राजभवन द्वारा गठित जांच दल इसी जून माह के दूसरे हफ्ते में जांच के लिए पहुंची महर्षि यूनिवर्सिटी…
निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग का जांच रिपोर्ट संदेह के दायरे में…
बिलासपुर संभाग/ बिलासपुर के मंगला में स्थित महर्षि यूनिवर्सिटी 21.37 एकड़ में फैला हैं, इस का पूरा नाम महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी हैं। वर्ष 2023 से यह यूनिवर्सिटी खुलेआम नकल कराने, असंवैधानिक रूप से केंद्र संचालित करने, कूटरचित दस्तावेज के सहारे कुलपति नियुक्ति, बिना शिक्षकों के पाठ्यक्रम का संचालन, गैरकानूनी कार्य सहित कई आरोपों से घिरते आ रहा हैं जिसकी लिखित शिकायत छात्र संगठन सहित कईयों के द्वारा की जा चुकी हैं।
छात्र नेताओं ने शिकायत करते हुए बताया कि यह महर्षि यूनिवर्सिटी अपने स्थापना के कई वर्षों तक बिना किसी मान्यता के कुछ कोर्स के नाम से हजारों छात्रों को फर्जी सर्टिफिकेट बना कर देता था। बाद में निर्धारित शर्तो व मापदंडों के आधार पर छ.ग. निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग द्वारा पंजीयन किया गया। लेकिन न्यायधानी बिलासपुर के इस महर्षि यूनिवर्सिटी के फर्जीवाड़े से हर कोई आक्रोशित हैं। न्यायधानी में ही छात्र-छात्राओं के साथ अन्याय हो रहा हैं।
छात्र संगठन द्वारा किया जा चुका हैं शिकायत और आंदोलन…
छात्रों के हित में काम करने वाले संगठन ने हाल ही में करीब साढ़े तीन माह पूर्व ही महर्षि यूनिवर्सिटी प्रबंधन के फर्जीवाडा एवं नियम विरुद्ध संचालन, अनेक अनियमितताओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था, एनएसयूआई छात्र संगठन बिलासपुर द्वारा महर्षि यूनिवर्सिटी प्रबंधन के फर्जीवाड़े, नियम विरुद्ध संचालन, अनेक अनियमितताओं के खिलाफ ज्ञापन दिया गया था, ज्ञापन में बताया था कि छात्र हित को ध्यान में रखते हुए विभिन्न विभागों जैसे प्रधानमंत्री कार्यालय, मुख्यमंत्री कार्यालय, यूजीसी/शिक्षा विभाग, केंद्र सरकार, राजभवन छत्तीसगढ़, उच्च शिक्षा विभाग छत्तीसगढ़, सीजीपीयूआरसी, जिला प्रशासन व आदिम जाति कल्याण विभाग बिलासपुर को लिखित शिकायत दर्ज कराई गई हैं, परंतु किसी विभाग द्वारा महर्षि प्रबन्धन पर निर्णायक कार्यवाही नहीं की गई हैं। आदिम जाति कल्याण विभाग बिलासपुर द्वारा उक्त विषय पर जांच समिति बनाकर जाँच किया गया। जिसमें यूनिवर्सिटी प्रबन्धन से उन्हें किसी भी प्रकार का सहयोग नहीं मिला, जिसके कारण विभाग द्वारा एकतरफा कार्यवाही करते हुऐ छात्रवृत्ति सुविधा पर रोक लगाई गई हैं, परंतु जिन कारणों से यह फर्जीवाड़ा हुआ हैं, महर्षि प्रबन्धन के जो अधिकारी इन घोटालों में संलिप्त हैं, उनके खिलाफ अभी तक किसी भी प्रकार की कार्यवाही विभाग या प्रशासन द्वारा नहीं की गई है। शिकायत पत्र में आगे कहा गया कि महर्षि यूनिवर्सिटी में नकल प्रकरण का जो वीडियो हम सबके पास मौजूद हैं और मीडिया में संचालित है, तत्कालीन जिम्मेदार अधिकारी कुलसचिव विजय गारूडिक और परीक्षा नियंत्रक पर कानूनी कार्रवाई की जाये, क्योंकि ये छात्रों के भविष्य का सवाल है। महर्षि यूनिवर्सिटी प्रबंधन के खिलाफ कड़ी जाँच कराएं जो लोग इसके पीछे हैं उनके खिलाफ कार्यवाही की जाये।
इस शिकायत पत्र के पृष्ठ के अंतिम में विशेष निवेदन करते हुए कहा गया कि उक्त महर्षि यूनिवर्सिटी के ऊपर जब तक जाँच कार्य अथवा कोई भी कार्रवाई प्रक्रियाधीन है तब तक के लिए महर्षि यूनिवर्सिटी एवं महर्षि शिक्षा संस्थान (शिक्षा विभाग) में प्रवेश तथा परीक्षा पर पूर्णतः रोक लगायी जाये अथवा महर्षि यूनिवर्सिटी को शासन अपने अधीनस्थ लेते हुए यहाँ प्रशासक की नियुक्ति कर प्रशासन द्वारा इसका संचालन किया जावे।
छग निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग की जांच रिपोर्ट पर उठ रही उंगलियाँ…उठ रहे कई सवाल…रिपोर्ट संदेह के दायरे में…?
महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी मंगला बिलासपुर के कुलपति डॉ. टी.पी.एस. कांद्रा के नियुक्ति संबंधी शिकायत होने पर छत्तीसगढ़ राज्य निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग द्वारा इस शिकायत की जांच के लिए दिनांक 13/07/2023 को संशोधित अधिसूचना क्रमांक 10515/शिकायत/185/2023 रायपुर के माध्यम से उल्लेख किया गया कि राजभवन सचिवालय रायपुर से प्राप्त क्रमशः पत्र क्रमांक 3703/5393/ 2023/रास/निजी/यू-11 दिनांक 10/07/2023 एवं क्रमांक 3575/5393/2023 /रास/निजी/यू-11 दिनांक 03/07/2023 के माध्यम से महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट एण्ड टेक्नोलॉजी, मंगला, बिलासपुर के कुलपति, डॉ. टी.पी.एस, कांद्रा की नियुक्ति संबंधी शिकायत की जाँच करने हेतु माननीय अध्यक्ष महोदय द्वारा निम्नानुसार सदस्यों की जांच समिति गठित की गई हैं जिसमें प्रो0 बी.एन. तिवारी सेवानिवृत्त प्राध्यापक गुरुघासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर, डॉ0 पी.के. पांडेय, अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा संचालनालय बिलासपुर और डॉ0 वी.एल.गोयल सेवानिवृत्त अतिरिक्त संचालक बिलासपुर का नाम शामिल था। इसमें यह भी उल्लेखित था कि उक्त प्रकरण की जांच करने के साथ ही जांच उपरांत जांच प्रतिवेदन एक सप्ताह के अंदर आयोग को उपलब्ध कराने का कष्ट करें। इसके बाद पुनः छग निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग द्वारा दिनांक 26/07/2023 को अधिसूचना क्रमांक 10515/शिकायत/185/2023 रायपुर जारी कर पुनः 3 सदस्यीय जांच टीम गठित किया गया जिसमें पुनः उल्लेख किया गया कि राजभवन सचिवालय रायपुर से प्राप्त क्रमशः पत्र क्रमांक 3703/5393/ 2023/रास/निजी/यू-11 दिनांक 10/07/2023 एवं क्रमांक 3575/5393/2023 /रास/निजी/यू-11 दिनांक 03/07/2023 के माध्यम से महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट एण्ड टेक्नोलॉजी, मंगला, बिलासपुर के कुलपति, डॉ. टी.पी.एस, कांद्रा की नियुक्ति संबंधी शिकायत की जाँच करने हेतु लिखा गया हैं प्रकरण की विस्तृत जांच हेतु पुनः माननीय अध्यक्ष महोदय द्वारा निम्नानुसार सदस्यों की जांच समिति गठित की गई हैं जिसमें डॉ0 बी.जी.सिंह कुलपति पं. सुंदरलाल शर्मा (मुक्त) विश्वविद्यालय बिलासपुर, जिलाध्यक्ष प्रतिनिधि जिला-बिलासपुर छग और के.के. चंद्राकर सचिव छग निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के नाम शामिल थे और नीचे में लिखा था कि प्रकरण की जांच करने साथ ही जांच उपरांत जांच प्रतिवेदन आयोग को उपलब्ध कराने का कष्ट करें।
छग निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग द्वारा जारी इस अधिसूचना और संशोधित अधिसूचना में कुछ बातें विचारणीय हैं जैसे अधिसूचना 26/07/2023 को जारी किया गया और संशोधित अधिसूचना 13/07/2023 को जबकि जानकारों की माने तो कोई संशोधित पत्र, सूचना, आदेश या अधिसूचना, बाद में जारी होता हैं। साथ ही इस अधिसूचना और संशोधित अधिसूचना में क्रमांक समान हैं जो विचारणीय हैं, इसके साथ ही पहले जारी 13/07/2023 के अधिसूचना में जांच उपरांत जांच प्रतिवेदन एक सप्ताह के अंदर आयोग को उपलब्ध कराने कहा गया जबकि बाद वाले दिनांक में जारी अधिसूचना में जांच उपरांत जांच प्रतिवेदन आयोग को उपलब्ध कराने समय-सीमा का उल्लेख नहीं किया गया। भले ही छग निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग इसे लिपिकीय त्रुटि बतादे पर जानकारों की माने तो यह जानबूझकर प्लानिंग से की गई योजना हैं, और कई छात्रों एवं नेताओं ने छग निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग द्वारा बनाई गई जांच टीम पर कई सवाल खड़े करते हुए जांच रिपोर्ट को संदेहास्पद बता रहे हैं, उनका कहना हैं कि जांच टीम अचानक क्यों बदल दिया गया ? ऐसे कई सवाल को लेकर छात्रों और छात्र संगठनों में आक्रोश हैं।
छग निजी विश्वविद्यालय द्वारा गठित जांच टीम ने जांच उपरांत निष्कर्ष में बताया गया कि सभी प्रस्तुत दस्तावेज के प्रकाश में ज्ञात होता है डॉ. कान्द्रा कुलपति पद पर आवेदन प्राप्ति की अंतिम तिथि दिनांक 05/02/2021 को UGC Regulation 2018 की कंडिका 7.3 में दिए गये अहर्ता आचार्य या सम्तुल्य पद पर 10 वर्ष का अनुभव पूरा नहीं करते थे। तथापि डॉ. कान्द्रा अपने कार्यभार ग्रहण की तिथि दिनांक 01/07/2021 को आवश्यक 10 वर्ष का अनुभव पूर्ण कर लिये थे। अहर्ता संबंधी विवाद का एक मुख्य कारण विज्ञापन में UGC द्वारा निर्धारित अहर्ता का विवरण नही देने के कारण विवाद उत्पन्न हुआ प्रतित होता है।
छग निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग द्वारा की गई जांच रिपोर्ट के बाद प्रश्न यह उठता हैं कि महर्षि विश्वविद्यालय में कुलपति पद हेतु खोज समिति/महर्षि यूनिवर्सिटी द्वारा जारी विज्ञापन में दिनांक 05/02/2021 तक विज्ञापन मंगाये गए थे, कुलपति पद हेतु छानबीन समिति ने दिनांक 01/03/2021 को अपनी सूची राजभवन में प्रस्तुत की, इस सूची में योग्यता के आधार पर 3 अर्हताधारक शिक्षाविदों के नाम की सूची पेनल बनाकर भेजी गई, जिसमें डॉ0 कांद्रा का नाम प्रथम में था साथ में 2 अन्य नाम थे, इस सूची में अनुभव से संबंधित दस्तावेज भी नहीं दिया गया और न ही उस सूची में तीनों अर्हताधारक शिक्षाविदों के नाम के आगे अनुभव वर्ष का उल्लेख किया गया, जबकि पूरी जानकारी दी जानी चाहिए थी। राजभवन को प्रेषित इस सूची के आधार पर दिनांक 12/05/2021 को राजभवन से आदेश निकला जिसमें डॉ0 टी.पी.एस. कांद्रा को महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी मंगला बिलासपुर का कुलपति नियुक्त किया गया। राजभवन में भेजे गए सूची में अनुभव योग्यता को छिपाना गंभीर विषय हैं। और जब राजभवन से महर्षि यूनिवर्सिटी में कुलपति नियुक्त करने के लिए दिनांक 12/05/2021 को आदेश निकाला गया तो फिर कुलपति डॉ0 कांद्रा द्वारा दिनांक 01/07/2021 को कार्यभार क्यों ग्रहण किया गया ? ऐसे कई सवाल हैं जिसमें महर्षि यूनिवर्सिटी खुद फँसते जा रहा हैं।
राजभवन से बनी फिर से 3 सदस्यीय जांच टीम…हफ्ते भर पहले जांच में पहुँची थी महर्षि यूनिवर्सिटी…
छग निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग की जांच रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर सवाल इसीलिये भी उठता हैं क्योंकि दिनांक 16/02/2024 को राज्यपाल के सचिव द्वारा महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट एण्ड टेक्नोलॉजी, मंगला, बिलासपुर के कुलपति, डॉ. टी.पी.एस, कांद्रा की नियुक्ति संबंधी शिकायत की जाँच करने हेतु पुनः 3 सदस्यीय जांच टीम बनाई गई। राज्यपाल के सचिव द्वारा दिनांक 16/02/2024 को आदेश निकाला गया जिसमें कहा गया कि छग निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) अधिनियम 2005 की धारा-15 (1) एवं (3) में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुये राज्यपाल एवं कुलाधिपति, महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी मंगला बिलासपुर द्वारा महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी मंगला बिलासपुर में हुई कुलपति की नियुक्ति संबंधी शिकायत एवं दस्तावेजों की जांच हेतु जांच कमेटी का गठन किया गया हैं, 3 सदस्यीय वाले इस जांच कमेटी में प्रो0 आलोक कुमार चक्रवाल कुलपति गुरुघासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर, प्रो0 सच्चिदानंद शुक्ल कुलपति पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर और प्रो0 ललित प्रकाश पटेरिया कुलपति नंद कुमार पटेल विश्वविद्यालय रायगढ़ का नाम शामिल हैं। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार गठित जांच टीम को जांच हेतु महर्षि विश्वविद्यालय द्वारा दस्तावेज उपलब्ध कराने आनाकानी की जा रही थी। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अभी इसी जून माह के दूसरे हफ्ते में जांच टीम महर्षि विश्वविद्यालय पहुंची, जहां से उनके द्वारा दस्तावेजी साक्ष्य एकत्र किए गए हैं अब देखना यह हैं कि राजभवन से गठित इस जांच टीम द्वारा महर्षि यूनिवर्सिटी में कुलपति नियुक्ति में हुए अनियमितता को लेकर क्या रिपोर्ट दिया जाता हैं ?
महर्षि यूनिवर्सिटी के कुलपति के डिग्रियों और छग निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग द्वारा महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी मंगला बिलासपुर के निरीक्षण हेतु गठित समिति की पूरी रिपोर्ट, तथा हाईकोर्ट ने महर्षि यूनिवर्सिटी की याचिका पर क्या निर्णय दिया…आगामी अंक में….पढ़ते रहिये दैनिक भारत-भास्कर…