कलेक्टर कार्यालय में मौजूद दस्तावेज को वे जिला पंचायत को भेजना बता रहे और जिला पंचायत में मौजूद दस्तावेज को वे कलेक्टर कार्यालय को भेजना बता रहे, और जनपद पंचायत मुंगेली आदेश के बाद जानकारी छिपाए बैठा हैं…
मुंगेली/ प्रदेश में भाजपा सरकार बनने पर लोगों को लगा था कि भ्रष्टाचार पर कुछ हद तक लगाम लगेगा, पर ऐसा नहीं लग रहा, क्योंकि प्रदेश में भाजपा की सरकार आते ही अधिकारियों की मनमानी बढ़ गई हैं, ऐसा लगता हैं मानों पूर्व में हुए भ्रष्टाचार को छिपाने अधिकारियों का विशेष अभियान चल रहा हो ?
मुंगेली जनपद पंचायत से जुड़े एक बड़े मामले में जनपद पंचायत सीईओ, जिला पंचायत द्वारा जानकारी छिपाई जा रही हैं, जिसमें करोड़ों के भ्रष्टाचार की आशंका जताई जा रही हैं। कलेक्टर कार्यालय द्वारा भी जानकारी नहीं दी गई। जब इसकी जानकारी सूचना के अधिकार के तहत जनपद पंचायत, जिला पंचायत और कलेक्टर कार्यालय मुंगेली से मांगी गई तो किसी ने जानकारी देना जरूरी नहीं समझा और कागज-कागज का खेल खेल सूचना के अधिकार कानून की धज्जियाँ उड़ाने लगे हैं।
मुंगेली जिले में सूचना का अधिकार कानून मजाक बन कर रह गया हैं, इसके पीछे का कारण जिला प्रशासन के अधिकांश अधिकारियों और विभागों का सूचना के अधिकार के प्रति उदासीनता, लापरवाही पूर्ण रवैया कहा जा सकता हैं या भ्रष्टाचार को छिपाने या शह देने वाली बात भी हो सकती हैं ? इसीलिये सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी नहीं मिलती।
प्राप्त जानकारी के अनुसार एक महत्वपूर्ण मामले में सूचना के अधिकार के तहत कलेक्टर कार्यालय में जनसूचना अधिकारी के समक्ष 17/01/2024 को आवेदन किया गया था, उक्त आवेदन को जनसूचना अधिकारी द्वारा 07/02/2024 को जिला पंचायत अंतरित करते हुए समय सीमा के भीतर आवेदक को जानकारी उपलब्ध कराने कहा गया, उसके बाद भी जिला पंचायत द्वारा जानकारी नहीं दी गई। सबसे महत्वपूर्ण बात यह हैं कि कलेक्टर कार्यालय में मौजूद दस्तावेज की जानकारी मांगने पर आवेदन जिला पंचायत क्यों अंतरित किया गया और कलेक्टर कार्यालय में मौजूद दस्तावेज किसी कारण जिला पंचायत भेज दिया गया होगा तो आज दिनांक तक कलेक्टर कार्यालय से कई पत्र जाने के बाद भी जिला पंचायत ने जानकारी क्यों नहीं दिया ? मतलब कहा जाए तो यह जानकारी कलेक्टर कार्यालय, जिला पंचायत और जनपद पंचायत के इर्दगिर्द घूम रही हैं और अधिकारी जानकारी देने से बच रहे, इसके पीछे इन अधिकारियों की मंशा क्या होगी समझा जा सकता हैं ?
कलेक्टर कार्यालय के जनसूचना अधिकारी से जानकारी न मिलने पर अपर कलेक्टर के समक्ष प्रथम अपील की गई थी, जिस पर सुनवाई उपरांत दिनांक 08/04/2024 को अपर कलेक्टर एवं अपीलीय अधिकारी निष्ठा पांडेय तिवारी ने अपील आवेदन पर आदेश पारित किया कि मांगी गई जानकारी आवेदक को नहीं दी गई, अपितु आवेदक द्वारा प्रस्तुत आवेदन को मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत मुंगेली को सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 6 (3) के तहत अंतरित किया गया, जबकि उन्हें वांछित जानकारी जिला जनसूचना अधिकारी कार्यालय से ही प्रदान की जानी थी, आवेदन अंतरित नहीं किया जाना था, पारित आदेश में आगे कहा गया कि जनसूचना अधिकारी को निर्देशित किया जाता हैं कि आवेदक के आवेदन से संबंधित जानकारी 7 दिवस के भीतर अपीलार्थी को निःशुल्क प्रदान करें एवं इस संबंध में प्रतिवेदन अधोहस्ताक्षरकर्ता के समक्ष 10 दिवस के भीतर प्रस्तुत करें, भविष्य में उक्त गलती की पुनरावृत्ति न हो।
अपर कलेक्टर एवं अपीलीय अधिकारी निष्ठा पांडेय तिवारी के द्वारा दिनांक 08/04/2024 को पारित इस आदेश के बाद भी आज 13/06/2024 तक आवेदक को जानकारी नहीं दी गई, जिससे यह अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि संबंधित अधिकारी कितने लापरवाह हैं। उसी प्रकार जिला पंचायत मुंगेली से इसी संबंध में जानकारी मांगी गई तो उनके द्वारा भी जनपद पंचायत मुंगेली जानकारी देने पत्र भेज दिया गया, जबकि पहले जनपद पंचायत मुंगेली से जानकारी न मिलने पर जिला पंचायत में अपील सुनवाई में जनपद पंचायत सीईओ को जानकारी प्रदान करने महीनों पहले आदेश दिया जा चुका हैं उसके बाद जनपद पंचायत सीईओ द्वारा जानकारी नहीं दी गई। कुल मिलाकर यूं कहा जाए कि एक बड़े मामले/भ्रष्टाचार में जनपद पंचायत सीईओ, जिला पंचायत और कलेक्टर कार्यालय ने जानकारी छिपाई जिसके चलते आवेदक को जानकारी नहीं मिल पा रही हैं।
अभी हाल ही में 10/06/2024 को कलेक्टर कार्यालय के जनसूचना अधिकारी द्वारा मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत मुंगेली को 4 संदर्भित पत्रों का उल्लेख करते हुए 3 दिनों के भीतर जानकारी देने निर्देशित किया गया हैं। अब देखना हैं कि जिला पंचायत सीईओ सूचना के अधिकार कानून को गंभीरता से लेते हैं या उसका फिर मजाक बनाते हैं ? वैसे इस प्रकरण में राज्य सूचना आयोग में शिकायत भेजते हुए अपील की जा चुकी हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह हैं कि कलेक्टर कार्यालय में मौजूद दस्तावेज जिला पंचायत को भेजना बताया जा रहा और जिला पंचायत में मौजूद दस्तावेज कलेक्टर कार्यालय को भेजना बताया जा रहा, जो गंभीर मामला हैं। बहरहाल मुख्यमंत्री से शिकायत के बाद जांच में पूरी सच्चाई सामने आ ही जाएगी।
हालांकि इस मामले में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से शिकायत होने की जानकारी मिल रही हैं।