भोपाल
मध्य प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री और मंत्रियों का आयकर अब सरकार नहीं भरेगी, अब इन्हें खुद अपने पैसों से टैक्स भरना होगा। मंत्रिपरिषद की स्वीकृति के बाद अब सरकार में नियम बदलाव करने जा रही है। इसके साथ ही अब कई लोगों के मन में सवाल उठने लगे हैं कि आम जनता अपनी गाढ़ी कमाई से टैक्स जमा करती है, लेकिन हमारे माननीय अच्छी खासी कमाई के बाद भी खुद का टैक्स नहीं भरते। आइए आपको बताते हैं कि माननीयों को कितना वेतन मिलता है और उन्हें कितना टैक्स देना पड़ता है।
विधानसभा अध्यक्ष की सैलरी
विधानसभा का कोई विधायक अध्यक्ष निर्वाचित होता है। उसे हर महीने 47 हजार रुपये वेतन, 48 हजार रुपये सत्कार भत्ता, 45 हजार रुपए निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, हर दिन 1500 रुपए दैनिक भत्ता भी दिया जाता है। कुल मिलाकर करीब 1 लाख 85 हजार रुपये महीने मिलते हैं।
विधानसभा उपाध्यक्ष
उपाध्यक्ष को 45 हजार रुपए महीने वेतन, 45 हजार रुपए महीने सत्कार भत्ता, 35 हजार महीने निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, 1500 रुपए हर दिन दैनिक भत्ता मिलता है। कुल मिलाकर 1 लाख 70 हजार रुपये महीने मिलते हैं।
नेता प्रतिपक्ष
नेता प्रतिपक्ष को हर महीने 45 हजार रुपए वेतन, 45 हजार रुपए सत्कार भत्ता, 35 हजार निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, डेढ़ हजार रुपए प्रतिदिन दैनिक भत्ता दिया जाता है। इस प्रकार हर महीने 1 लाख 70 हजार रुपये राशि मिलती है।
मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री को हर महीने 50 हजार रुपये वेतन, 55 हजार रुपये सत्कार भत्ता, 50 हजार रुपए निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, 45 हजार रुपए मासिक (राज्य से बाहर रहने पर 2500 प्रतिदिन) दैनिक भत्ता मिलता है। करीब 2 लाख रुपए मिलते हैं।
मंत्री
मंत्रियों को हर महीने 45 हजार रुपए वेतन 45 हजार रुपए सत्कार भत्ता, 35 हजार निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, 45 हजार रुपए मासिक (राज्य से बाहर रहने पर 2500 प्रतिदिन) दैनिक भत्ता मिलता है। कुल मिलाकर 1 लाख 70 हजार रुपये महीने दिये जाते हैं।
राज्य मंत्री
हर महीने 40 हजार रुपये वेतन 34 हजार रुपये सत्कार भत्ता, 31 हजार रुपए निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, 45 हजार रुपए मासिक (राज्य से बाहर रहने पर 2500 प्रतिदिन) दैनिक भत्ता मिलता है। कुल मिलाकर 1 लाख 50 हजार रुपए महीने मिलते हैं।
उप मंत्री और संसदीय सचिव
हर महीने 35 हजार रुपए वेतन, 25 हजार सत्कार भत्ता, 25 हजार निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, 45 हजार रुपए मासिक (राज्य से बाहर रहने पर 2500 प्रतिदिन) दैनिक भत्ता मिलता है। कुल 1 लाख 30 हजार मिलते हैं।
विधायकों का वेतन
हर महीने 30 हजार रुपए वेतन, 35 हजार निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, 10 हजार रुपये टेलीफोन भत्ता, 10 हजार रुपए लेखन सामग्री डाक भत्ता, 15 हजार रुपए कंप्यूटर ऑपरेटर अर्दली भत्ता दिया जाता है। कुल मिलाकर विधायकों को एक लाख रुपए महीने मिलते हैं।
टैक्स देने के मामले में चालाक हैं माननीय
कोई भी निर्वाचित सदस्य जब विधानसभा में आता है तो उसे होने वाली आय भी आयकर के दायरे में आ जाती है, लेकिन माननीय बड़े चालाक होते हैं। वे अपना वेतन कम रखते हैं, जबकि अन्य भत्ते बढ़वाते रहते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि मूल वेतन में आयकर लगता है, जबकि भत्ते टैक्स फ्री होते हैं।
वेतन ही इनकम टैक्स के दायरे में आते
विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह ने नवभारत टाइम्स.कॉम को फोन पर बताया कि सिर्फ वेतन ही आयकर के दायरे में आता है। सिर्फ वेतन ही नहीं, ढेरों नि:शुल्क सुविधाएं मिलती हैं। विधायक, मंत्रियों को सिर्फ वेतन ही नहीं, बंगले, कार, दो ड्राइवर, ईलाज, बाहर के सफर के लिए रेलवे कूपन सहित कई सुविधाएं नि:शुल्क मिलती हैं। विधायकों को विश्राम गृह मिलता है।
पेंशन की बल्ले-बल्ले
मध्य प्रदेश में एक दिन के लिए भी विधायक बन गए तो हर महीने 20 हजार रुपए की पेंशन फिक्स हो जाती है। इस पेंशन में हर साल 800 रुपए इजाफा भी होता है। छत्तीसगढ़ में विधायकों को हर महीने 35,000 रुपये और सबसे ज्यादा मणिपुर के विधायकों को 70,000 रुपये महीने पेंशन मिलती है।
मध्य प्रदेश में पूर्व विधायकों को ऐसी ढेरों सुविधाएं करीब नि:शुल्क मिलती रहती हैं। अगर कोई विधायक बाद में सांसद बन जाए तो उस नेता को दोनों पेंशन यानि विधायक की भी और सांसद की भी राशि, हर महीने डबल पेंशन मिलती हैं।
सरकार के बचेंगे लाखों रुपए
गौरतलब है कि मंत्रियों के इनकम टैक्स जमा करने में लाखों रुपए खर्च होते हैं। 2023-24 में मंत्रियों और विधानसभा अध्यक्ष सहित 35 प्रतिनिधियों का टैक्स जमा करने में सरकार ने 79.07 लाख खर्च किए थे। बीते पांच सालों में सरकार ने इस मद में करीब साढ़े तीन करोड़ रुपए खर्च किए हैं।