रायपुर-मुंगेली/ लंबे समय से विवादों में रही मुंगेली नगर पालिका प्रदेश में काफी चर्चित हैं, भ्रष्टाचार का एक नया इतिहास दर्ज करने मुंगेली नगर पालिका के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही हैं। वर्ष 2023 में मवेशी बाजार में हुए गबन मामले में मुंगेली नगर पालिका फिर सुर्खियों में रहने लगी। जहां मवेशी बाजार के राजस्व वसूली में लाखों-करोड़ों का घोटाला सामने आया है। जानकारी के मुताबिक वर्ष 2017 से नगर पालिका के द्वारा बकरी-बकरा और मवेशी बाजार को ठेका में देने के बजाए नगर पालिका के कर्मचारियों से ही पशु एवं बकरी बिक्री पंजीयन कराया जाने लगा और बाजार से बिक्री पंजीयन शुल्क वसूली किया जाता रहा। इन छह सालों में नगर पालिका के अधिकारी कर्मचारी एवं प्रभारियों के द्वारा उक्त पंजीयन शुल्क का खूब बंदरबांट कर राज्य शासन को बड़ी आर्थिक क्षति पहुंचाई गई। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल तम्बोली ने इस मामले का खुलासा करते हुए शिकायत भी की हैं कि इन मवेशी बाजारों के प्रत्येक वर्ष 20 से 25 लाख में नीलामी किया जाता था और तत्कालीन समय में सप्ताह में 10 से 15 हजार रूपये की पशु व बकरी बिक्री पंजीयन शुल्क नगर पालिका के कोष में जमा किया जाता रहा है, साथ ही कई सप्ताह तो इन बाजारों से आय शून्य बताया गया है। कुल मिलाकर साल भर में पांच से छह लाख करीब रूपये नगर पालिका में जमा किया जाता रहा है। इस तरह पशु पंजीयन शुल्क प्रत्येक वर्ष लगभग 20-25 लाख रु जो नगर पालिका के कोष में जाना चाहिए वह इन अधिकारियों कर्मचारियों और संबधित विभाग के प्रभारियों के जेब में जाता रहा हैं। सूचना के अधिकार से प्राप्त दस्तावेज के अनुसार मुंगेली नगर पालिका के खाते में जमा किए गए राशि की जानकारी ली गई तो पता चला कि पिछले करीब 6 वर्षों से नगर पालिका के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा नगर पालिका क्षेत्र में लग रहे मवेशी बाज़ार मामले में लाखों-करोड़ों रुपये डकार लिया गया। बताया जाता हैं कि मामले का खुलासा करने के लिए मवेशी बाजार में जाकर खरीददारों से पशु एवं बकरी खरीदी की पंजीयन पर्ची की पावती एकत्र किया गया, जिसमें यह पाया कि प्रत्येक सप्ताह लगभग 90 हजार से लेकर एक लाख रुपए से अधिक की पंजीयन शुल्क बाजार से वसूल किया जाता हैं और मात्र 10 से 15 हजार रुपये ही नगर पालिका के कोष में जमा किया जाता रहा हैं इस तरह प्रत्येक सप्ताह अधिकारी कर्मचारी एवं प्रभारियों के द्वारा नगर पालिका को लाखों का चूना लगाया जा रहा था।
वहीं एक और महत्वपूर्ण जानकारी वहीं मिली हैं कि मवेशी बाजार के आय में गबन मामले की शिकायत से पहले नगर पालिका राजस्व कोष में करीब 10 से 15 हजार ही जमा होते थे पर जबसे इसकी शिकायत हुआ हैं तब से 90 हजार से लेकर एक लाख से ऊपर की राशि हर सप्ताह जमा होने लगी जो इन अधिकारियों, कर्मचारियों और कुछ जनप्रतिनिधि के जेब में जाता रहा हैं। इस मामले में शिकायत के बाद जांच के लिए टीम गठित कर दिया गया था, जिसमें जिला स्तर की जांच और कहां तक पहुंची जल्द ही पता किया जाएगा।
शिकायतकर्ता ने 2023 में ही उच्चाधिकारियों और थाने में साक्ष्य के साथ शिकायत किया गया था।
संचालनालय से कार्यवाही के लिए जा चुका हैं पत्र…कार्यवाही में जानबूझकर देरी…भ्रष्ट CMO को बचाने मंत्री और 2 विधायक एक्टिव…
विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार संचालनालय नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग छत्तीसगढ़ से दिनांक 15/05/2024 को अवर सचिव, छत्तीसगढ़ शासन, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग, मंत्रालय, महानदी भवन, नवा रायपुर को पत्र भेज नगर पालिका परिषद मुंगेली के अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा मवेशी बाजार से अर्जित होने वाली आय का गबन करने के कारण उचित कार्यवाही करने कहा गया। पत्र में बताया गया कि अनिल तम्बोली निवासी मुंगेली के शिकायती पत्र दिनांक 14.08.2023 की प्रति संयुक्त संचालक, क्षेत्रीय कार्यालय बिलासपुर को जांच हेतु प्रेषित किया गया। संयुक्त संचालक द्वारा 03 सदस्यीय जांच दल का गठन कर जांच करायी गई। अनुभव सिंह मुख्य नगर पालिका अधिकारी सहित 2 अन्य स्टॉफ को उत्तरदायी पाये जाने का भी जिक्र हैं। जिसमें स्पष्ट कहा गया हैं कि संबंधितों के विरूद्ध नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्यवाही हेतु संयुक्त संचालक, बिलासपुर के पत्र दिनांक 15.02.2024 के साथ प्राप्त प्रतिवेदन की प्रति संलग्न किया गया हैं। हालांकि इस पत्र की पुष्टि दैनिक भारत-भास्कर नहीं करता, इस पत्र की पुष्टि के लिए UAD अधिकारियों से संपर्क साधा गया पर उनसे संपर्क नहीं हो पाया, जो वाकई जांच का विषय हैं।
अब पूरे मामले में विचारणीय हैं कि अभी तक इस मामले में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज क्यों नहीं हुई हैं ? साथ ही उप संचालक के पत्रानुसार विभागीय कार्यवाही क्यों नहीं की गई ? क्या इस पूरे मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा ? हालांकि क्षेत्र में चर्चा हैं कि मवेशी बाजार में हुए लाखों-करोड़ों के गबन, राजस्व क्षति मामले में एक मंत्री और पास के ही 2 विधायकों का नाम सामने आ रहा हैं कि वे भ्रष्ट सीएमओ अनुभव सिंह को बचाने में लगे हुए हैं हालांकि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भ्रष्टाचार खत्म करने की बात कही हैं ऐसे में यदि भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्यवाही नहीं होती हैं तो भाजपा सरकार भी कहीं न कहीं कटघरे में आ सकती हैं ? जल्द ही इस मामले में एक बड़ा खुलासा किया जाएगा….