भोपाल । मध्य प्रदेश में कलेक्टर का पदनाम बदलने के लिए गठित पांच आईएएस अफसरों की समिति सांसद, विधायक, नगरीय निकायों के जनप्रतिनिधि, कर्मचारी संगठन सहित विभिन्न् वर्गों से बात करेगी। समिति की बैठकों का सिलसिला 23 फरवरी तक चलेगा। समिति अभी राज्य प्रशासनिक सेवा और तहसीलदार संघ के प्रतिनिधियों से बात कर चुकी है। दोनों ही संगठनों ने पदनाम परिवर्तन के औचित्य पर सवाल उठाए हैं। मुख्यमंत्री कमलनाथ प्रदेश में कलेक्टरों का नाम परिवर्तन करना चाहते हैं। अंग्रेजों के शासनकाल में राजस्व कलेक्ट करने वाले अफसरों का नाम कलेक्टर रखा गया था, इसीलिए राज्य सरकार इसमें परिवर्तन करना चाहती है। इसके लिए आईएएस एसोसिएशन के अध्यक्ष और वाणिज्यिक कर विभाग के अपर मुख्य सचिव आईसीपी केशरी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति बनाई है।जिसे विभिन्न् वर्गों के साथ बैठक कर कलेक्टर के पदनाम परिवर्तन पर समर्थन जुटाना है। समिति ने बैठकों का दौर शुरू कर दिया है। पिछले दिनों प्रशासन अकादमी में बुलाई गई बैठक में राज्य प्रशासनिक सेवा और तहसीलदार संघ से इस मुद्दे पर राय ली गई थी।समिति अब सांसद, विधायक, नगरीय निकायों के प्रतिनिधि, विभिन्न् कैडर के सरकारी अधिकारी-कर्मचारी, सरकारी योजनाओं की समीक्षा करने वाले सुशासन स्कूल, मंत्रालय और प्रतिनियुक्ति पर केंद्र सरकार एवं दूसरे राज्यों में पदस्थ आईएएस अफसरों और रिटायर्ड प्रशासकीय अधिकारियों से बात करेंगे। इस मुद्दे पर समिति कर्मचारी संगठनों और वरिष्ठ पत्रकारों से भी बात करेगीअलग -अलग राज्यों में कलेक्टर को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। उत्तर प्रदेश में डीएम (डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट), पंजाब में डीसी (डिप्टी कमिश्नर) पदनाम है। मप्र में भी जिलाधीश, जिला मजिस्ट्रेट, जिला प्रबंधक या जिला अधिकारी पदनाम करने पर विचार चल रहा है।