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शिक्षाकर्मी भर्ती घोटाले में 26 साल तक चली सुनवाई में कोर्ट ने 14 आरोपियों को कारावास की सजा सुनाई

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रीवा
रीवा जिले के बहुचर्चित शिक्षाकर्मी घोटाले में अदालत का अहम फैसला आया है। न्यायालय ने मामले में 14 आरोपियों को कारावास और अर्थदंड की सजा से दंडित किया है। चार आरोपियों की मौत हो चुकी है, जबकि एक को कोर्ट ने बरी कर दिया है। पूरा मामला जवा जनपद पंचायत का था। 1998 में शिक्षाकर्मी घोटाला सामने आया था। शिक्षा विभाग के 110 व राजीव गांधी प्राथमिक शिक्षा मिशन के तहत 60 पदों पर नियुक्ति का आदेश था। 170 पदों के मुकाबले 193 पदों पर भर्ती की गई थी। पात्र हितग्राहियों की जगह अपात्रों को नियुक्ति दी गई। लोकायुक्त ने 1998 में इस पर प्रकरण पंजीबद्ध कर 19 लोगों को नामजद किया था। जांच के बाद सुनवाई के लिए चालान विशेष न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। कोर्ट में करीब 26 साल तक इस पूरे मामले की सुनवाई चली। 250 दस्तावेज प्रदर्शित करवाए गए।

कोर्ट ने 14 आरोपियों को दोषी करार दिया
सुनवाई के बाद न्यायालय ने अहम फैसला सुनाते हुए 14 आरोपियों को दोषी करार दिया है। इनमें चार आरोपियों की मौत हो चुकी है जबकि एक आरोपी को बरी कर दिया गया है। न्यायालय ने धारा 120बी में 2 वर्ष का कारावास व तीन-तीन हजार का जुर्माना, धारा 367 में 3 वर्ष कारावास व पांच-पांच हजार रुपए का जुर्माना, धारा 471 में दो साल का कारावास व पांच-पांच हजार रुपए अर्थदंड से दंडित किया है।

शिक्षाकर्मी भर्ती घोटाला में इनको हुई सजा
कोर्ट ने जिन 14 आरोपियों को सजा सुनवाई है उसमें चयन समिति के अध्यक्ष स्थाई शिक्षा समिति व चयन समिति रमाशंकर मिश्रा, सुबवन लाल श्रीवास्तव बीईओ, शंभूनाथ गुप्ता विकास शाला निरीक्षक, बलराम तिवारी, आशा मिश्रा, महेंद्र प्रताप सिंह, रामनरेश, रामसिया वर्मा, गुलाम अहमद, कामता प्रसाद, नीता देवी, विनोद कुमार सेन, विधायक प्रतिनिधि संजीव कुमार शर्मा, शिवपाल सिंह शामिल हैं। एक आरोपी जनपद सदस्य रामानंद पाण्डेय को बरी कर दिया गया है।
 
 

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