके.
– बच्चों की हत्या करना या सशस्त्र संघर्ष के चलते उनका अपंग हो जाना. ये मामले भी फिलिस्तीन में खूब दिख रहे हैं.
– बच्चों को मानवीय सहायता से दूर कर देना. फिलहाल जारी जंग में चूंकि घेराबंदी हुई पड़ी है, लिहाजा फिलिस्तीन के प्रभावित इलाके तक खाना या इलाज कम ही पहुंच पा रहा है.
कौन से गुट और देश शामिल
फिलहाल इस सूची में 53 पार्टियां शामिल हैं, जिसमें आतंकी गुट तो हैं ही, कई देश भी हैं. इनमें इस्लामिक स्टेट, अलकायदा, बोको हराम, अफगानिस्तान, इराक, म्यांमार, सोमालिया, सीरिया और यमन के अलावा इजरायल का भी नाम है. पिछले साल ही रूस की सेना को भी लिस्ट ऑफ शेम में डाला गया. ऐसा यूक्रेन के साथ चल रहे उसके युद्ध के बीच किया गया.
पहले भी आया था इजरायल का जिक्र
इजरायल को इस सूची में डालने की बात पहले भी उठी थी. द कन्वर्सेशन की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2015 में इजरायली लीडर्स ने यूएन के सीनियर अधिकारियों को धमकाया था कि उनके देश का नाम लिस्ट में नहीं आना चाहिए. ये वो समय था, जब फिलिस्तीन और इजरायल के बीच युद्ध हुआ था, जिसमें पांच सौ से ज्यादा बच्चे मारे गए थे, जबकि 3 हजार से ज्यादा गंभीर रूप से घायल हुए थे. तब भी इजरायल पर चुप्पी साधने के लिए मानवाधिकार संगठनों ने यूएन पर नाराजगी दिखाई थी.
क्या होता है लिस्ट में आने पर
लिस्ट ऑफ शेम से सीधे-सीधे कोई असर नहीं करता, लेकिन इसमें आने वालों को खराब नजर से देखा जाता है. मॉनिटरी सपोर्ट करने वाली इंटरनेशनल संस्थाएं भी इन्हें फंड करने से बचती हैं. ये एक बड़ा नुकसान है. इसके अलावा बड़े ग्लोबल फैसलों में इनकी राय नहीं ली जाती. बच्चों पर हिंसा की रिपोर्ट सार्वजनिक करने से यह भी हो सकता है कि इजरायल को सहयोग कर रहे देश नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उसे हथियार या दूसरी मदद से पीछे हट जाएं.
लिस्ट पर क्या कहना है इजरायल का
इजरायल पहला लोकतांत्रिक देश है, जो लिस्ट ऑफ शेम में शामिल कर लिया गया. इसपर क्रेमलिन से नाराजगी भी जाहिर की जा रही है. यूएन के अधिकारियों ने जून की शुरुआत में ही यूएन में इसराइली राजदूत गिलाड अर्डान से कहा था कि इजरायली सेना आईडीएफ को सूची में डाला जा रहा है. राजदूत ने इसे अनैतिक फैसला बताया. वहीं इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने विरोध करते हुए कहा कि यूनाइटेड नेशन्स ने हमास के हत्यारों का सपोर्ट करने वाले खेमे में शामिल होकर खुद को ब्लैकलिस्ट कर लिया है. अपनी सेना का पक्ष लेते हुए नेतन्याहू ने कहा कि वो दुनिया की सबसे नैतिक आर्मी है.