भोपाल
मध्य प्रदेश में नक्सलियों की संख्या पिछले पांच वर्ष में 125 से घटकर लगभग 75 रह गई है। इनमें लगभग 20 महिलाएं हैं। नक्सलियों की विस्तार नीति रोकने के लिए बनाई गई पुलिस की रणनीति सफल रही है। विस्तार की जगह अब उनका दायरा सिमट रहा है। ऐसे में उनके विरुद्ध अभियान चलाना आसान हो गया है। यही वजह है कि पिछले पांच वर्ष में 19 नक्सली मारे गए हैं, जबकि पांच पकड़ लिए गए।
उनके क्षेत्र में पुलिस कैंप बढ़ाए जा रहे हैं। नए नक्सली उतने नहीं आ रहे हैं, जिससे संख्या घट रही है। पुलिस मुख्यालय के सूत्रों ने बताया कि अब उनकी संख्या 75 के आसपास है। छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र से जुड़ा होने के कारण बालाघाट प्रदेश का सबसे अधिक नक्सल प्रभावित जिला है।
इससे जुड़े मंडला और डिंडोरी में भी नक्सली गतिविधियां चलती हैं। महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में घेराबंदी बढ़ी तो नक्सलियों ने अमरकंटक होते हुए कान्हा राष्ट्रीय उद्यान को अपना ठिकाना बनाने की योजना बनाई थी, पर यहां पुलिस की सक्रियता बढ़ने के बाद उन्होंने अपनी योजना स्थगित कर दी है।
पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों ने बताया के पांच वर्ष पहले प्रदेश के नक्सल प्रभावित तीनों जिलों में पुलिस के 20 कैंप थे, अब 43 हैं। इनमें अकेले बालाघाट में ही 18 कैंप संचालित हो रहे हैं। इन कैंपों के माध्यम से पुलिस नक्सली गतिविधियों को नियंत्रित कर रही है।
एमपी सरकार ने अपनाई ये रणनीति
पुलिस मुख्यालय के सूत्रों ने बताया कि अब उनकी संख्या 75 के आसपास है। आपको बता दें कि मंडला और डिंडोरी में भी नक्सली गतिविधियां चलती हैं। पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों ने बताया के पांच वर्ष पहले प्रदेश के नक्सल प्रभावित तीनों जिलों में पुलिस के 20 कैंप थे, अब 43 हैं। इनमें अकेले बालाघाट में ही 18 कैंप संचालित हो रहे हैं। इन कैंपों के माध्यम से पुलिस नक्सली गतिविधियों को नियंत्रित कर रही है।
एमपी में फ्लॉप हुआ नक्सलियों का प्लान
पुलिस अफसरों के अनुसार बालाघाट, मंडला और डिंडोरी में नक्सली गतिविधियां चलती हैं। पिछले कुछ वर्षों में देखा गया है कि महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में जब घेराबंदी बढ़ती है। तभी नक्सली अमरकंटक होते हुए कान्हा राष्ट्रीय उद्यान को अपना ठिकाना बनाने की योजना बनाई थी। हालांकि पुलिस की सक्रियता बढ़ने के बाद उन्होंने अपनी योजना स्थगित कर दी है। इस तरह मध्य प्रदेश में नक्सलियों पर नियंत्रण किया गया है।