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रोजमर्रा उपयोग की घरेलू वस्तुओं की बिक्री की वृद्धि के लिए ग्रामीण भारत एक ‘चमकता सितारा’ बना हुआ

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नई दिल्ली
 रोजमर्रा उपयोग की घरेलू वस्तुओं (एफएमसीजी) की बिक्री की वृद्धि के लिए ग्रामीण भारत एक ‘चमकता सितारा’ बना हुआ है।जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2024 की दूसरी तिमाही में शहरी क्षेत्रों की तुलना में इस क्षेत्र में विस्तार की बेहतर गति बनाए रखने की उम्मीद है।

आंकड़ा एवं परामर्श कंपनी कंतार की रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण भारत 2024 की दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) में एफएमसीजी कंपनियों के लिए शहरी बाजारों की तुलना में ‘बेहतर वृद्धि स्तर’ बनाए रखेगा।

रिपोर्ट में ग्रामीण बाजार को ‘चमकता सितारा’ बताते हुए कहा गया है कि 2024 में इसमें ‘पुनरुत्थान’ होने की संभावना है। जहां शहरी क्षेत्र के तनाव में रहने की संभावना है, वहीं ग्रामीण क्षेत्र साल की दूसरी तिमाही में अपनी स्थिति मजबूत कर सकता है।

ग्रामीण क्षेत्रों में इस वृद्धि को इसी साल फरवरी में पेश अंतरिम बजट में सरकार द्वारा क्षेत्र-केंद्रित उपायों से मदद मिली है और इससे स्थिरता आई है।

कंतार की दूसरी तिमाही की रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके अलावा, इस साल जिन राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, वहां लोकलुभावन उपायों की उम्मीद की जा रही है।

कंतार की रिपोर्ट के अनुसार, “हमें यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि आने वाले महीनों में कई राज्यों में चुनाव होने वाले हैं और दूसरी छमाही में ग्रामीण बाजार के लिए लोकलुभावन उपायों में वृद्धि ही देखने को मिलेगी। कोविड-19 के बाद, ग्रामीण बाजार संकट में था और पिछली तिमाहियों में लगातार गिरावट का सामना करना पड़ा था।”

रिपोर्ट में कहा गया है, “हालांकि, ग्रामीण परिप्रेक्ष्य से 2024 की शुरुआत शानदार रही है। ग्रामीण वृद्धि ने शहरी वृद्धि को पीछे छोड़ दिया है; और ग्रामीण क्षेत्र ऊपर की ओर देख रहा है।”

 

कारोबार में बढ़त के लिए एआई समेत टेक्नोलॉजी में निवेश को वरीयता दे रहे भारतीय सीईओ : रिपोर्ट

नई दिल्ली

भारतीय सीईओ अपने कारोबार में वृद्धि और उत्पादकता बढ़ाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) समेत अन्य टेक्नोलॉजी में निवेश को प्राथमिकता दे रहे हैं।

ईवाई सीईओ आउटलुक प्लस सर्वे में बताया गया कि अगले 12 महीनों में कारोबार में वृद्धि और उत्पादकता बढ़ाने के लिए करीब 70 प्रतिशत भारतीय सीईओ एआई समेत टेक्नोलॉजी में निवेश को अधिक महत्व दे रहे हैं। यह वैश्विक औसत 47 प्रतिशत से कहीं अधिक है।

वहीं, 56 प्रतिशत सीईओ का मानना है कि डेटा मैनेजमेंट एवं साइबर सिक्योरिटी को मजबूत बनाया जाए। इसके अलावा 50 प्रतिशत सीईओ बिजनेस के सभी पहलुओं पर लागत को अनुकूल बनाना चाहते हैं।

रिपोर्ट में बताया गया कि 44 प्रतिशत ने माना है कि नई टेक्नोलॉजी को लाना, नई प्रोडक्शन सुविधा और इनोवेटिव स्टार्टअप होना विलय और अधिग्रहण के पीछे की सबसे बड़ी वजह है।

ईवाई इंडिया टेक्नोलॉजी में कंसल्टिंग लीडर महेश मखीजा ने कहा, टेक्नोलॉजी में निवेश केवल आज के लिए नहीं बल्कि भविष्य की नीति को ध्यान में रखते हुए किया जाता है। यह सर्वे दिखाता है कि बड़ी संख्या में सीईओ अपनी संस्था में एआई केंद्रित ब्लूप्रिंट पर काम कर रहे हैं, जिससे इनोवेशन और उत्पादकता को बढ़ाया जा सके।

रिपोर्ट में आगे कहा गया कि एक साल पहले की तुलना में अधिकांश सीईओ द्वारा स्थिरता के बढ़ते महत्व को स्वीकार करने के बावजूद 16 प्रतिशत ने इसे प्राथमिकता में नीचे कर दिया है। इसकी वजह वित्तीय बाधाओं और बोर्डरूम के फोकस में परिवर्तन होना है। स्थिरता के एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए, कॉर्पोरेट भारत एआई सहित टेक्नोलॉजी इंसेंटिव की वकालत करता है।

 

बीमा नियामक इरडा ने यूलिप को ‘निवेश उत्पाद’ के रूप में विज्ञापित करने पर लगाई रोक

नई दिल्ली

भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) ने एक मुख्य परिपत्र जारी कर ‘यूनिट लिंक्ड बीमा योजनाओं’ (यूलिप) को ‘निवेश उत्पाद’ के रूप में प्रचारित करने पर रोक लगा दी है।

इरडा के 19 जून के परिपत्र में कहा गया कि ‘यूनिट-लिंक्ड’ या ‘इंडेक्स-लिंक्ड’ बीमा उत्पादों को ‘निवेश उत्पाद’ के रूप में विज्ञापित नहीं किया जाएगा।

बीमा कंपनियों को स्पष्ट रूप से यह बताना होगा कि बाजार से जुड़ी बीमा योजनाएं पारंपरिक बंदोबस्ती पॉलिसियों से भिन्न हैं और उनमें जोखिम भी होता है।

इसी तरह, भाग लेने वाली (बोनस के साथ) बंदोबस्ती पॉलिसियों को पहले ही यह बताना होगा कि मुनाफे में अनुमानित बोनस की गारंटी नहीं है।

इरडा ने कहा कि परिवर्तनीय वार्षिकी भुगतान विकल्प के साथ लिंक्ड बीमा उत्पादों और वार्षिकी उत्पादों के सभी विज्ञापनों में जोखिम कारकों का खुलासा किया जाएगा।

 

सनफार्मा ने भारत में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल दवा पेश करने के लिए टकेडा से किया समझौता

नई दिल्ली

फार्मास्युटिकल कंपनी सन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज ने भारत में एक गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल दवा के व्यावसायीकरण के लिए टकेडा फार्मास्युटिकल कंपनी के साथ लाइसेंसिंग समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

इस दवा का उपयोग पाचन संबंधी विकारों के उपचार में किया जाता है।

मुंबई की कंपनी ने शुक्रवार को बयान में कहा कि उसने भारत में 10 और 20 मिलीग्राम की मात्रा में वोनोप्राज़न टैबलेट के व्यावसायीकरण के लिए टेकेडा के साथ एक गैर-अनन्य पेटेंट लाइसेंसिंग समझौता किया है।

वोनोप्राजन एक नया, सक्रिय पोटेशियम प्रतिस्पर्धी एसिड अवरोधक (पीसीएबी) है, जिसका उपयोग रिफ्लक्स एसोफैगिटिस और अन्य अम्ल पाचन संबंधी विकारों के इलाज के लिए किया जाता है।

सनफार्मा के भारतीय कारोबार के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) कीर्ति गनोरकर ने कहा, “सन फार्मा गैस्ट्रोएंटरोलॉजी में अग्रणी है और हम टकेडा से गैर-अनन्य पेटेंट लाइसेंस के तहत भारत में वोनोप्राजन को पेश करने के लिए उत्साहित हैं।”

उन्होंने कहा कि यह साझेदारी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्वास्थ्य के प्रति कंपनी की प्रतिबद्धता को दर्शाती है, जिसके तहत यह रोगियों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को रिफ्लक्स एसोफैगिटिस और अन्य पाचन संबंधी विकारों के लिए एक नया उपचार विकल्प देती है।

गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स रोग (जीईआरडी) भारत में आम है।

 

 

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