रायपुर। करीब 12 साल पहले राजनांदगांव जिले के मदनवाड़ा जंगल में हुए नक्सली हमले पर न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट कल कैबिनेट में पेश हो गई है। जस्टिस शंभुनाथ श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाले आयोग ने इस रिपोर्ट में घटना में बड़े नुकसान के लिए रेंज के एक तत्कालीन बड़े पुलिस अधिकारी पर सवाल उठाए हैं। इसे लेकर बैठक में थोड़ा विवाद हो गया। एक वरिष्ठ मंत्री ने इस पर आपत्ति की है।
बताया जा रहा है, मदनवाड़ा कांड की रिपोर्ट उस वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को बड़ी संख्या में पुलिस बलों के हताहत होने का बड़ा जिम्मेदार बता रही है। जबकि उस रिपोर्ट में आरोपी बनाए गए अधिकारी का ही बयान नहीं है। बैठक के दौरान एक वरिष्ठ मंत्री ने कहा, किसी घटना के लिए वहां मौजूद सबसे बड़े अफसर को दोषी बता देना गलत परंपरा होगी। ऐसे तो किसी दिन ऐसी किसी घटना के लिए डीजीपी को भी दोषी ठहरा दिया जाएगा।
हांलाकि कैबिनेट में बहुमत ने उन मंत्री के बात को अनसुना कर दिया। उसके बाद इस रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया गया। बताया जा रहा है, अब यह रिपोर्ट विधानसभा के बजट सत्र में पेश की जाएगी। इसके साथ एक्शन टेकेन रिपोर्ट भी होगी। इसमें सरकार बताएगी कि इस रिपोर्ट पर क्या किया गया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सितम्बर 2019 में मदनवाड़ा कांड की जांच के लिए न्यायिक जांच आयोग की घोषणा की थी। जनवरी 2020 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के रिटायर्ड जज न्यायमूर्ति शंभुनाथ श्रीवास्तव को जांच का जिम्मा सौंप दिया गया। करीब 18 दिन पहले उन्होंने अपनी रिपोर्ट मुख्य सचिव को सौंपी।
मदनवाड़ा की घटना
12 जुलाई 2009 की सुबह राजनांदगांव जिले के मदनवाड़ा गांव के पास नक्सलियों ने घात लगाकर पुलिस टीम पर बड़ा हमला किया। इसमें तत्कालीन पुलिस अधीक्षक विनोद चौबे सहित 29 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। इनमें 25 जवान कोरकोटि के जंगल में, 2 मदनवाड़ा में और शहीद साथियों का शव वापस लाने की कवायद में जवानों की शहादत हुई थी। यह पहला मौका था, जब नक्सलियों के हमले में किसी जिले के एसपी की शहादत हुई ।