रायपुर। प्रदेश में पब्लिक ट्रस्टों द्वारा दान में मिली जमीनों पर बड़ा खेल जारी है। राजधानी रायपुर में श्री रावतपुरा सरकार लोककल्याण ट्रस्ट ने तो सारी हदें पार कर दीं। करीब 18 महीनें पहले सेजबहार इलाके में ट्रस्ट को चार दान-दाताओं द्वारा करीब 7 एकड़ 30 डिसमिस कृषि भूमि दान में दी गयी थी। इसके छह महीने बाद से ही ट्रस्ट के कर्ता-धर्ताओं ने इस जमीन पर प्लाटिंग कर फर्जी तरीके से बिक्री शुरू कर दी और अबतक यहां 70 से अधिक रजिस्ट्रियां हो कि चुकी हैं, जो पूरी तरह फर्जी हैं क्योंकि इसके लिये उसे किसी भी प्रकार की शासकीय अनुमति नहीं मिली है। वहीं, ट्रस्ट का यह प्रोजेक्ट न तो नगर तथा ग्राम निवेश विभाग द्वारा अनुमोदित है और न ही रेरा में रजिस्ट्रेशन कराया गया है। इस प्रोजेक्ट का ले-आउट भी स्वीकृत नहीं है।
उल्लेखनीय है कि श्री रावतपुरा सरकार लोककल्याण ट्रस्ट पब्लिक चेरिटेबल ट्रस्ट एक्ट के तहत मध्यप्रदेश के भिंड में रजिस्टर्ड है। इस ट्रस्ट की अनेक शैक्षणिक व अन्य गतिविधियां छत्तीसगढ़ से संचालित हो रही हैं और इसका रजिस्टर्ड कार्यालय भी रायपुर में है, बावजूद इसके सूबे के किसी भी जिला प्रशासन के पास ट्रस्ट से सम्बंधित जानकारियां नहीं हैं। प्रशासन को ट्रस्ट के बारे में मूलभूत जानकारी नहीं होने का फायदा ट्रस्ट के कर्ता-धर्ताओं ने खूब उठाया और कई जगहों पर न्यास की जमीनें बिना सक्षम अधिकारी की पूर्व अनुमति के बेच डालीं। सेजबहार में उक्त जमीन पर बकायदा कालोनी डेवलप कर धड़ल्ले से प्लॉट बेचे गए हैं और यह क्रम जारी है। इसके लिए तीन-चार बड़े ब्रोकर और डेवेलपर की मदद भी ली गयी है। इसके अलावा कई मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव भी तैनात किये गए हैं। पुराने धमतरी रोड पर हो रहे इस अवैध कारोबार को कुछ दलालों की मदद से ट्रस्ट के दो प्रमुख पदाधिकारियों द्वारा अंजाम दिया जा रहा है।
म.प्र./छ. ग. लोक न्यास अधिनियम 1951 के प्रावधानों के अनुसार ट्रस्ट जितनी बार भी जमीन बेचता है उसे पंजीयक ( लोक न्यास) की पूर्व अनुमति लेना आवश्यक है। रायपुर के एसडीएम और पंजीयक (लोक न्यास) देवेंद्र पटेल के मुताबिक यह अनुमति वहीं का पंजीयक देगा जहाँ से ट्रस्ट रजिस्टर्ड है, भले ही वह जमीन दूसरे राज्य की ही क्यों न हो। ट्रस्ट को अपनी सभी जमीनों की जानकारी संबंधित पंजीयक कार्यालय की पंजी में दर्ज कराना आवश्यक है।
इस मामले में एक और बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ है। मध्यप्रदेश के सूत्रों ने जानकारी दी है कि ट्रस्ट द्वारा भिंड पंजीयक कार्यलय की पंजी में रायपुर के सेजबहार में दान में मिली जमीनों की जानकारी दर्ज ही नहीं कराई गयी है। यही वजह है कि ट्रस्ट ने टुकडों में जमीन बेचने के दौरान रजिस्ट्री ऑफिस में वे दस्तावेज़ जमा नहीं कराए जो बेचने की आधिकारिक अनुमति प्रदान करते हों। रायपुर जिला पंजीयक कार्यालय के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने इसे प्राइवेट ट्रस्ट बताया। साथ ही इंडियन ट्रस्ट एक्ट 1882 की उन धाराओं का उल्लेख कर रजिस्ट्रियां कराईं जो प्राईवेट ट्रस्ट के लिये हैं। जबकि ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन पब्लिक चेरिटेबल ट्रस्ट एक्ट के तहत हुआ है और इसे आयकर की धारा 80-जी के तहत वे सभी छूट प्राप्त है, जो पब्लिक ट्रस्ट को मिलती है।
कैसे होता है ये फर्जीवाड़ा
कोई संस्था किसी राज्य विशेष में स्वंय को पब्लिक ट्रस्ट ट्रस्ट के रूप में पंजीकृत कराती है और अन्य राज्य में जमीनें खरीदती है अथवा दान में लेती है। फिर वह ट्रस्ट दान में मिली उस जमीन को बेच देता है, इस कृत्य में वह अपने ट्रस्ट की बैठक का एक पत्र संग्लन कर देता है जिसमें उसके ट्रस्टियों द्वारा उक्त जमीन को बेचने का निर्णय होता है। इस पत्र के आधार पर वह दूसरे राज्य में दान में मिली जमीनों को बेच देता है और उसकी रजिस्ट्री भी करा देता है। इसकी जानकारी उस राज्य (जहाँ से वह रजिस्टर्ड है) के पंजीयक, लोक न्यास को नहीं दी जाती और न ही उनकी पंजी में उक्त जमीन का ब्यौरा दर्ज कराया जाता है। जाहिर सी बात है जब जमीन की जानकारी पंजी में दर्ज न हो तो उसे बेचने की अनुमति भी नहीं ली जाती।
सख्त कारवाही होगी -कलेक्टर
‘शिकायत मिलने के बाद मामले के जांच के आदेश दे दिए गए हैं। अवैध प्लाटिंग के मामले में एसडीएम द्वारा केस दर्ज कर लिया गया है। जांच जारी है और दोषी पाए जाने पर नियमानुसार सख़्त कार्रवाई की जाएगी।’
सौरभ कुमार, कलेक्टर